Short News in English
Location: | Kelwa |
Headline: | Stay Fearless ► Acharya Mahashraman |
News: | Acharya Mahashraman told students and lay followers to stay fearless. Anyone who want to do Sadhana of non-violence and truth should practice fearlessness. Lord Mahavir was fearless from his child hood. He advised guardian to be alert that their child become courageous. Gyanshala Trainers Training Camp ended today. Acharya Mahashraman told that Gyanshala give good sanskar to children. Mahila Mandal doing good work to give training to children. He praised contribution of women in project of gynashala. |
News in Hindi
दैनिक प्रवचन के दौरान आचार्य महाश्रमण ने कहा, केंद्रीय ज्ञानशाला प्रशिक्षक प्रशिक्षण शिविर का समापन
अभय बनने की जरूरत
दैनिक प्रवचन के दौरान आचार्य महाश्रमण ने कहा, केंद्रीय ज्ञानशाला प्रशिक्षक प्रशिक्षण शिविर का समापन
केलवा 20 SEP 2011 जैन तेरापंथ समाचार ब्योरो-
आचार्य महाश्रमण ने कहा कि आज के परिवेश में व्यक्ति को भयभीत और डरपोक बनकर जीवन व्यतीत करने की बजाय अभय और मुश्किलों से डटकर सामना करने की आवश्यकता है। सत्वहीन व्यक्ति हिंसा में प्रवृत होता है। जिसके पास अहिंसा का शौर्य है वह न कभी हिंसा करता है और न ही असत्य बातों का उपयोग करता है। अहिंसा और सत्य की साधना करनी है तो अभय की साधना आवश्यक है।
आचार्य सोमवार को यहां तेरापंथ समवसरण में चल रहे चातुर्मास के दौरान दैनिक प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि आदमी अपमान और चोर-डाकुओं से डरता है। कभी कभी जीवों से भी भयभीत हो जाता है। विभिन्न प्रकार के डर सताते हैं। साधना के क्षेत्र में भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। भगवान महावीर स्वामी बहुत निडर थे। वे बाल्यावस्था से ही बड़े निर्भीक थे। एक बार उन्होंने खेलते समय एक सर्प को हाथ से उठाकर उछाल भी दिया था। ऐसा महावीर ही कर सकते है। हर कोई नहीं। इसलिए माता-पिता से यह अपेक्षा है कि वह बचपन से ही अपने बच्चों को इस तरह के संस्कार देने का प्रयास करें कि उनका विश्वास कभी डगमगाए नहीं, बल्कि वे हर तरह की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहें। प्राय: देखा जाता है कि अभिभावक अपने बच्चों को किसी कारणवश डराते हैं। यह प्रवृति गलत है। इससे बच्चें के मन में भय बैठ जाता हैं, जो समय गुजरने के साथ समस्या खड़ी कर सकता है। इस तरह के उपायों से बचने की आवश्यकता है। बच्चों को भयभीत करने की बजाय सहजता से समझाया जाए तो ज्यादा अच्छा हो सकता है।
विश्वास पर टिका है जीवन:
मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि जीवन विश्वास पर टिका है। विश्वास जागृत होने पर ही कार्य का सफल क्रियान्वयन होता है। सही निर्णय, शुद्ध निर्णय और सतत पुरुषार्थ यह त्रिवेणी विश्वास से एक जगह टिकने से ही फलीभूत होती है। व्यक्ति समस्याओं के समाधान के लिए देवताओं को धोकता है। गुरुओं के चक्कर लगाता है, परन्तु समाधान प्राप्त नहीं होता। समाधान तभी मिल सकता है, जब हमारी श्रद्धा टिकाऊ और मजबूत होगी। इस मौके पर मुनि किशनलाल, देवीलाल कोठारी, पंछी चपलोत, नीला चीपड़, दिनेश बाबेल, मुनि हिमांशु कुमार और डालमचंद नौलखा ने भी विचार व्यक्त किए। संयोजन मुनि मोहजीत कुमार ने किया।
संस्कार प्रदान करने का मंच है ज्ञानशाला:
यहां भिक्षु विहार में चल रहा केंद्रीय ज्ञानशाला प्रशिक्षक प्रशिक्षण शिविर का समापन सोमवार को आचार्य महाश्रमण के सानिध्य में हुआ। इस दौरान आचार्यश्री ने शिविरार्थियों को प्रेरणा देते हुए कहा कि ज्ञानशाला संस्कार प्रदान करने वाला एक मंच है। यह तेरापंथ समुदाय की अपनी गतिविधि है। इससे जुडऩा ही महत्वपूर्ण बात है। इसके सर्वव्यापीकरण में महिला समाज का बड़ा योगदान है। यह लगातार मेहनत कर रही हैं। अब सब ने प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया है। इसे बालको को संस्कारित करने में लगाने की आवश्यकता है।
विभिन्न राज्यों के शिविरार्थियों ने लिया भाग:
मेवाड़ ज्ञानशाला के आंचलिक संयोजक देवीलाल कोठारी ने बताया कि तीन दिन चले इस शिविर में राजस्थान, ओडीशा, गुजरात और मध्यप्रदेश राज्य के शिविरार्थियों ने शिरकत की। शिविर को लेकर कोठारी व सह संयोजिका मंजू दक ने अनेक स्थानों की यात्रा कर तेरापंथी सभाओं, महिला मंडल, युवक परिषद एवं ज्ञानशालाओं के संचालकों से संपर्क कर प्रशिक्षणार्थियों को सूचीबद्ध किया। शिविर की सफल क्रियान्विति में प्रभारी मुनि उदित कुमार का निर्देशन और सह प्रभारी मुनि हिमांशु कुमार का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। प्रशिक्षण के दौरान मुनि योगेश कुमार, मुनि पुलकित कुमार, उपासक प्रभारी डालमचंद नौलखा, उपासक प्राध्यापक निर्मलकुमार नौलखा, शासनसेवी बजरंगलाल जैन ने तत्व ज्ञान, ज्ञानशाला सम्यक संचालन, अभिव्यक्ति कौशल, उच्चारण शुद्धि, जीवन विज्ञान, व्यक्तित्व विकास आदि अनेक विषयों पर प्रशिक्षण दिया। जिज्ञासा समाधान भी रोचक रहा। मौखिक परीक्षा द्वारा सहभागियों का मूल्यांकन किया गया।