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Balotara: 25.05.2012
Poem on Acharya Mahashraman by Sadhvi Pramukha Kanak Prabha.
News in Hindi
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इस युग के तुम महावीर
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इस युग के तुम महावीर हो,
तुम रहीम तुम ही राम हो!
कृष्ण, बुद्ध, गांघी तुम ही हो,
तुम हो सबके पुजाधाम!
महाप्रज्ञ के सहयोगी तुम,
अमृत महोत्सव का उपहार!
अपना हित सबका हित साधो,
रचो स्वय नूतन संसार!
महाश्रमण का पद गरिमामय,
नई शक्ति का अभिसंचार!
क्षमताये तब सहज उजागर,
भरा हुआ भीतर भंडार!
अन्तरंग परिषद से जुड़ फिर,
करते रहे कार्य निष्काम!!
दो-दो आचार्यो ने मिलकर
किया तुम्हारा नव निर्माण!
गण संचालन कला सिखाई,
प्रणत हो रहा सकल जहान!!
आर्हत संकृति के सूर्योदय!
है तुम पर सात्विक अभिमान!
नये क्षितिज का उद्घाटन हो,
करो अनूठा अनुसंधान!
आँखों में छवि बसे तुम्हारी
अधरों पर मुखरित हो नाम!!
जय जय ज्योति चरण जय जय महाश्रमण
साध्वी प्रमुखा श्री कनकप्रभा जी द्वारा
जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो