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Ichalkaranji: 25.02.2012Santhara of Pani Devi Chopara Completed. Devotees Attends last Journey.
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सौ. पानीदेवी चौपडा की वैकुंठ यात्रा में उमड़े श्रद्धालूइचलकरंजी. दिनांक २४.०२.१२
स्थानीय जैन श्रावक श्री रिषभचंदजी चौपडा की धर्मपत्नी सौ. पानीदेवी चौपडा ने दिनांक २३.०२.२०१२, गुरूवार को अपनी पूर्ण जागरूक अवस्था में आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी श्री कुन्थुश्रीजी के मुखारविंद से आजीवन तीनो आहारो का त्याग कर संथारा ग्रहण किया था. दिनांक २४.०२.२०१२ को रात्रि १२.५० मिनिट पर आपने देह-त्याग किया. दोपहर करीब २ बजे उनके निवास स्थान से प्रारंभ हुई वैकुण्ठ यात्रा शहर के प्रमुख मार्गो से जब निकली तो गणमान्य व्यक्ति, बाल-वृद्ध, महिला आदि श्रद्धालुओ की भीड़ अंतिम दर्शन हेतु उमड़ पड़ी. अंतिम यात्रा के समय साध्वी श्री कुन्थुश्रीजी आदि ठाणा ४ ने मंगल पाठ फरमाया. आपके संथारा के प्रति मंगल भावना हेतु आचार्य श्री महाश्रमणजी ने भी ग्राम सायरा (राजस्थान) से सन्देश फरमाया.
आपकी उम्र ७४ वर्ष थी. आपका जीवन अध्यात्मिक एवं त्यागमय था. उन्होंने अनेको तपस्याए जैसे कि सिद्धितप, वर्षीतप, मासखमण, अनेको अट्ठाई एवं अट्ठाई के ऊपर की तपस्या, अनेको पंचोले, तेले-तेले पारणा, बेले-बेले पारणा, अनेको एकांतर आदि तप किये. आपके पश्चात परिवार में आपके पति, दो पुत्र-पुत्रवधु, तीन पुत्रीया-दामाद, पौत्री-दामाद, पौत्र-पौत्री, नाती आदि भरा पूरा परिवार है. आपके संथारा के अनुमोदनार्थ सैंकडो श्रावक - श्राविकाओ ने त्याग-प्रत्याख्यान किये. स्मृति-सभा दिनांक २९.०२.२०१२, बुधवार को प्रात: १० बजे तेरापंथ भवन में रखी गयी है.