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Balotara: 18.05.2012
Acharya Mahashraman gave message of amity towards all.
News in Hindi
जीवों के प्रति हो मैत्री भाव: आचार्य
बालोतरा १८ मई २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
आचार्य महाश्रमण ने जनमानस को मैत्री का संदेश देते हुए कहा कि दूसरों का हित करना ही मैत्री है। व्यक्ति को चाहिए कि वह अहित करने वालों के प्रति भी मंगल मैत्री की भावना रखे। प्राणी मात्र के प्रति मैत्री व विनम्रता का भाव रखना बड़ी बात है। आचार्य महाश्रमण गुरुवार को नया तेरापंथ भवन में धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। आचार्य ने कहा कि आत्मा ही व्यक्ति की परम मित्र होती है। आत्मा अगर दुष्प्रवृत्ति में लगी हुई है तो वह शत्रु है और आत्मा अगर सद्प्रवृत्ति में लीन है तो वह मित्र है। व्यक्ति को अपनी आत्मा को ही मित्र बनाना चाहिए क्योंकि स्वयं की आत्मा ही काम आती है। जैन पर्व संवत्सरी के बारे में आचार्य ने कहा कि इस दिन और इसके दूसरे व्यक्ति एक दूसरे से खमतखामण करते हैं। इसलिए मैत्री को पुष्ट करने का यह एक प्रायोगिक पर्व है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति अपने भीतर किसी भी प्रकार की बात गांठ नहीं बनने दें।
परस्पर उदारता, स्नेह भाव रखने का प्रयास करें। मंत्री मुनि सुमेरमल ने जीवन में ज्ञानपूर्वक व विधिपूर्वक कार्य कर जीवन को सफल बनाने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम के प्रारंभ में मुनि राजकुमार ने 'उठ जाग अरे भाई' गीत का मधुर संगान किया। कार्यक्रम के अंत में शिल्पा गांधी मेहता ने गीत का संगान किया।
रामलाल बागरेचा की ओर से पारलू में दीक्षा महोत्सव मनाने के लिए आचार्य का आभार ज्ञापित किया।
कार्यक्रम का संचालन मुनि हिमांशु कुमार ने किया।