ShortNews in English
Jasol: 22.07.2012
Acharya Mahashraman and Mohan Bhagwat discussed role of moral values in building strong nation. Acharya Mahashraman opined that development of nation is possible by character building. Mohan Bhagwat expressed his happiness to meet Acharya Mahashraman and told that I am feeling energy and my battery recharged.
News in Hindi
नैतिक व चारित्र विकास से राष्ट्र का विकास: आचार्य
जसोल (बालोतरा) २२ जुलाई २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
ज्ञानी आदमी के ज्ञान का सार है कि वह हिंसा न करे। चारित्र का एक महत्वपूर्ण व केन्द्रीय बिंदू है अहिंसा। जिस व्यक्ति में अहिंसा व्याप्त हो जाती है, उस व्यक्ति में नैतिक मूल्य आ जाते हैं और उसका चारित्रिक विकास हो जाता है। यह नैतिक मूल्यों की प्रतिष्ठना की प्रेरणा आचार्य महाश्रमण ने 'राष्ट्र निर्माण में नैतिक मूल्यों की भूमिका' विषय पर दी। उन्होंने कहा कि हम भारत में जी रहे हैं और भारत संतों की भूमि है। अनेकों ऋषि-मुनियों ने यहां तप तपा है, साधना की है और आत्मसाक्षात्कार तक पहुंचे हैं। आचार्य महाश्रमण शनिवार को चातुर्मास प्रवचन के दौरान धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने राष्ट्र के विकास के लिए भौतिक, आर्थिक, नैतिक व आध्यात्मिकता की प्रेरणा देते हुए कहा कि राष्ट्र के विकास के लिए भौतिक विकास अपेक्षित है और भौतिक विकास बिना आर्थिक विकास संभव नहीं है। ये दोनों भी अपूर्ण विकास है जब नैतिक व आध्यात्मिक विकास नहीं होता है। व्यक्ति में नैतिक मूल्यों के प्रति निष्ठा होनी जरूरी है। निष्ठा पर नैतिकता आत्मसात हो सकती है। आरएसएस के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत के बारे में आचार्य ने कहा कि मनीषी लोगों के विचार भी महानता लिए होते हैं। वे श्रोत्य व मननीय होते हैं। ऐसे विचारों से सुंदर प्रेरणा मिलती है।
आचार्य के दर्शन से बैट्री चार्ज: भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक डॉ. मोहनराव भागवत ने आचार्य की सन्निधि में हर्षित होकर कहा कि ऐसे संत नैतिक मूल्यों के उदाहरण है। इनके सामीप्य व दर्शन से साल भर के लिए बैट्री चार्ज हो जाती है। इसलिए साल में एक बार दर्शन करने जरूर आता हूं। और आगे भी आने का मन रखता हूं। डॉ. भागवत ने नैतिक मूल्यों के विकास के संदर्भ में कहा कि चारित्र के बिना देश का विकास असंभव है। व्यक्ति को विवेकपूर्ण तरीके से अपनी क्रिया करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत के विकास से ही विश्व का विकास संभव है।
साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा ने कहा कि आदमी वह है जिसमें नैतिकता व ईमानदारी है। आचार्य तुलसी ने नैतिकता के निर्माण के लिए अणुव्रत का अवदान दिया। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि राष्ट्र के निर्माण में नैतिकता व चारित्र का विकास आवश्यक है। व्यसनशीलता, चारित्र हीन, अनैतिक देश कभी विकास नहीं कर सकता। कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रवास व्यवस्था समिति के संयोजक गौतमचंद सालेचा व अध्यक्ष जसराज बुरड़ ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में आचार्य महाप्रज्ञ के प्रवचन श्रृंखला की पुस्तक 'महाप्रज्ञ ने कहा' के 43वें भाग के लोकार्पण पर आचार्य ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ एक मनीषी पुरुष थे। अनेक लोग उनकी वाणी से लाभांवित हुए है। आचार्य ने इस पुस्तक का संपादन करने वाली मुख्यानियोजिका साध्वी विश्रुत विभा व मुनि जयकुमार का भी उल्लेख किया। मुनि जयकुमार ने विचार व्यक्त किए। मंत्री शांतिलाल भंसाली ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम के अंत में डॉ. मोहनराव भागवत का प्रवास व्यवस्था समिति के पदाधिकारियों की ओर से मोमेंटो व साहित्य से सम्मान किया गया। इससे पूर्व डॉ. मोहनराव भागवत आचार्य की सन्निधि में पहुंचे और संक्षिप्त वार्ता की।