Short News in English
Location: | Kelwa |
Headline: | Saints Should be Kept Away From Money ► Acharya Mahashraman |
News: | Saints live away from worldly relation. He left his family and his wealth when he accepts monk hood. Saints should be away from money power. Acharya Mahashraman expressed these view while making daily Pravachan. Gyanshala students performed in presence of Acharya Mahashraman. Muni Udit Kumar and Muni Himanshu Kumar and Muni Pulkit Kumar spoke on occasion. |
News in Hindi
संतों को पैसों से दूरी रखनी चाहिए - आचार्य महाश्रमण
केलवा स्थित तेरापंथ समवशरण में आचार्य महाश्रमण ने दी विचार प्रेरणा
केलवा २५ अक्तूबर २०११ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
आचार्य महाश्रमण ने कहा कि जो व्यक्ति धन, संपत्ति, औरत आदि सांसारिक संबंधों का त्यागी होता है, वह वास्तव में संत होता है। संतों को पैसों से दूरी रखनी चाहिए। जिसके भीतर धर्म के प्रति श्रद्धा जाग जाती है वह घर, परिवार को छोड़कर मुनि बन जाता है। मुनि के कोई घर नहीं होता। उसे अनगार कहते है। साधु-संतों का जीवन विलासितापूर्ण, आरामतलब नहीं होना चाहिए। उसका जीवन कठोरता पूर्ण हो, यह अपेक्षित है। 22 परिषदों को सहन करने वाला धर्म में रम सकता है। जो सुविधावादी हो जाता है। परिषदों को सहन नहीं करता, वह धर्म से विमुख हो जाता है। उक्त विचार आचार्य ने रविवार को यहां तेरापंथ समवसरण में दैनिक प्रवचन के दौरान व्यक्त किए।
ज्ञानशाला का आयोजन:
तेरापंथ सभा और तेरापंथ महिला मंडल की ओर से यहां रविवार को ज्ञान शाला का आयोजन किया गया। इसमें मुनि पुलकित, प्रभारी मुनि उदित कुमार, सहप्रभारी मुनि हिमांशु कुमार ने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर तेरापंथ महिला मंडल मंत्री रत्ना कोठारी, रेखा सिंघवी, नीलू कोठारी, नीरू कोठारी, रेखा कोठारी, स्वीटी कोठारी, हेमा कोठारी, किरण कोठारी, सरिता कोठारी और मीना चपलोत आदि मौजूद थी।
बुराइयों को त्यागें:
शनिवार रात को यहां भिक्षु विहार में केलवा गांव के तेरापंथ के अलावा अन्य समाज के लोगों को संबोधित करते हुए आचार्य महाश्रमण ने कहा कि मनुष्य को जीवन में सुख-समृद्धि के लिए बुराइयों को त्यागने की प्रवृत्ति बनानी होगी। जीवन में बुराइयां नहीं है तो हम स्वयं का, समाज का और देश का विकास कर सकते है। उन्होंने लोगों को नशे सरीखे व्यसन से दूर रहने की प्रेरणा देते हुए कहा कि इससे न केवल शरीर का नाश होता हैं वरन परिवार को आर्थिक तंगी के दौर से भी गुजरना पड़ता है। नशे की प्रवृति व्यक्ति को अपराध के मार्ग की ओर भी धकेलती है। व्यक्ति जीवन में नशा करता है तो उसका ध्यान और चित्त वश में नहीं रहता और वह अपराध कर बैठता है। आचार्य ने समाज के लोगों को नशा नहीं करने, झूठ नहीं बोलने और ईमानदारी से जीवन व्यतीत करने का संकल्प भी दिलाया। इस दौरान आचार्य ने समाज के लोगों से परिचय प्राप्त किया। युवतियों ने मंगल गीत का संगान किया। इस अवसर पर देवीलाल तेली, नानालाल तेली, राजकुमार पालीवाल, शांतिलाल सरगरा, हरलाल सरगरा, बद्री कुम्हार, लक्ष्मण कुम्हार ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में व्यवस्था समिति के अध्यक्ष महेंद्र कोठारी, महामंत्री सुरेंद्र कोठारी, महेंद्र कोठारी अपेक्स, राजेंद्र कोठारी कंपनी, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष मुकेश डी कोठारी आदि मौजूद थे।