Short News in English
Location: | Kelwa |
Headline: | Save Water And Electricity◄ Acharya Mahashraman |
News: | Acharya Mahashraman appealed to whole society to understand value of water and electricity and never misuse it. Coming generation will be in difficult situation if water is wasted. Misuse of water is connected with Violence and if you want to do Sadhana of Non-violence then you have to careful in using. Acharya Mahashraman told to Upasak group that Terapanth sangh is my first priority. Development and protection of sangh never can be ignored. He told Upasak to always avoid ego and anger. |
News in Hindi
केलवा में चातुर्मास प्रवचन के दौरान आचार्य महाश्रमण ने दी पानी बचाने की सीख
‘बिजली, पानी के महत्व को समझें’
केलवा 29 जुलाई जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
आचार्य महाश्रमण ने मानव जगत और विभिन्न समाजों से आह्नान किया कि वे पानी के महत्व को समझते हुए इनका अपव्यय न करें। इस पर जागरूकता का परिचय दें। पानी का दुरुपयोग इसी तरह से होता रहा, तो आने वाली पीढ़ी को बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। इनके उपयोग में संयम बरता जाए, तो अनेक समस्याओं का समाधान हो सकता है।
आचार्य श्री कस्बे के तेरापंथ समवसरण में चल रहे चातुर्मास में शुक्रवार को प्रवचन दे रहे थे। आचार्य श्री ने कहा कि पानी का जितना ज्यादा अपव्यय होगा, उतनी ही ज्यादा हिंसा होने की संभावना रहेगी। इसलिए स्नान आदि के समय कम पानी उपयोग करने की आदत डालने की जरूरत है। कम पानी में किस तरह से ज्यादा कार्य पूरे किए जाए इस पर मनन करने की जरूरत है। उन्होंने बिजली का भी व्यर्थ उपभोग न करने का आह्नान किया। संबोधि के तीसरे अध्याय में वर्णित कर्मवाद के प्रकल्प को परिभाषित करते हुए आचार्य ने कहा कि शुभ-अशुभ कर्मों से जीव वैसी ही प्रवृति करने में जुट जाता है। जब ज्ञान वरणीय कर्म का उदय होता है तो आदमी की स्मरण शक्ति कम होने लगती है और दिमाग काम करना बंद कर देता है। सत वंदनीय का योग बनने से मनुष्य के सुख में वृद्धि होती है और उसमें सक्रियता के भाव आ जाते है। मोह कर्म से व्यक्ति झगड़ालू प्रवृति का बन जाता है। उसमें अहंकार की भावना विकसित होती है तथा विकार प्रकट होने लगते हैं।
तेरापंथ शासन मेरे लिए सर्वोपरि:
केलवा 29 जुलाई जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
आचार्य श्री ने कहा कि तेरापंथ शासन सबसे पहले है। इसकी सुरक्षा एवं विकास की ओर ध्यान देना मेरी प्राथमिकता है। इसको इग्नोर कर दूसरी गतिविधियों पर ध्यान दिया जाना मुझे काम्य नहीं है। पहले इसके निर्धारित आचार पर ध्यान होना चाहिए। उसके बाद दूसरी गतिविधियों पर समय नियोजित हो। इसमें कोई आपत्ति नहीं है। उपासकों से कहा कि वे संघ के प्रति निष्ठावान रहें और कषाय को मंद करने का अभ्यास करें। अहंकार न आने दें और गुस्से पर नियंत्रण रखें। आत्म निष्ठा में आत्म कल्याण की ललक देखने को मिलती है। आत्म साधना जिस संघ में कर रहे है उसके प्रति निष्ठा होनी चाहिए। उसी के अनुरूप कार्य करें। उन्होंने प्रतिक्रमण को सामूहिक अनुष्ठान के रूप में परिभाषित करते हुए कहा कि मंडली में होने वाला यह कार्य एक स्नान की भांति है। जिस प्रकार मनुष्य स्नान करके ताजगी महसूस करता है, उसी प्रकार संत-साध्वी इसे कर तरोताजा होते हैं।
चेहरे का नहीं, गुणवत्ता का महत्व:
केलवा 29 जुलाई जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
आचार्य श्री ने कहा कि अपनी गुणवत्ता को विकसित करने की तरफ ध्यान आकृष्ट करें, न कि अपने चेहरे को सुंदर बनाने में। व्यवहार फूहड़ होगा, तो अच्छा चेहरा काम नहीं कर सकेगा और चेहरा सुंदर नहीं और गुण अच्छे होंगे तो उसके व्यक्तित्व की प्रशंसा होगी।
मर्यादित रहकर हो साधना: मंत्री मुनि सुमेरमल
केलवा 29 जुलाई जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
मंत्री मुनि सुमेरमल ने श्रावक-श्राविकाओं से आह्नान किया कि वे साधना में अनवरत आगे बढऩा चाहते हैं, तो उनमें मर्यादा का भाव होना आवश्यक है। इससे उनकी ध्यान-साधना में भी निखार आ सकेगा। बाहर की लालसाओं को छोड़कर भीतर का ज्ञान अर्जित करने व अंतर मुखता का प्रयास करें। प्रारंभ में कुछ परेशानियां सामने आएगी, लेकिन इससे विचलित होने की आवश्यकता नहीं है। एक तरह का ध्यान करने से एक ना एक दिन आत्म अनुभूति का अहसास अवश्य होगा। इससे वह अपनी मंजिल की ओर पहुंच जाएगा। अनुभव की कमी से व्यक्ति निरंतर गलतियां करता है और वह ध्यान-साधना से भटक जाता है। व्यक्ति साधना और आध्यात्म में तल्लीन रहने का प्रयास करें। जो दौड़ लगाएगा वह निश्चित तौर पर आगे बढ़ेगा।
संतों ने किया मर्यादाओं का पुनरावर्तन:
आचार्य महाश्रमण ने शुक्रवार को हाजरी वाचन करते हुए साधु-साध्वियों को मर्यादाओं का पुनरावर्तन करवाया। उन्होंने कहा कि तेरापंथ की संगठन की दृष्टि से पांच मौलिक मर्यादाएं है। इसके आधार पर ही धर्म संघ संचालित होता है। बाल मुनि मृदु कुमार एवं मुनि शुभंकर ने लेख पत्र का वाचन किया। इस पर आचार्य ने उनको दो-दो कल्याणक बक्शीश में दिए।
55 से भरवाए संकल्प पत्र:
राजस्थान प्रादेशिक अणुव्रत समिति की ओर से शुक्रवार को प्रवचन सभा में लगाए गए स्टॉल पर केलवा समिति के अध्यक्ष मुकेश डी कोठारी, मंत्री रणजीत बोहरा, रूपेंद्र बोहरा, नीरू कोठारी, जयश्री कोठारी सहित अन्य पदाधिकारियों ने 55 लोगों से अणुव्रती के लिए संबंधित वर्गीय अणुव्रतों का पालन संबंधी प्रपत्र भरवाए। अध्यक्ष कोठारी ने बताया कि यह अभियान निरंतर जारी रहेगा।