Short News in English
Location: | Kelwa |
Headline: | Acharya Bhikshu Was Unique Personality ► Acharya Mahashraman |
News: | Acharya Bhikshu founded Terapanth about 25o years ago at Kelwa. He faced many hurdles but never changed right way. We rarely see such great and unique personality. He taught lesson of Discipline and Maryada to Terapanth.He inspired all to follow discipline. He gave Diksha to very few persons but quality was uppermost in his mind. It was his effort that today we saw great Terapanth and it is duty of all of us to protect those values. |
News in Hindi
आचार्य भिक्षु थे विलक्ष्ण प्रतिभा के पर्याय
आचार्य भिक्षु का चर्मोत्सव दिवस मनाया
केलवा १० सेप्टेम्बर २०११ जैन तेरापंथ समाचार ब्योरो टीम
आचार्यश्री भिक्षु का चरमोत्सव महाप्रयाण दिवस मनायाराजसमंद। तेरापंथ के 11वें अधिष्ठाता आचार्यश्री महाश्रमण ने तेरापंथ धर्मसंघ के जन्मदाता आचार्यश्री भिक्षु को विलक्षण प्रतिभा का पर्याय बताते हुए कहा कि केलवा की भूमि उनके चातुर्मास और समागम से अभिभूत हो गई थी। वे जीवन में प्रतिस्त्रोत ग्रामी व्यक्ति थे। उन्होंने लौकिक और लोकोत्तर में अंतर का परिभाषित किया और तत्व को विस्तारपूर्वक प्रतिपादित किया। आचार्यश्री ने यह उद्गार यहां तेरापंथ समवसरण में चल रहे चातुर्मास के दौरान आचार्यश्री भिक्षु के 209 वें निर्वाण दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने संबोधि के चौथे अध्याय में उल्लेखित सहजानंद को परिभाषित करते हुए कहा कि जो लोग इन्द्रियों के विषयों में मन के भीतर जाने का प्रयास करते है और राग-द्वेष की भावना है तो उसे इस तरह के आनंद की प्राप्ति नहीं होती। जो लोग इस तरह की वृतियों से विरक्त होते है उन्हें इस आनंद की अनुभूति होती है। आचार्यश्री भिक्षु ने ढाई सौ वर्ष पहले इसी केलवा की धरा पर तेरापंथ धर्मसंघ की नींव रखी थी। अपने निर्वाण समय तक वे इस धर्मसंघ की व्यापकता के प्रति समर्पित रहे। इस दौरान उन्हें अनेक कठिनाईयों का सामना करना पडा था। इसके बाद भी वे अपने मार्ग से अलग नहीं हुए। ऐसे विरले और युगपुरूष बहुत कम ही देखने को मिलते है। उन्होंने कहा कि आचार्यश्री भिक्षु 77 वर्ष की आयु पूर्ण करने के बाद जनता के दर्शन से अदृष्य हो गए थे। उन्होंने तेरापंथ को अनुशासन और मर्यादा का पाठ सिखाया। साथ इनका अनुसरण संघ में करने की प्रेरणा दी। उनका यह कथन था कि भले ही संघ में बहुत कम लोगों की दीक्षा हो। इसे देने में सावधानी बरतनी होगी। संघ को गुणवत्तायुक्त व्यक्ति मिले। इसमें किसी तरह का समझौता नहीं किया जाए। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि आचार्य भिक्षु ने संघ को नई दिशा प्रदान करने में कोई कसर नहीं छोडी। उसी का परिणाम है कि आज हमारा संघ विराट रूप ले चुका है। अन्य समाज में भी इस संघ का विशेष स्थान है। इसे बरकरार रखने के लिए सभी को प्रयास करने की आवश्यकता है।
साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा ने कहा कि जिस तरह सोने को सुन्दरता के लिए तपाया जाता है और चंदन को घिसाया जाता है उसी तरह आचार्य भिक्षु का जीवन था। काफी संघर्षों और कठिनाईयों का सामना करने के बाद उन्होंने तेरापंथ का बीज बोया, जो आज बरगद का रूप अख्तियार कर चुका है। उनमें आध्यात्मिक की गहराई थी और अपनी बात की प्रखर प्रस्तुति देते थे।
इस अवसर पर डागरिया बंधुओं ने नेमानंद लाल का वंदन, नवीन बोहरा ने ओ भिक्षु रे, प्रेमलता कच्छारा ने भिक्षु तेरे चरण में, संदीप बरडिया ने अनुशासन री, दिलीप डागा, वीणा सेठिया, वैरागी अशोक ने आप पधारो दर्शन दिरावो, मुनि रजनीश ने भिक्षु स्वामी भक्तों की,
शासनश्री मुनि सुमेरमल, मुनि भवभूति तथा साधु-साध्वियों ने भिक्षु का स्मरण करते हुए अपनी प्रस्तुतियां दी।
आचार्यश्री ने वैरागी अशोक को तेरापंथ प्रतिक्रमण सीखने का निर्देश दिया।
संयोजन मुनि मोहजीत कुमार ने किया। चरमोत्सव कार्यक्रम में हर क्षण का साक्षी बनने के लिए आज हजारों की संख्या में लोगों का हुजूम उमड पडा। पांडाल खचाखच भरा था और लोग खडे रहकर आचार्यश्री के मुख से निकल रही रसधार का श्रवण कर रहे थे भिक्षु चर्मोत्सव दिवस पर रचित गीतिका का पाठ स्वय गुरुदेव ने किया!
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आचार्य भिक्षु चर्मोत्सव के पावन अवसर पर परम श्रद्धेय आचार्य महाश्रमण द्वारा रचित गीत (आप चाहे तो उपर दिए वीडियो में आचार्य प्रवर की आवाज में भी सुने)
(प्रस्तुती - जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो)
भिक्षुस्वामीजी! शरण तुम्हारी आया!
अन्तर्यामीजी! सतत तुम्हारी छाया!
धन्य हुई यह धरा केलवा तुम सा सदगुरु पाकर!
तव अनुकूल बना मन्दिर में यक्षराज खुद आकर!!
अनुशासन का पाठ पढाया सिखलाई मर्यादा!
गुणवत्तायुक्त गण हो संख्या थोड़ी हो ज्यादा!!
रहे सभी निश्चत संघ में एक सुगुरु का साया!
ऋजुतामय हो सबका मानस नही कही भी मया!!
सिरियारी का महामुनिशवर लगता प्यारा-प्यारा!
जिनशासन का क्रान्तिपुरुष वर नयन सितारा!!
प्रभुवर का चर्मोत्सव आज मनाये भक्त ह्रदय हो!
तेरापंथ की जन्मभूमि में संघपुरुष की जय हो!!
तुलसी गुरुवर महाप्रज्ञ का वरद हस्त जो पाया!
महाश्रमण भैक्षवगण खातिर अर्पित मन वच काया!!
भिक्षुस्वामीजी! शरण तुम्हारी आया!
(प्रस्तुती - जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो)