ShortNews in English
Jasol: 05.09.2012
Acharya Mahashraman said that non-violence, morality and Sanyam are pillar of Anuvrata Movement. Strong will power is necessary to follow code of conduct of Anuvrata.
News in Hindi
अणुव्रत पवित्र संकल्पों का प्रयोग है: आचार्य महाश्रमण
जसोल(बालोतरा) ०५ सितम्बर २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
संयम को अणुव्रत की आत्मा बताते हुए अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण ने कहा कि संयम से हटकर अणुव्रत को नहीं देखा जा सकता। व्यक्ति का संकल्प दृढ़ होने पर वह अणुव्रत को ग्रहण कर सकता है। राग मुक्ति जीवन जीने में आनंद है। व्यक्ति राग होने पर त्याग का अभ्यास करें। राग पर त्याग का, भोग पर योग का नियंत्रण रहना चाहिए। ज्ञान-दर्शन-चारित्र मोक्ष से जोडऩे वाली धर्म प्रवृत्तियां है। अणुव्रत अनुशास्ता ने मंगलवार को अणुव्रत प्रेरणा दिवस अवसर पर ये मंगल वक्तव्य दिए।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति मनोरंजन के साथ आत्म रंजन का प्रयास करे। अणुव्रत एक पवित्र संकल्पों का प्रयोग है। बारहव्रती भी एक प्रकार का अणुव्रती है। आचार्य तुलसी ने अणुव्रत के उपक्रम को प्रारंभ किया। हम सभी इस दिवस पर अणुव्रत की प्रेरणा दें। जीवन में अणुव्रत की आचार संहिता संकल्प के साथ रचना के लिए अणुव्रत आचार संहिता आवश्यक है। कोई भी धर्म का व्यक्ति अणुव्रती बन सकता है। व्यक्ति में वैसी ही चेतना जागे, यह अपेक्षा है। अणुव्रत से अपने से अपना अनुशासन होता है। आचार्य ने कहा कि बाजार में नैतिकता की देवी, व्यवहार में अहिंसा की देवी और संयम की देवी विराजमान हो। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि हर व्यक्ति को अपने सामथ्र्य के साथ जीना अच्छा लगता है। व्यक्ति इसलिए अपना सामथ्र्य बढ़ाना चाहता है और शक्ति का जागरण इच्छाओं के सीमाकरण से होता है। संयमित व्यक्ति शक्तिशाली होता है। इसलिए व्यक्ति को अणुव्रती बनना चाहिए। कार्यक्रम में मुनि मदन कुमार ने अपने विचार अणुव्रत के बारे में अभिव्यक्त किए।