ShortNews in English
Jasol: 05.10.2012
Acharya Mahashraman said that householder is entitled to do religious activity. He inspired people to keep Sanyam. Mantri Muni Sumermal and Muni Kishanlal also expressed their views.
News in Hindi
लक्ष्य के साथ दृष्टिकोण बदलकर करें साधना'
जसोल (बालोतरा) ०५ अक्तूबर २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
धर्म करने का अधिकार साधुओं के साथ गृहस्थों को भी है। लक्ष्य बनाकर, दृष्टिकोण बदलकर गृहस्थ भी साधना कर सकता है। गृहस्थ को धर्म की प्रेरणा देने वाला मंगल वक्तव्य आचार्य महाश्रमण ने गुरुवार को धर्मसभा को संबोधित करते हुए दिया। उन्होंने गृहस्थ आश्रम को घोराश्रम बताते हुए कहा कि गृहस्थी को चलाना कठिन होता है और कुछ तनाव तो गृहस्थी बिना मतलब के भी ले लेता है। आचार्य ने समाज में व्याप्त कुरूढिय़ों पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि गृहस्थी में संयम रहना चाहिए। व्यक्तिगत संयम के साथ सामाजिक संयम भी होना चाहिए। तपस्या की साधना भी लोग पैसे के अभाव में नहीं करवाते, यह गलत स्थिति समाज में नहीं रहनी चाहिए। आचार्य ने मृत्यु भोज व तपस्या भोज को कुप्रथा बताया। राजस्थान उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जसराज चौपड़ा ने कहा कि मृत्यु भोज व तपस्या भोज जैसे कार्यक्रम केवल रुपयों का प्रदर्शन व आडंबर है। ऐसे आडंबरों को समय रहते हमें रोक लेना चाहिए। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि व्यक्ति कोई भी क्रिया करे, उससे पहले उसके बारे में पूरा जान ले। ऐसा होने पर वह क्रिया लाभदायी हो सकती है। मंत्री मुनि ने कुप्रथाओं पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आदमी का अज्ञान में चलना सार्थक प्रयास नहीं है। व्यक्ति देखा-देखी का छोड़े और सच्चाई को जाने। ऐसा होने पर सकारात्मक परिवर्तन हो सकते हैं। कार्यक्रम के प्रारंभ में पारसमल गोलेच्छा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए जस्टिस चौपड़ा का परिचय दिया। कार्यक्रम में मुनि किशनलाल ने अपने विचार व्यक्त किए।