22.07.2011 ►Kelwa► Protection of Environment Necessary ►Acharya Mahashraman

Published: 22.07.2011
Updated: 21.07.2015

Short News in English:

Location:

Kelwa

Headline:

Protection of Environment  Necessary  ►Acharya Mahashraman

News:

Acharya Mahashraman met with delegation led by Harisingh Rathor and discussed about environment. Sri Rathor suggested planting 60000 trees during Anuvrata Week.
Acharya Mahashraman discussed about four cycles of birth. He said Devta bow to person who follows religion. Devta come on earth time to time. He mentioned four reasons.
Always avoid ego if you want to do good Sadhana.

News in Hindi:

‘त्यागी को नमन करते हैं देवता’

केलवा में चातुर्मास प्रवचन में आचार्य महाश्रमण ने कहा, उपासक प्रशिक्षण शिविर के लिए हुई प्रवेश परीक्षा

केलवा 21 JULY 2011 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो सेवा 

आचार्य महाश्रमण ने बुधवार को धर्मसभा में कहा कि जिस व्यक्ति में धर्मयुक्त और त्याग की भावना का समावेश होता है, उसे देवता भी नमस्कार करते हैं। धर्म की बजाय भौतिकता व कुछ पाने की लालसा का भाव जिसके मन में विद्यमान हो तो उसके आस-पास देवता भी नहीं आते। आचार्य श्री बुधवार को केलवा में चल रहे चातुर्मास कार्यक्रम में श्रावक-श्राविकाओं को प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने संबोधि के तीसरे अध्याय में उल्लेखित चार गतियों का वर्णन करते हुए कहा कि अच्छा जीव तभी जी सकता है, जब वह बाहरी गतियों का दमन करें। देवता मनुष्यों के पास भी आ सकते हैं, लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि वह धर्मयुक्त हो। 

जो साधक अल्प मात्रा में आहार ग्रहण करने, निद्रा पर संयम रखने और कम बोलने की क्षमता रखता हैं, उसे भी देवता नमस्कार करते हैं और समय-समय पर धरती पर आते हैं।

 देवता चार कारणों से आते हैं धरती पर:

उन्होंने देवताओं के धरती पर आगमन के चार कारणों की व्याख्या करते हुए कहा कि देवता आमतौर पर मुमुक्षु आत्मा के दर्शन, तपस्वियों के दर्शन, कुटुंबियों से मिलने और अपनी प्रतिज्ञाओं को पूरा करने के लिए साक्षात भी दर्शन दे सकते हैं। यह प्रत्यक्ष रूप से कम वरन अप्रत्यक्ष रूप से ज्यादा आसपास रहते हैं। उन्होंने देवताओं के आगमन के लक्ष्ण पर कहा कि इनका प्रतिबिंब कभी भी धरती पर प्रकट नहीं होता। इनके पांव हमेशा धरती से ऊंचे और अनिमेश की स्थिति बनी रहती है। संबोधि में उल्लेख है कि रूखा-सूखा खाकर एकांत में निवास करने और इंद्रियों का दमन करने वाले साधक के समक्ष देवताओं का आगमन होता है। इन्हें लेकर मनुष्य को कभी आकांक्षा नहीं रखनी चाहिए, बल्कि धर्म-साधना में इतना तल्लीन हो जाना चाहिए कि देवता स्वत: ही उनके समक्ष किसी भी रूप में प्रकट हो जाएं।

मन में अहंकार न लाएं:

उन्होंने देवताओं और मनुष्यों में समानता पर कहा कि दोनों के ही पांच इंद्रियां होती हैं। साथ ही कुछ असमानता भी होती है, जो नजर नहीं आती। इसे लेकर उन्होंने देवताओं के प्रकट होने का तथ्य भी प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि जिस साधक अथवा साधु में क्रोध और मय की भावना आ जाती है तो वह अपनी साधना को कमजोर कर लेता हैं। इसलिए मन में कभी अपनी विशिष्टता का अहंकार नहीं लाएं। संसार में देवताओं की अपेक्षा मनुष्यों की तादाद काफी कम है। देवता समंदर है, तो मनुष्य बूंद मात्र है। उन्होंने देश और प्रदेशभर के विभिन्न प्रांतों से आए श्रावक-श्राविकाओं से आह्नान किया कि वे भौतिक लालसाओं के प्रति मोह त्यागकर अपने जीवन का कुछ समय धर्म और साधना को समर्पित करें। इससे न केवल उनका वरन परिवार के अन्य सदस्यों का भी कल्याण होगा।

अच्छे कर्मों पर कायम रखें विश्वास: मंत्री मुनि सुमेरमल 

मंत्री मुनि सुमेरमल ने कर्मों के फल की व्याख्या करते हुए कहा कि आह्नान किया कि मनुष्य को हमेशा अपने अच्छे कर्मों पर विश्वास करना होगा, ताकि कोई विकार उसके उद्देश्यों का डगमगा नहीं सके। हमें विकार को रोककर विकास की तरफ निरंतर बढऩा होगा। क्योंकि जहां विकास होता है वहां विकार की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। इसके लिए जागरूक रहने की महत्ती आवश्यकता है। जो कर्म आसक्ति से परिपूर्ण होते है, इससे छुटकारा पाने के लिए अतिरिक्त पुरुषार्थ करना पड़ता है। मन को भीतर से जागरूक बनाना होगा। उन्होंने सम्यक भाव से धार्मिक कार्यों की क्रियान्विति करने का आह्नान करते हुए कहा कि ऐसा करने से जीवन में सफलता मिलने की संभावना बढ़ जाएगी। कार्यक्रम के दौरान कन्या मंडल बोरज की बालिकाओं कुसुम और चंदा ने ‘भिक्षु स्वामी संग तुम्हारा, सारे जहां से न्यारा है, यह सबको प्यारा, तुमने संवारा, तुमने निखारा...’ गीत प्रस्तुत कर भाव विभोर कर दिया। संयोजन मुनि मोहजीत कुमार ने किया।

परीक्षा में 39 प्रतिभागी शामिल: 

उपासक प्रशिक्षण शिविर में प्रवेश के लिए बुधवार को आयोजित परीक्षा में 39 प्रतिभागियों ने शिरकत की। इनमें 10 पुरुष और 29 महिलाएं शामिल थे। परीक्षा में जैन धर्म, जैन दर्शन संबंधी प्रश्न पूछे गए।

अहिंसा आर्ट गैलरी का अवलोकन:

साध्वी प्रमुख कनकप्रभा ने बुधवार को चातुर्मास प्रवचन पांडाल के पास स्थित अहिंसा आर्ट गैलरी का अपनी सहयोगी साध्वियों के साथ अवलोकन किया। इस दौरान वे चित्रों और दुर्लभ वस्तुओं का संग्रह एवं अहिंसा की कलात्मक प्रस्तुति को निहारकर रोमांचित हुई। 

आचार्य महाश्रमण से मिले पर्यावरण विकास संस्था के पदाधिकारी 

 केलवा  कस्बे के भिक्षु विहार में चातुर्मास के कर रहे आचार्य महाश्रमण से पर्यावरण विकास संस्था के अध्यक्ष हरिसिंह राठौड़ की अगुवाई में पदाधिकारियों ने भेंट की और पर्यावरण संरक्षण के विभिन्न उपायों पर विस्तार से चर्चा की। इस दौरान अणुव्रत उदबोधन सप्ताह के अन्तर्गत एक सेमीनार आयोजित करने के साथ ही 60 हजार पौधे लगाने पर चर्चा की गई। इस अवसर पर अध्यक्ष राठौड़ के अलावा सचिव उमेश झा, चातुर्मास विकास समिति के अध्यक्ष महेंद्र कोठारी, बाबूलाल कोठारी, महामंत्री सुरेन्द्र कोठारी, लवेश मादरेचा आदि उपस्थित थे।

Sources
Jain Terapnth News

News in English: Sushil Bafana
Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • Jaina Sanghas
    • Shvetambar
      • Terapanth
        • Acharya Mahashraman
          • Share this page on:
            Page glossary
            Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
            1. Acharya
            2. Acharya Mahashraman
            3. Anuvrata
            4. Environment
            5. Jain Terapnth News
            6. Kelwa
            7. Mahashraman
            8. Sadhana
            9. Sushil Bafana
            10. आचार्य
            11. आचार्य महाश्रमण
            12. दर्शन
            13. भाव
            14. मंत्री मुनि सुमेरमल
            15. मुनि मोहजीत कुमार
            Page statistics
            This page has been viewed 1591 times.
            © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
            Home
            About
            Contact us
            Disclaimer
            Social Networking

            HN4U Deutsche Version
            Today's Counter: