ShortNews in English
Jasol: 09.09.2012
Non-Violence day was celebrated under Anuvrata Udbodhan Week. Acharya Mahashraman said that non-violence be used in lavatory of life. Mantri Muni Sumermal, Muni Vijay Kumar and Muni Madan Kumar also spoke in function.
News in Hindi
जीवन की प्रयोगशाला में अहिंसा का प्रयोग करें: महाश्रमण
जसोल (बालोतरा) ०९ सितम्बर २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
अहिंसा एक ऐसा तत्व है। जिसके साथ संयम की बात भी जुड़ी है। आदमी में संयम की चेतना का विकास होने पर वह अहिंसा की दिशा में बढ़ जाता है। शरीर धारण करने वाले के साथ अहिंसा जुड़ी रहती है। क्योंकि शरीर को चलाने व टिकाने के लिए कुछ अंश तक हिंसा हो जाती है। अहिंसा की चेतना जागृत करने का यह मंगल संदेश आचार्य महाश्रमण ने अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के अंतर्गत मनाए जाने वाले अहिंसा दिवस के अवसर पर दिया।
उन्होंने कहा कि साधु के जागरूक रहने पर, अप्रभत रहने पर उससे केवल दव्य हिंसा ही होती है और जागरूक, वितराग साधु के पाव के नीचे आकर जीव के मरने पर उसके पुण्य का ही बंध होता है क्योंकि साधु जागरुक व वीतरागी है।
आचार्य ने कहा कि आरंभजा हिंसा व प्रतिरोधजा हिंसा आवश्यक हिंसाए हैं। ये कोई घृणित कार्य नहीं है। व्यक्ति को संकल्पजा हिंसा से बचने का प्रयास करना चाहिए। मनुष्य का लक्ष्य बन जाए कि उसे अहिंसा के क्षेत्र के विकास करना है। आचार्य ने कहा कि आदमी अज्ञान, अभाव व आवेश के कारण हिंसा में चला जाता है। भुखमरी भी हिंसा का कारण है। अभाव में स्वभाव बिगड़ता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति दूसरों को अपने समान सुख प्रिय समझे। किसी के साथ बुरा व्यवहार नहीं करें। भू्रण हत्या के संदर्भ में आचार्य ने कहा कि समाज की व्यवस्था सुंदर हो कि आदमी को ऐसा घृणित काम करना ही नहीं पड़े। मनुष्य आवश्यक हिंसा से बचने का प्रयास करें। अहिंसा का लक्ष्य बनने पर अहिंसा जीवन में प्रतिष्ठापित हो जाती है। व्यक्ति अपने जीवन को प्रयोगशाला बनाकर उसमें अहिंसा, अध्यात्म का प्रयोग करें। व्यक्ति के मन में हिंसा के भाव नहीं आए। व्यक्ति के मन में अमंगल के भाव नहीं आए। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि अहिंसा हमारा स्वभाव है। हिंसा विभाव है। अहिंसा नैसर्गिक है। हर प्राणी हिंसा, परिस्थिति, विकल्प स्वार्थवश करता है। धार्मिक व्यक्ति स्वयं को मानसिक, शारीरिक व वाचिक हिंसा से बचाएं। व्यक्ति अहिंसक बनने का प्रयास करें। हर प्राणी में अपनत्व का भाव रखें।
जोधपुर संभाग आयुक्त ने अपने कृतज्ञ भाव व्यक्त करते हुए कहा कि आचार्य के यहां चातुर्मास करने से एक पावन वातावरण बना है। जैन धर्म मानव कल्याण का व वैज्ञानिक धर्म है। पांचों महाव्रत अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य व अपरिग्रह पंथातीत व कालातीतहै। कलेक्टर डॉ. वीणा प्रधान ने आचार्य से आग्रह किया कि वे जहां भी प्रवचन करें तो यह संदेश जरूर दें कि कन्याभू्रण हत्या न हो। कलेक्टर ने कहा कि आप जितने ज्यादा यहां बैठेंगे, उतना ही बाड़मेर के लिए अच्छा है। आपके बैठने के बाद हिंसा की कोई बड़ी वारदात यहां नहीं हुई है। कलेक्टर ने इस संदर्भ में सोनिया गांधी की गत यात्रा के प्रसंग को लेकर कहा कि सोनिया के आने पर लाखों की भीड़ हुई, हमें आशंका थी कि कोई अनहोनी न हो जाए पर किसी के भी हताहत नहीं होने की खबरें मिली। यह आपकी ही कृपा है, आपके ही ओरे का प्रभाव है। कार्यक्रम के प्रारंभ में मुनि विजयकुमार ने अहिंसा भगवती की हम पूजा करें गीत का संगान किया। मुनि मदनकुमार ने अहिंसा पर अपना वक्तव्य दिया। कलेक्टर व संभागीय आयुक्त के प्रति स्वागत भाषण प्रवास व्यवस्था समिति संयोजक गौतम सालेचा ने दिया।