ShortNews in English
Jasol: 27.10.2012
Acharya Mahashraman said that Ramayana teaches us many good things in life. Vijyadashmi give a message to burn misdeeds of self. There should be no place for bad things in life.
News in Hindi
अपने भीतर की बुराइयों को जलाएं: आचार्य
जसोल(बालोतरा)२५ अक्तूबर २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरों
जैन तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने दशहरा के अवसर पर व्यक्ति मात्र को भीतर की बुराइयों को खत्म करने का संदेश देते हुए कहा कि रावण कोई सामान्य आदमी नहीं था। वह बड़ा विद्वान व विद्या संपन्न था। जैन रामायण के अनुसार पहले-पहल रावण में चारित्र निष्ठा भी अच्छी थी। रावण के पास अपार शक्ति थी। उन्होंने कहा कि रावण ने एक बड़ी भूल सीताजी का हरण करके कर दी। दूसरी बड़ी भूल थी विभीषण जैसे भाई का कहना नहीं मानना। उन्होंने कहा कि रामायण के आख्यान से जीवनोपयोगी शिक्षा प्राप्त की जा सकती है। आदमी जीवन में बुराइयों को नहीं पनपने दें। बुराइयों को जलाने का प्रयास करें। बाहर पुतले का रावण जलाना खास बात नहीं है। खास बात है भीतर की बुराइयों का क्षरण करना, भीतर की बुराइयों को जलाना। आचार्य ने कहा कि रावण को बुराई का प्रतीक मानें तो मोह कर्म रावण है। यह बुराइयों का पिंड है। मोह दुर्गुणों का पिंड है। इस मोह कर्म को जला कर व्यक्ति विजयी बन सकता है। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि दशहरा विजय का प्रतीक है। व्यक्ति सोचे कि उसने भीतर के कषायों को मंद, मन को एकाग्र कर लिया है तो वह दशहरा मनाने का हकदार है। कार्यक्रम में आचार्य को डॉ. प्रेम सुमन जैन ने व मंत्री मुनि को समणी कुसुम प्रज्ञा ने आगम अ_प्तरी ग्रंथ उपहृत किया। आचार्य ने इस संदर्भ में अपना आशीर्वचन फरमाया। ग्रंथ की संपादिका व अनुवादक डॉ. समणी कुसुम प्रज्ञा ने अपने विचार व्यक्त किए। डॉ. प्रेम सुमन जैन ने अपनी विचाराभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम में कर्नाटक से समागत मलनाड एरिया कर्नाटक तेरापंथ समिति की ओर से समिति अध्यक्ष फूलचंद तातेड़ ने अपने विचार रखे। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने गीत की प्रस्तुति दी। कन्या मंडल ने संवाद प्रस्तुति द्वारा अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति दी।
नशा मुक्ति अभियान: आचार्य महाश्रमण ने सुबह नशा मुक्त जसोल अभियान के अन्तर्गत डॉ. भीमराव अंबेडकर चौक में दलित समाज व वाल्मिकी समाज को नशा मुक्ति की अच्छा जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान की। मुनि जिनेश कुमार, मुनि मदन कुमार, मुनि जितेंद्र कुमार ने सभा को संबोधित किया। कार्यक्रम में सागरमल सोलंकी ने स्वागत भाषण दिया। डूंगरराम बोगू, नरसींगराम सोलंकी, बंशीलाल राठौड़, वगताराम बारासा, खूबचंद भंसाली, कांतिलाल ढेलडिय़ा, सफरू खां ने अपने विचार व्यक्त किए। अनेक व्यक्तियों ने गुरुदेव की प्रेरणा से नशा मुक्ति का संकल्प लिया।
जसोल. धर्मसभा में उपस्थित श्रावक-श्राविकाएं (इनसेट) आचार्य से आशीर्वाद लेते अतिथि।