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Jasol: 08.09.2012
Acharya Mahashraman said on occasion of Discipline Day to adopt self discipline. Anyone who has learnt to do self discipline has made close relation with his own soul. Self Discipline is very important thing.
News in Hindi
आत्मानुशासन का है महत्व: आचार्य महाश्रमण
जसोल(बालोतरा) ०८/०९/२०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
अनुशासन एक उपाय है जिसके द्वारा व्यक्ति दुष्कृत्य से मुक्त हो सकता है। अच्छा आदमी अनुशासन को हितकर व बुरा आदमी अनुशासन को अहितकर मानता है। अनुशासन को दूसरों पर करने से ज्यादा अपेक्षा आत्मानुशासन की है। आत्मानुशासन का बड़ा महत्व है। यह अनुशासन का मंगल संदेश तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने उद्बोधन सप्ताह के अंतर्गत शुक्रवार को अनुशासन दिवस पर दिया।
उन्होंने कहा कि आत्मा पर अनुशासन करने के लिए शरीर, वाणी, मन, इंद्रियों पर अनुशासन करना चाहिए। जिसने यह अनुशासन सीख लिया है, उसका आत्मा के साथ संबंध बन जाता है। आचार्य ने कहा कि जो स्वयं पर अनुशासन नहीं करना चाहता, वह दूसरों पर भी अनुशासन करने का अधिकारी नहीं होता। बड़ा बनने की भावना अहंकार की भावना है, इसलिए व्यक्ति नम्र बनने का प्रयास करें। आचार्य ने शास्ता के लिए कहा कि शासक का कर्तव्य है कि वह सज्जनों की रक्षा व दुर्जनों पर कार्रवाई करें। और प्रजा का भरण पोषण करें, यह राजा का धर्म होता है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में अनुशासन व कर्तव्य निष्ठा नहीं होती है तो उसका विनाश हो सकता है। स्वतंत्रता व स्वच्छता दोनों अलग-अलग बात है। स्वच्छंदता होने से ह्रास होता है। विकास के लिए अनुशासन व कर्तव्यनिष्ठा नितांत आवश्यक है। जिस राष्ट्र में सभी लोग नेता बनने की इच्छा भौतिक महत्वाकांक्षा और स्वयं को पंडित समझे तो यह राष्ट्र दुखी हो जाता है। आत्मानुशासन सबके लिए काम का है।
पूर्व गृह राज्य मंत्री अमरा राम चौधरी ने कहा कि मर्यादित व अनुशासित व्यक्ति को ही कामयाबी मिलती है। जीवन में अनुशासन का होना आवश्यक है। तेरापंथ जैसा अनुशासन पूरे हिंदुस्तान में नहीं मिलेगा। उन्होंने आचार्य के प्रति श्रद्धापूर्ण होते हुए कहा कि आचार्य ने हर तबके वर्ग के लोगों को मर्यादित जीवन जीने व अनुशासन में रहने की जो प्रेरणा दी है उसका जितना बखान करें कम है। मुनि विजयकुमार ने अनुशासन के राजमार्ग पर अपने कदम बढ़ाएंगे गीत का संगान किया। प्राचार्य डॉ. सुशीला ने अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए।
पूर्व जन्म अनुभूति के सुनाएं संस्मरण
जसोल(बालोतरा) ०८/०९/२०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
पूर्व जन्म अनुभूति शिविर के समापन अवसर पर आचार्य ने कहा कि अध्यात्म की साधना करना अच्छी बात है। प्रेक्षा प्राध्यापक मुनि किशनलाल ने प्रेक्षाध्यान के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। पूर्व जन्म की अनुभूति की रोचकता के बारे में बताया। मुनि नीरजकुमार ने मनुज कर्मों का नौकर है गीत का संगान किया। शिविर संभागी सुमित नाहटा, दीपक जैन, रामप्रकाश ने अपने अनुभवों की प्रस्तुति दी।