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Pali: 04.04.2012
Acharya Mahashraman told that Non-violence is eternal religion. All creatures want to live nobody want to die. Teaching of Lord Mahavir is relevant even today.
News in Hindi
जीयो और जीने दो: आचार्य महाश्रमण
Wednesday, 04 Apr 2012 12:06:22 hrs ईस्ट जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
पाली। आचार्य महाश्रमण ने कहा कि अहिंसा शास्वत धर्म है। व्यक्ति को जीयो और जीनो दो के सिद्धांत का पालन करना चाहिए। कोई भी जीव मारने लायक नहीं है। वे मंगलवार को जॉडन स्थित ओम विश्वदीप गुरूकुल आश्रम में पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे।
उन्होंने हिंसा को परिभाषित करते हुए कहा कि हिंसा तीन प्रकार की होती है। रक्षा के लिए की गई हिंसा प्रतिरोधक हिंसा कहलाती है। दूसरों का अर्थ हड़पने के साथ आवेश आने पर होने वाली हिंसा को सम्पदा हिंसा कहा जाता है। व्यक्ति को सम्पदा हिंसा से बचना चाहिए।
भगवान महावीर ने चोरी नहीं करने, अपरिग्रह, सत्व व अहिंसा का पालन करने का उपदेश दिया। महावीर के उपदेश आज भी प्रासंगिक हैं कल व आने वाले हजार वर्षो में भी प्रासंगिक होंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि एक वर्ष पूर्व ही उन्होंने पाली में महावीर जयन्ती मनाने का निर्णय लिया था। बाड़मेर जिले में वह लम्बी अवधि तक प्रवास करेंगे। जसोल में चातुर्मास के साथ बाड़मेर जिले के गांव-गांव में जाएंगे। आगामी छह वर्षो की योजना का उल्लेख करते हुए आचार्य ने कहा कि वह 2013 में लाडनूं, 2014 में दिल्ली में चातुर्मास करेंगे। 2015 में नेपाल के विराट नगर, 2016 में असम के गुवाहाटी, 2017 में पश्चिम बंगाल के कोलकाता व वर्ष 2018 में ओडिशा जाएंगे। उन्होंने युवाओं को नशे से बचने की सीख देते हुए कहा कि लोगों को नशा मुक्त जीवन जीना चाहिए। साथ ही कन्या भू्रण हत्या भी बंद होनी चाहिए।