16.11.2011 ►Kunwaria ►Decencies and Politeness Are Quality of Good Person► Acharya Mahashraman

Published: 16.11.2011
Updated: 21.07.2015

Short News in English

Location: Kunwaria
Headline: Decencies and Politeness Are Quality of Good Person► Acharya Mahashraman
News: Acharya Mahashraman addressed local people and told to see habit of self. Decencies and politeness are good quality of every good person. He should make his habit accordingly. It was desire of one devotee that we visit Kunwaria

News in Hindi

कुंवारिया प्रवास के दौरान आचार्य महाश्रमण ने श्रावक सभा में कहा

स्वभाव की शालीनता मनुष्य को महान बनाती है...

कुंवारिया प्रवास के दौरान आचार्य महाश्रमण ने श्रावक सभा में कहा

कुंवारिया १६ नवर २०११ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो

मनुष्य के स्वभाव में शालीनता का भाव होना चाहिए। शालीनता व विनम्रता के गुण ही उसके व्यक्तित्व को महान बनता है। अहंकार उस मनुष्य को गर्त में धकेल देता है। मनुष्य को स्वयं के गुण-दोष देखकर अपने स्वभाव में परिवर्तन का प्रयास करना चाहिए।

उक्त विचार आचार्य महाश्रमण ने मंगलवार को कुंवारिया प्रवास के दौरान राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय प्रांगण में श्रावक सभा में व्यक्त किए। आचार्य महाश्रमण ने कहा कि आज मनुष्य अल्पता के लिए बड़े का त्याग करता है, जबकि संत बड़े के लिए थोड़े का त्याग करता है। इसका आशय यह है कि मनुष्य उस तत्व को भूल जाता है, जो उसे मोक्ष की ओर ले जाता है। उस महान लाभ का त्याग कर छोटे-छोटे स्वार्थों की प्राप्ति में जीवन की सार्थकता समझता है, जबकि संत इन स्वार्थों को क्षणभंगुर समझता है।

संत सांसारिक सुखों का त्याग करते हैं, इसलिए भक्त उनका सानिध्य प्राप्त कर अपने मन में राम रूपी भगवान को जाग्रत करने का प्रयास करता है। अगर मनुष्य को अपना जीवन सुखी बनाना है तो चार मूलमंत्र है, विनम्रता, सहनशीलता, बड़ों का सम्मान व दयाभाव। यह चारों भाव किसी भी व्यक्ति में आ जाते हैं तो उसे महान बनाने में सार्थक है। मनुष्य का स्वभाव एक फलदार वृक्ष की भांति हो, फलदार वृक्ष फलों से नीचे की ओर झुक जाता है। उसी प्रकार मनुष्य में भी विनम्रता से झुकना चाहिए। सहनशीलता व बड़ों का सम्मान का भाव आज के समय में मनुष्य में समाप्त होता जा रहा है, जिससे संयुक्त परिवारों में विघटन हो रहा है और संयुक्त परिवार एकल परिवारों में बंटते जा रहे हैं। क्योंकि परिवारों में सहनशीलता व बड़ों के सम्मान का भाव समाप्त होता जा रहा है।

भक्त की भावना खींच लाई

आचार्य महाश्रमण ने प्रवचन के दौरान कहा कि केलवा चातुर्मास के बाद कुंवारिया में आना तय नहीं था, लेकिन केलवा में कुंवारिया निवासी मनोहरलाल बड़ोला ने कई बार कुंवारिया होकर आगे की यात्रा करने की प्रार्थना की थी, लेकिन मैंने इसे अस्वीकार कर दिया। कुछ समय के बाद उस सेवक का निधन हो गया। इसके बाद मैंने अपनी यात्रा का रूट बदल कर कुंवारिया होकर जाने का निश्चय किया। आचार्य ने प्रवचन के दौरान कहा आखिरकार एक भक्त की भावना मुझे यहां खींच कर लाई है।


Sources

Jain Terapnth News

News in English: Sushil Bafana

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