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Kucholi: 17.02.2012
Sanyam is Important in Sadhana: Acharya Mahashraman
News in Hindi
अध्यात्म के साधनों में संयम महत्वपूर्ण
कुचोली में आचार्य महाश्रमण ने श्रावकों को संयम की प्रेरणा दी
कुंभलगढ़ १७ फरवरी २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
आचार्य महाश्रमण ने श्रावकों को संयम की साधना की सीख दी है। उन्होंने कहा कि अध्यात्म के
साधनों में संयम का महत्वपूर्ण स्थान है। संयम के साथ साधना की जाए तो साधना निश्चय ही फलीभूत होती है।इसके उलट संयम से भटका व्यक्ति साधना पथ पर नहीं चल सकता।
आचार्य श्री गुरुवार को कुचोली में धर्म सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आदमी कछुए की तरह अपनी इन्द्रियों को समेटना सीखे। इन्द्रियों का प्रयोग राग द्वेष से मुक्त होकर करे तो उस आदमी की प्रज्ञा प्रतिष्ठित हो जाती है। आचार्य ने हिंसा का मूल कारण परिग्रह को बताते हुए कहा कि इससे व्यक्ति अपराध की दुनिया की ओर अग्रसर होता है। हिंसा से दूर रहने के लिए व्यक्ति को अपरिग्रह बनने की आवश्यकता है। भागवत गीता में उल्लेखित अहिंसा और हिंसा को लेकर भगवान कृष्ण व अर्जुन के बीच चले वार्तालाप के प्रसंग को प्रस्तुत करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि व्यक्ति को काम और क्रोध की वृत्ति अपराध की ओर प्रवृत करती है। आवेश और क्रोध को नियंत्रित करने के लिए कामना पर अंकुश लगाने की प्रवृति विकसित होनी चाहिए।
अहिंसा को कार्य और अपरिग्रह को कारण के रुप में परिभाषित करते हुए कहा कि शरीर, मन और वाणी से हिंसा जागृत हो सकती है। इसलिए व्यक्ति को इन पर सदैव नियंत्रण रखने का प्रयास करना चाहिए। अहिंसा की चेतना पुष्ट होने से अनावेश की स्थिति आ सकती है। आचार्यश्री ने तेरापंथ के प्रथम आचार्यश्री भिक्षु का एक प्रसंग प्रस्तुत करते हुए कहा कि किसी व्यक्ति को इस ओर मनन करने का प्रयास नहीं करना चाहिए कि आज मैंने उस व्यक्ति का मुंह देख लिया है। अब तो दिन बेकार चला जाएगा। ऐसी सोच व्यक्ति को पीछे की ओर धकेलती है। जो काम करते है उसका विरोध भी होता है। इससे पूर्व महाश्रमण के काकरवा से विहार कर कुंचोली पहुंचने पर रास्ते में जगह जगह ग्रामीणों ने आचार्य का अभिनंदन किया। इस दौरान शंकरलाल जैन, रमेश जैन, हिम्मत जैन, गुंदाली के पूर्व सरपंच राकेश जैन सहित कई श्रावक उपस्थित थे। by bahasker news