ShortNews in English
Jasol: 10.09.2012
Acharya Mahashraman said in his book that everyone want to live. Nobody wants to die. Happy life is possible if life style is good. Honesty is important factor for good life style.
News in Hindi
अच्छी जीवनशैली से ही जीवन सुखी- आचार्य श्री महाश्रमण
जसोल(बालोतरा) १० सितम्बर २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
दुनिया के सभी प्राणी जीना चाहते हैं, मरना कोई नहीं चाहता। कभी-कभी विवशता वश या परिस्थिति वश उन्हें मृत्यु का वरण करना पड़ता है, किंतु सामान्यतया व्यक्ति जीना चाहता है। वह मात्र जीना ही नहीं चाहता, सुखी रहना भी चाहता है। एक सुख वह होता जो बाहर के निमित्तों से मिलता है, जैसे गर्मी के समय पंखा, कूलर सुविधाओं के योग से मिलने वाला सुख। वहीं एक और सुख आदमी के भीतर के साथ जुड़ा हुआ होता है, जिसे मानसिक, भावात्मक या आत्मिक सुख भी कहा जा सकता है। बाहर से सब सुविधाएं मिलने पर भी कई बार आदमी भीतर से दुखी रहता है। बाहर की सुविधा एक बात है और भीतर की शांति मिलना दूसरी । आदमी की जीवनशैली अच्छी हो तो वह सुखी जीवन जी सकता है। मनुष्य एक उच्च कोटि का आदमी है इसलिए उसकी जीवनशैली भी विशिष्ट होनी चाहिए। विशिष्ट जीवनशैली के लिए मैं यदा-कदा चार सूत्र बताया करता हूं। पहला सूत्र है, ईमानदारी के प्रति निष्ठा। आदमी के मन में नैतिक मूल्यों के प्रति, सच्चाई के प्रति, प्रामाणिकता के प्रति निष्ठा जाग जाए। उसमें यह आस्था जाग जाए कि कोई भी कठिनाई आएगी तो उसे झेल लूंगा, किंतु ईमानदारी को नहीं छोड़ूंगा। ईमानदारी की दो बाधाएं हैं, असत्य और चार्य। जहां असत्य और चार्य है, वहां बेईमानी है। आदमी मृषावाद और चोरी की वृत्ति से बचने का प्रयास करे। कभी-कभी आदमी धोखा देने का भी प्रयास करता है। और तो क्या, देवी-देवताओं को भी धोखा दे देता है। अगर शांतिमय जीवन जीना है तो धोखा, बेईमानी को छोडऩा होगा और ऋजुता व सरलता को स्वीकार कराना होगा। सरलता और ईमानदारी, दोनों एक ही बात है। सरलता नहीं है तो फिर ईमानदारी का रहना भी संभव नहीं होगा। इसलिए ऋजुता और प्रामाणिकता, दोनों में अभिन्नता अथवा परम नैकट्य माना गया है। ईमानदारी शुद्ध, निर्मल और शांतिमय जीवन का पहला और प्रमुख सूत्र है।
आचार्य महाश्रमण
आओ हम जीना सीखें