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Jasol: 08.08.2012
Acharya Mahashraman said that body is medium for Sadhana of religion. He told students to be alert for good health. Control on food is one way for good health.
News in Hindi
शरीर धर्म की साधना का साधन: आचार्य श्री
जसोल(बालोतरा) ०८ अगस्त २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
जैन तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य श्री महाश्रमण जी ने जसोल में मंगलवार को चातुर्मास प्रवचन के दौरान आत्मा व शरीर को भिन्न बताते हुए कहा कि व्यक्ति को शरीर का अच्छा उपयोग करना चाहिए। आचार्य ने जीवन-विज्ञान के विषय 'शारीरिक व मानसिक विकास' के बारे में कहा कि साधना के लिए शरीर का बड़ा महत्व है। शरीर धर्म की साधना का प्रधान साधन है। सक्षम शरीर से सेवा, साधु-साध्वियों को वंदना आदि की जाती है। इसलिए धर्म की साधना में शरीर का महत्व है।
उन्होंने कहा कि एक विद्यार्थी के लिए शारीरिक विकास भी अपेक्षित होता है। शारीरिक विकास के लिए भोजन का विवेक भी आवश्यक है। केवल खाद्य संयम ही पर्याप्त नहीं है, शरीर को ठीक रखने के लिए खाद्य विवेक भी आवश्यक है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए व्यक्ति जागरूक रहे। वह सवेरे भ्रमण, कसरत आदि करे। दीर्घश्वास का प्रयोग करें। आचार्य ने कहा कि विद्यार्थी के मानसिक विकास व मनोबल का बड़ा महत्व है। विद्यार्थी में भय की प्रवृत्ति नहीं पनपनी चाहिए। विद्यार्थी में सकारात्मक चिंतन होना चाहिए। उसका चिंतन प्रशस्त होना चाहिए। चिंता किए बिना समस्या पर चिंतन करे तो सुंदर समाधान भी मिल सकता है। विद्यार्थी एकाग्र बने, व्यग्र न बने। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी के लिए स्मरण शक्ति का प्रखर होना आवश्यक है। आचार्य ने कार्यक्रम में महाप्राण ध्वनि का प्रयोग कर दिखाया और इसे करने की प्रेरणा दी।
मंत्री मुनि श्री सुमेरमलजी ने व्यक्ति को व्यसन मुक्त होने की प्रेरणा देते हुए कहा कि मनुष्य में ताकत होती है कि वह कोई भी आदत को छोड़ सकता है। व्यक्ति संकल्प कर लेता है तो व्यसन छोड़ भी सकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा में व्रत, संकल्प का बड़ा महत्व है। इसलिए बदलाव लाने के लिए त्याग व संकल्प करवाते हैं। संकल्प व्यक्ति को गिरने से बचा लेता है। संकल्प न होने पर कमजोरी रहती है। आदत को छोडऩे के लिए संकल्प अमोद्य उपाय है। संकल्प में बहुत ताकत होती है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति संकल्प लेने के बाद उस पर दृढ़ रहे। संकल्प से कठिन कार्य भी आसान हो जाते हैं। संकल्प भीतर की शक्ति का जागरण कर देती है। इसलिए व्यक्ति अपने भीतर संकल्प की शक्ति को जगाएं।
मुनि श्री जिनेशकुमार व मुनि श्री पृथ्वीराज ने तपस्या के लिए प्रेरणा दी। मुनि श्री भव्य कुमार के संसार पक्षीय पिता पारस बोथरा ने 40 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। गुलाबी देवी इंद्रचंद भंसाली जो 17 माह से निरंतर एकासन कर रही है, ने आचार्य से 31 जनवरी तक के लिए एकासन करने का प्रत्याख्यान किया।
चौबीसी का संगान पूरा: आचार्य की प्रेरणा से जसोल कन्या मंडल ने प्रवचन से पूर्व चौथे आचार्य जयाचार्य की ओर से रचित चौबीसी का अनुकूलता के अनुसार एक-एक ढाल का संगान किया। मंगलवार को वह संपूर्ण हुआ। कन्याएं राग व लय के साथ हर ढाल का सुंदर संगान समवेत स्वर में करती, तो संपूर्ण परिषद आह्लादित हो उठती।