09.11.2012 ►Jasol ►Soul Is Intangible► Acharya Mahashraman

Published: 10.11.2012
Updated: 08.09.2015

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Jasol: 09.11.2012

Acharya Mahashraman said that soul cannot be seen neither it can be touched or smelled. He inspired people to develop co-existence.

News in Hindi

सामंजस्य के लिए स्वार्थ व दुराग्रह छोड़ें: आचार्य श्री महाश्रमण
जसोल(बालोतरा) 10 नवबर 2012 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो

आत्मा अमूर्त है तथा सूक्ष्य भी है, जिसे किसी-किसी यंत्रों के द्वारा देखा नहीं जा सकता है। जिस व्यक्ति का चित्त, राग द्वेष जैसी विकृतियों से तरङ्क्षगत नहीं होता वो ही आत्म शक्ति का साक्षात्कार कर सकता है। ये उद्गार तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने गुरुवार को जसोल में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि आत्मा अमूर्त तो है ही साथ ही साथ विराट भी है। आत्मा को देखा, छुआ व सुंघा नहीं जा सकता उससे साक्षात्कार करने के लिए ज्ञान दर्शन चरित्र की त्रिवेणी में गोते लगाने पड़ते हैं। आचार्य ने कन्या सुरक्षा व सामंजस्य विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों से कन्या भू्रण हत्या के मामले बढ़े हैं। मां बाप जिन्हीं कारणों से यह कृत्य करते हैं, जो हर दृष्टि से अनुचित है, अहिंसा की दृष्टि से देखे तो यह हिंसा है, अगर ममतामयी मां कहलाने

वाली मां ऐसे मामलों में सम्मिलित रहे, तो फिर कैसी मां की ममता? आचार्य ने कहा कि हमारे यहां व्यक्ति को जब गुरु धारणा कराई जाती है तो नशा, मांसाहार, हत्या, आत्म-हत्या, भ्रूण हत्या जैसी कुप्रवतियों के त्याग करवाएं जाते है तथा हरे भरे पेड़ों को न काटना संवत्सरी के उपवास करने प्रेरणा दी जाती है। सामंजस्य के विषय पर उन्होंने कहा कि दो व्यक्तियों को अगर साथ रहना है तो जीवन तालमेल व सामंजस्य तो बिठाना ही पड़ेगा नहीं तो आपसी मनमुटाव व खटपट की संभावना रहेगी। इसके लिए स्वार्थ को त्यागना आवश्यक है। जहां दूसरे के हित की रक्षा की जाती है वहां सामंजस्य बैठता ही है। व्यक्ति को अनावश्यक आग्रह प्रवृत्ति से बचना चाहिए। अगर सामंजस्य बिठाने के लिए झुकना पड़े तो झुक जाना ही उचित है। अगर बाप बेटे में किसी कारणवश अनबन हो गई तो सामंजस्य बिठाने के लिए झुकना भी पड़ता है। बड़ों की कभी कड़ाई का सहारा भी लेना पड़ता है तो कभी नरमी भी दिखानी पड़ती है। आपसी सामंजस्य के लिए दुराग्रह व स्वार्थ को छोडऩा आवश्यक है। इस अवसर पर मंत्री मुनि सुमेरमल ने भी प्रेरणादायी उद्बोधन दिया। मुनि जिनेशकुमार ने कन्या सुरक्षा व सामंजस्य सेमिनार के मद्देनजर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन मुनि हिमांशु कुमार ने किया।

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Sushil Bafana

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