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Jasol: 28.07.2012
Acharya Mahashraman said that Moksha is possible for those people who are pure by heart. Simplicity should be practiced. Mumukshu Kunal, Khwaish and Dheeraj have given permission to learn Sadhu Pratikraman. Request of Mumukshu to give Diksha was accepted by Acharya Mahashraman.
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व्यक्ति में हो सरलता: आचार्य श्री
सोल(बालोतरा) २८ जुलाई २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
जैन तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने निर्वाण प्राप्त करने के बारे में कहा कि जिसके जीवन में धर्म होता है, वह व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त कर सकता है और जिस व्यक्ति का ह्रदय शुद्ध होता है उसके ह्रदय में धर्म होता है और जो ऋजुभूत या सरल होता है, उसका ह्रदय सरल होता है। आचार्य शुक्रवार को चातुर्मास प्रवचन के दौरान जसोल में धर्मसभा को संबोधित कर रह थे। सरलता को धर्म बताते हुए आचार्य ने कहा कि ऋजु भाव आर्जव होता है। जिस व्यक्ति को यथार्थ की साधना करनी है, उसके लिए ऋजुता की साधना आवश्यक है। सरलता की साधना सभी के लिए सरल नहीं है। अज्ञानता पूर्ण सरलता का महत्व नहीं है। ज्ञानपूर्ण सरलता का विशिष्ट महत्व है। बुद्धि का प्रयोग अच्छे कार्यों में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरलता जीवन में रहती है तो माया से लगने वाले पापों से व्यक्ति बच सकता है। माया अविश्वास के रमण का कारण है। सरलता होने पर विश्वास पुष्ट होता है। व्यवसाय, व्यवहार व मैत्री सभी में सरलता रखनी चाहिए। माया को ऋजुता के भाव से जीता जा सकता है। व्यक्ति के जो बात मन में है उसे ही वाणी में लाए। जिसके मन, वचन व कायिक चेष्टा में एकरूपता है वह महात्मा होता है। सरलता महात्मा या सदात्मा होने का लक्षण है। आदमी द्वारा बात-बात में माया प्रयोग होना उनकी कमजोरी है।
उन्होंने कहा कि साफ-साफ कहने वाले का ह्रदय शुद्ध होता है। सरलता व सच्चाई जुड़ी हुई है। सच्चाई तभी संभव है, जब सरलता होती है। आदमी जागरूक रहे। वह कर्मों के बंधन, पाप कर्मों के बंधन से बचने का प्रयास करें। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि हर व्यक्ति शांति की खोज में रहता है, और शांति को चाहता है। मंत्री मुनि ने कहा कि अगर व्यक्ति शांत व सहज ङ्क्षचतन वाला हो तो वह अशांत वातावरण में भी शांत रह सकता है और ऐसा व्यक्ति ही धार्मिक होता है। धार्मिक व्यक्ति कर्म भोगने में समभाव रहता है। धार्मिक व्यक्ति अनुकूलता में अहम् न करें, प्रतिकूलता में हीन भावना में न आए, वो मध्यस्थ रहें।
मुमुक्षु इच्छा, लेनी है दीक्षा: मुमुक्षु ख्वाहिश मुंबई, धीरज बालोतरा व कुणाल समदड़ी द्वारा आचार्य से दीक्षा की अर्ज पर आचार्य ने उन्हें साधु प्रतिक्रमण सीखने का आदेश दिया।
सेतिया(बंगाल) से समागत श्रावक-श्राविकाओं ने आचार्य से वहां आने की अर्ज है। सभा के अध्यक्ष तिलोकचंद भूरा ने अपने भाव अभिव्यक्त किए। महिला मंडल की सदस्याओं ने भाव-भरा गीत प्रस्तुत किया। मुमुक्षु कुणाल, मुमुक्षु ख्वाहिश व मुमुक्षु धीरज ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन मुनि हिमांशु कुमार ने किया।