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Kanana: 24.05.2012
Acharya Mahashraman said that everyone want to live. Do not harm to anyone. Develop feeling of compassion.
News in Hindi
व्यक्ति में अनुकंपा का विकास हो: आचार्य
बालोतरा २४ मई २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
अहिंसा यात्रा के माध्यम से अनुकंपा की चेतना के विकास की प्रेरणा देते हुए आचार्य महाश्रमण ने कहा कि जन-जन में करुणा की चेतना के जागृत होने से दयावान आदमी कई पापों से बच सकता है। उन्होंने कहा कि दया अनुकंपा का विकास हो जाने पर चेतना निर्मलता की ओर आगे बढ़ती है। अनुकंपा को महत्वपूर्ण सूत्र बताते हुए आचार्य ने कहा कि व्यक्ति के मन में संकलिष्ट के प्रति करुणा की भावना रखनी चाहिए। करुणा का भाव होने पर व्यक्ति अपराधों से बच सकता है। करुणा के अभाव में ही व्यक्ति बेईमानी करता है। आचार्य बुधवार को कनाना गांव में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने राजनीति को सेवा का माध्यम बताते हुए कहा कि जो व्यक्ति सेवा के माध्यम से राजनीति में आता है, वो राष्ट्र की सेवा है।
उन्होंने कहा कि हर प्राणी जीना चाहता है। व्यक्ति किसी भी प्राणी को दु:ख नहीं दे, उसे पीड़ा नहीं पहुंचाए। व्यक्ति किसी भी प्राणी के अस्तित्व को अस्वीकार न करें। दूसरों की तकलीफ को स्वयं की तकलीफ समझें तथा दूसरों के प्रति दया का भाव रखे। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि गुरुओं का आगमन क्षेत्र के विकास का कारण बनता है। धर्मगुरु पधारते हैं वहां लोगों में आध्यात्मिक वातावरण का निर्माण हो जाता है। गुरु अपने निकट आने वाले व्यक्ति के भीतर के अंधकार को खत्म कर देते हैं।
गुरु की शरण वर्तमान को निर्विघ्न व भविष्य को प्रशस्त कर देती है। कार्यक्रम की शुरुआत में महिला मंडल की ओर से मंगलाचरण के रूप में अभिनंदन गीत प्रस्तुत किया गया। प्रवास व्यवस्था समिति संयोजक अमृतलाल कोठारी, सभाध्यक्ष शिवलाल बाफना, पचपदरा विधायक मदन प्रजापत, राष्ट्रीय ज्ञानशाला संयोजक सोहनराज चौपड़ा, मुमुक्षु परिमल पारलू व ठाकुर राजेन्द्रसिंह ने विचार व्यक्त किए।
महिला मंडल की ओर से संस्कार पत्र भेंट किए गए। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया।