ShortNews in English
Bagri: 01.04.2012
Religious Revolution was Done by Acharya Bhikshu in Samvat 1817 at Bagri. Acharya Mahashraman reached today at Bagri.
News in Hindi
बगड़ी नगर ०१ अप्रेल २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
ग्राम के मुख्य बस स्टैंड के पास बना आचार्य भिक्षु अभिनिष्क्रमण स्थल स्थित छतरी एक स्मारक के रूप में न केवल तेरापंथ धर्म संघ के प्रथम आचार्य भिक्षु द्वारा धर्म क्रान्ति की दिशा में उठाए गए पहले कदम की याद दिलाता है, अपितु गांव के प्रथम शासक राष्ट्रनायक वीर शिरोमणि राव जैता जी की शौर्य गाथा का भी बखान करता है। कहते हैं दैहिक जीवन अशाश्वत है। इतिहास के सृष्टा भी इसके अपवाद नहीं है। वे भी चले जाते हैं, किंतु इनकी प्रेरणा इतिहास को कभी विस्मृत नहीं होने देती।
राव जैतसिंह थे बगड़ी के प्रथम शासक
बगड़ी नगर ०१ अप्रेल २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
राव पंचायण राठौड़ के पुत्र वीर शिरोमणि राव जैतसिंह संवत 1574 में बगड़ी के प्रथम शासक बने । उनके शासनकाल में लोगों में सुरक्षा की भावना पनपी और ग्राम में विकास भी हुआ। राव जैता ने राष्ट्र की सुरक्षा के लिए दुश्मनों से 52 बार युद्ध लड़ा। अपने अंतिम युद्ध संवत 1600 में शेरशाह सूरी की विशाल सेना से सुमेर घाटी में झूंझते हुए वह वीरगति को प्राप्त हुए। इनकी दसवीं पीढ़ी में उनके वंशज राव पहाड़ सिंह हुए । उन्होंने योद्धा जैतसिंह की स्मृति में बगड़ी के बाहर जैतल तालाब और उसकी पाल पर इस छतरी का निर्माण करवाया ।
भिक्षु का प्रथम विश्राम स्थल
बगड़ी नगर ०१ अप्रेल २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
श्मशान भूमि में बने इस योद्धा के अंतिम स्मृति-स्थल को क्रांतिकारी संत भिक्षु ने अपनी मंजिल पर चलने का प्रथम स्थान बनाया। संवत 1817 की चैत्र शुक्ला नवमी के दिन तेरापंथ के प्रथम आचार्य भिक्षु ने अपने दीक्षा गुरू रघुनाथजी महाराज से पृथक होकर इस छतरी में प्रथम रात्रि विश्राम किया । यहीं से आरंभ हुई एक अभिनव क्रान्ति। आचार्य भिक्षु द्वारा किए गए अभिनिष्क्रमण ने बगड़ी तथा प्रथम प्रवास ने इस छतरी को तेरापंथ के गरिमामय इतिहास से जोड़ दिया। इस ऐतिहासिक छतरी पर आसोज शुक्ला दुर्गाष्टमी को वीर शिरोमणि राव जैता जयंती दिवस एवं चैत्र शुक्ला रामनवमी के दिन आचार्य भिक्षु अभिनिष्क्रमण दिवस मनाया जाता है।
अभिनिष्क्रमण दिवस समारोह आज
बगड़ी नगर ०१ अप्रेल २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो