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Pali: 09.04.2012
Acharya Mahashraman told that we should respect Guru without any prejudice. Even Guru tell something to his disciple that is also for certain reason and for interest of pupil.
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गुरु के उलाहने में शिष्य हित: आचार्य महाश्रमण
गुरु के उलाहने में शिष्य हित: आचार्य महाश्रमण
पाली। ०९ अप्रेल २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
आचार्य महाश्रमण ने रविवार को वीडी नगर में प्रवचन के दौरान गुरु के उलाहने व कड़ाई को शिष्य का परिष्कार व विकास करने वाली बताते हुए कहा कि गुरु की डांट में शिष्य को दुख देने की भावना नहीं होती है। भावना शिष्य के हित की होती है। उन्होंने कहा कि जो शिष्य गुरु की तिरस्कार युक्त कठोर डांट को भी सहन कर लेता है, वह महानता को प्राप्त हो जाता है। शिष्य को गुरु के आदेश को शिरोधार्य करके उसकी सम्यक अनुपालना करनी चाहिए। हमारे धर्म संघ में गुरु इंगित को शिरोधार्य मानने का संस्कार स्वाभाविक रूप से है। गुरु के प्रति निष्ठा, समर्पण की भावना और उनकी दृष्टि के प्रति आराधना होनी चाहिए तथा गुरु की डांट को श्रद्धा के साथ स्वीकार करना चाहिए। आचार्य ने कहा कि हमारे संघ में सेवा का एक अच्छा संस्कार है। संतों में काफी विनय भाव व भक्ति है। साधु-साध्वियों के हर कार्य में निर्जरा की भावना और संयम की चेतना रहनी चाहिए। वे हर प्रकार की परिस्थिति को समता भाव से सहन करने का प्रयास करें।