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Mundara: 29.02.2012Keep full faith over Deva, Guru and Dharam to get Samayak Darshan. Samyak knowledge is not possible without strong faith.
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'सम्यक श्रद्धा के बिना सम्यक ज्ञान नहीं'
'सम्यक श्रद्धा के बिना सम्यक ज्ञान नहीं'
यात्रात्नआज पहुंचेगी रमणिया (आनंद धाम) में अहिंसा यात्रा
मुंडारा २९ फरवरी २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
आचार्य महाश्रमण ने चंपा विहार में प्रवचन देते हुए कहा कि ज्ञान, दर्शन, चरित्र व तप मोक्ष का मार्ग है। यह मार्ग जिनेश्वरों द्वारा बताया गया है। सम्यक श्रद्धा जहां होती है वहां सम्यक ज्ञान हो सकता है। सम्यक श्रद्धा के बिना सम्यक ज्ञान भी नहीं होता है। महाश्रमण ने कहा कि देव, गुरु व धर्म के प्रति व्यक्ति में श्रद्धा होनी चाहिए। अर्हत हमारे देव है, शुद्ध साधु हमारे गुरु है और वीतराग द्वारा बताया गया तत्व, दर्शन धर्म है। जहां राग-द्वेष है वो हमारे देव नहीं हो सकते। वो आत्मा नमनीय है जिसके राग-द्वेष आदि दोष समाप्त हो गए हैं। जैन शासन में प्रचलित नमस्कार महामंत्र का मूल वीतरागता को बताते हुए महाश्रमण ने कहा कि नमस्कार महामंत्र की आत्मा वीतरागता है। वीतरागता के बिना नवकार मंत्र जड़वत हो जाएगा। नवकार महामंत्र जैन शासन में प्रतिष्ठित मंत्र है। इसकी विशेषता है कि इसमें किसी व्यक्ति विशेष का नाम नहीं है। यह गुणात्मक मंत्र है। यह विघ्न निवारण व कर्मों का क्षय करने वाला मंत्र है। महाश्रमण ने कहा कि व्यक्ति का आचरण अच्छा व नैतिक होना चाहिए। व्यक्ति ब्रह्मचर्य, असंग्रह जैसे छोटे-छोटे नियमों को अपनाकर अपना आचरण पवित्र कर सकता है। अणुव्रत व्यक्ति को जीवन में संयम का संदेश देता है। व्यक्ति के जीवन में सम्यक ज्ञान नहीं होने से उसका जीवन अव्यवस्थित हो जाता है। मानव जीवन मूल्यवान है, जिसे तुच्छ चीजों शराब, नशा, कलह, लोभ आदि में न गवाएं। इस दौरान साध्वी प्रमुखा कनक प्रभा आदि संतों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। धर्मसभा का संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया। आचार्य महाश्रमण सहित साधु-साध्वी बुधवार सुबह रमणिया (आनंद धाम) में नगर प्रवेश कर रात्रि विश्राम करेंगे।
मुंडारा. प्रवचन देते आचार्य एवं उपस्थित श्रावक-श्राविकाएं।