12.02.2012 ►Charbhuja ►Purity of Thinking is Necessary for Success

Published: 12.02.2012
Updated: 02.07.2015

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Charbhuja & Diver: 12.02.2012
Purity of Thinking is Necessary for Success: Acharya Mahashraman

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चारभुजा/दीवेर १२ फरवरी २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो

आचार्य महाश्रमण ने सफलता के लिए विचारों की पवित्रता को जरूरी बताया है। उन्होंने कहा कि विचार पवित्र हो तो व्यक्ति ऊंचाइयों तक पहुंच जाता है। विचारों से ही व्यक्ति का आचरण और संस्कार बनते हैं।

आचार्य श्री शनिवार को सोलंकी फार्म हाउस में धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विचार व आचार दो पक्ष हैं, जिसमें दो पक्षों की योजना कड़ी है। संस्कार सही हों तभी हमारी भावना सही होगी। भावना का महत्व बताते हुए आचार्य ने कहा कि अगर व्यक्ति विद्वान है और उसमें शुद्ध भाव नहीं हैं तो उसको जीवन में सुख नहीं मिलता। इसी तरह अगर व्यक्ति के जीवन में मोह का प्रभाव है तो वह शांति नहीं प्राप्त कर सकता। आचार्य ने कहा कि कभी अतीत का चिंतन नहीं करना चाहिए। भविष्य में क्या होगा। इसके विचार की भी आवश्यकता नहीं है। वर्तमान में क्या हो रहा है। इस पर चिंतन की जरूरत है। श्रेष्ठ संस्कारों को जीवन में उतारकर सतत उपासना करें और आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि आज का काम कल पर छोडऩे की प्रवृत्ति गलत है। धर्मसभा के अंत में फार्म हाउस के महेश प्रतापसिंह ने आभार ज्ञापित किया। नरेश मेहता, गोपीलाल, देवीलाल टांक, विकास दवे, कन्हैयालाल कच्छारा, भंवरलाल खाब्या, हस्तीमल चंडालिया, ललित चोरडिय़ा ने भी विचार रखे।

आचार्य आज चारभुजा पधारेंगे:
आचार्य महाश्रमण कितेला से विहार कर साथिया होते हुए रविवार सुबह नौ बजे चारभुजा पधारेंगे। यहां से अहिंसा रैली निकलेगी तथा नवनिर्मित आचार्य महाश्रमण विहार का लोकार्पण होगा।

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