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Sojat: 04.04.2012
Acharya Mahashraman inspired people to avoid anger. He asked to develop quality of politeness and to avoid ego. For peaceful life these things are necessary.
News in Hindi
क्रोध का त्याग भी एक साधना: महाश्रमण
धीनावास और सोजत में हुआ आचार्य महाश्रमण अहिंसा यात्रा का स्वागत
सोजत ०३ मार्च २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
जीवन में सुख-शंाति के लिए मनुष्य को क्रोध पर नियंत्रण रखना अति आवश्यक है। क्रोध भी एक नशा है। जिसके वशीभूत होकर मनुष्य उपद्रवी बन जाता है। प्रेक्षा ध्यान के द्वारा चिंतन कर जीवन में परिवर्तन लाया जा सकता है। यह बात युवा मनीषी एवं जैन तेरापंथ संप्रदाय के आचार्य महाश्रमण ने सोमवार दिन में समीपवर्ती ग्राम धीनावास में आयोजित धर्म सभा में उपस्थित श्रद्धालु़ओं को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने बताया कि मनुष्य को विनय के गुण सीखने चाहिए। साथ ही कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए। अनावश्यक बात को ज्यादा लंबी तानने से आपसी प्रेम भाव में विरोध पैदा हो जाता है। अहिंसा के द्वारा ही क्रोध पर नियंत्रण किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि परिवार में शांति के लिए व्यवहार में शालीनता का होना अतिआवश्यक है।
महाश्रमण ने प्रेरणा देते कहा कि व्यक्ति में विनम्र का विकास होना चाहिए। व्यक्ति अगर किसी के सामने विनम्र बनेगा तो सामने वाला भी उसके सामने विनम्र ही रहेगा। दुव्र्यसनों के कारण मनुष्य को सदैव क्रोधी होना पड़ता है। इसके लिए क्रोध को त्याग कर शंाति से कार्य करना भी एक साधना है। इस अवसर पर मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि संत जीवन जीने की कला सिखाते हैं। जिससे मनुष्य सुखी हो सकता है। परम के नजदीक पहुंचने के लिए मनुष्य को सदैव प्रयास करना चाहिए।
धर्मसभा में धवल सेना के साथ धीनावास निवासी एवं अपनी दीक्षा ग्रहण के बाद प्रथम बार अपने गांव धीनावास पहुंचने वाली साध्वी दर्शन विभा ने भी अपने संबोधन में अपने ग्रामवासियों को आचार्य के धीनावास आगमन को ऐतिहासिक बताते हुए अपने दुर्गुणो व नशावृति के त्याग का संकल्प लेने की प्रेरणा दी। साथ ही अपनी जन्मभूमि पर गुरूदेव महाश्रमण गुरुवर्या महासती कनक प्रभा सहित धवलसेना के साथ यहां पहुंचने वाले संतों व साध्वीवृंदों का अभिनंदन भी किया गया। इससे पूर्व धीनावास सरपंच परमेश्वर खत्री, आयोजन समिति के मीठालाल नवलखा, सोहनलाल कांकलिया, ललित कांकलिया, पूर्व सरपंच ढगला राम सीरवी ने भी आगंतुक संतगणों का भावभीना अभिनंदन किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया। प्रारंभ में मांगीलाल भायल, तुषार बोराणा, शीतल लोढा, ऋतिका मालवी, डगराराम पंवार सहित अन्य कर्मणा जैन समिति के कार्यकर्ताओं ने भी गीतिका, कविता व भजनों के माध्यम से मुनिवृंदों का अभिनंदन किया।
महाश्रमण व धवलसेना का स्वागत
इससे पूर्व सोमवार प्रात: ग्राम सियाट से धीनावास जाते समय महाश्रमण व उनकी धवलसेना के संतों व साध्वीगण स्थानीय मरुधर केसरी गुरू सेवा समिति पहुंचे। जहां समिति के सहमंत्री मगराज धोका व पदम राज धोका आदि ने सभी का अभिनंदन किया।