Short News in English
Location: | Kelwa |
Headline: | International Preksha Meditation Camp in Kelwa |
News: | International Preksha mediation Camp started in Kelwa. 80 person are taking part in camp. Muni Jayant Kumar told that Preksha Meditation started by Acharya Mahaprajna after research of 20 years. Participants impressed by Acharya Mahashraman. Delegates from Russia described India as good country and want to come here again and again. |
News in Hindi
केलवा मेें विदेशी कर रहे हैं गहन प्रेक्षाध्यान का अभ्यास
अंतरराष्ट्रीय शिविर में भाग ले रहे हैं विभिन्न देशों के 80 संभागी
केलवा 2 नवम्बर २०११ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो केलवा
हर व्यक्ति शांति चाहता है। चाहे वह विदेशी धरती पर रहने वाला है या देश में। जहां शांति मिलने की संभावना रहती है वह वहां सात समुंदर पार करके भी पहुंच जाता है। ऋषि, मुनियों की इस धरा हिंदुस्तान में भी अध्यात्म, शांति को पाने के लिए अनेक देशों के लोग आते हैं और गहन अभ्यास कर ध्यान के प्रयोग करते हैं।
ऐसा ही कुछ नजारा इन दिनों केलवा में देखने को मिल रहा है, जहां चातुर्मास कर रहे आचार्यश्री महाश्रमण के सान्निध्य में रूस, युक्रेन, कजाकिस्तान आदि अनेक देशों से 80 संभागी प्रेक्षा इंटरनेशनल द्वारा आयोजित प्रेक्षाध्यान शिविर में प्रेक्षाध्यान का गहन प्रशिक्षण ले रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय प्रेक्षाध्यान शिविर में आने वाले विदेशी सामान्य से लेकर प्रोफेसर, मैनेजर, वरिष्ठ पत्रकार, इंजीनियर, एडवोकेट आदि बुद्धिजीवी भी होते है। जो प्रात: 5 बजे से रात्रि 9.30 बजे तक प्रेक्षाध्यान का प्रायोगिक एवं सैद्धांतिक प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। जब केवल अपनी मूल भाषा का ज्ञान रखने वाले संभागी भी हिन्दी का प्रेक्षा गीत और संस्कृत, प्राकृत के श्लोकों का संगान करते हैं तो सुनने वाले दांतों तले उंगली दबा लेते हैं। ये प्रशिक्षणार्थी प्रशिक्षण प्राप्त कर प्रमाण पत्र मिलने के बाद अपने देशों में प्रेक्षाध्यान प्रशिक्षण सेंटर चलाते हैं। ऐसे सेंटर न्यूजर्सी, हस्टन, लंदन, रूस, यूक्रेन, कजाकिस्तान, जापान आदि अनेक देशों में संचालित हो रहे है, जिनमें प्रतिदिन सैकडों लोग प्रेक्षाध्यान से जीवन को तनाव मुक्त बनाते हैं और अनेक बीमारियों से छुटकारा पाते हैं। अनेक सेंटरों में तो वैज्ञानिक संदर्भों में प्रेक्षाध्यान पर शोध हो रहा है। शेष त्न पेज १२
विदेशियों पसंद करते हैं यहां के लोगों का व्यवहार
जनसंपर्क प्रभारी मुनि जयंतकुमार के अनुसार 20 वर्षों की गहन साधना कर आचार्यश्री महाप्रज्ञ ने प्रेक्षाध्यान के रूप में प्राचीन ध्यान पद्धति को वैज्ञानिक संदर्भ में प्रस्तुत किया। इस ध्यान पद्धति से अपनी वृत्तियों को बदला जा सकता है। अपनी प्राण ऊर्जा को सुचारु किया जा सकता है। मुनि के अनुसार अंतरराष्ट्रीय प्रेक्षाध्यान शिविर में विदेशी भारतीय ऋषियों, मुनियों की कठिन चर्चा को देखकर अभिभूत हो जाते हैं। वे हिन्दुस्तान की संस्कृति को बहुमान से देखते है। यहां के लोगों का व्यवहार विदेशियों को बहुत पसंद आ रहा हैं।
महाश्रमण की शालीनता, सौम्यता से भी प्रभावित
शिविर में आने वाले शिविरार्थी आचार्यश्री महाश्रमण की शालीनता, करूणा, मानवीयता एवं सौम्यता से बहुत प्रभावित हैं। विदेशी शिविरार्थियों से बातचीत में ऐसी झलक मिलती है। अभी महाप्रज्ञ प्रेक्षा पुरस्कार प्राप्त करने वाले कुर्धन (रूस) निवासी नतालिया शिविर में भाग लेने के लिए सात बार भारत आ चुकी है। उसने बताया कि आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा प्रदत्त प्रेक्षाध्यान बहुत पावरफुल है। आचार्य महाश्रमण का व्यक्तित्व महान है। वे मानव मात्र का उत्थान चाहते हैं, जो उन्हें महापुरुष की श्रेणी में ला देता है। हम सब सौभाग्यशाली हैं, जो उनकी प्रशासना में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
भारत बार-बार आने का मन करता है
शिविर में रूस से आए अन्य संभागियों का मानना है कि भारत बहुत सुंदर देश है। यहां पर बार-बार आने का मन करता है। लोगों का जो अपनत्व मिल रहा है वह हमारे देश में संभव नहीं है। एक बात पर भारत को ध्यान देना चाहिए। यहां सफाई का ख्याल रखा जाना चाहिए। ऋषि, मुनियों के देश में आचार्य महाश्रमण जैसे महापुरुष का नेतृत्व मिलता रहे। यह प्रत्येक जनमानस का स्वप्न रहता है। इन महापुरुषों से ही देश विश्व गुरु बना है।