News in English:
Location: | Rajnagar |
Headline: | 245th Bodhi Day Of Acharya Bhikshu Celebrated |
News: | Acharya Mahashraman recalled event of 245 years ago when Muni Bhikhan sent to Rajnagar by his guru. Layperson of Rajnagar wanted to know real voice of scriptures. Muni Bhikhan got Bodhi and started Terapanth to follow path of Lord Mahavira. Acharya Bhikshu was great personality. He presented all his view with logic. He spoke very clearly on every topic. His wisdom was unique. He was devoted to Sadhana. |
News in Hindi:
राजनगर के भिक्षु निलयम में भिक्षु स्वामी के 254वें बोधि दिवस पर आचार्य महाश्रमण ने किया संबोधित
भिक्षु स्वामी
‘मोह कर्म की कमी से मिली भिक्षु स्वामी को बोधि’
राजनगर के भिक्षु निलयम में भिक्षु स्वामी के 254वें बोधि दिवस पर आचार्य महाश्रमण ने किया संबोधित
राजनगर स्थित भिक्षु निलयमसे हमारी रिपोर्ट
13 जुलाई तेरापंथ न्यूज ब्योरो कार्यालय संवाददाता
तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें आचार्य महाश्रमण ने कहा कि व्यक्ति के कर्मों के मूल में मोहनीय कर्म है। अगर जड़ को सिंचन मिल जाए तो पौधा बढ़ता है, लेकिन केवल ऊपर-ऊपर ही सिंचन हो तो पौधा खत्म हो जाता है। इसी प्रकार अगर कर्मों के मूल का सिंचन होगा, तो मोह बढ़ेगा, पाप कर्म बढ़ेगा। इसके विपरीत अगर मूल को सिंचन नहीं मिलेगा, तो व्यक्ति का मोह कर्म कम हो जाएगा, खत्म हो जाएगा। इसी प्रकार भिक्षु स्वामी का भी मोह कम हो गया था, जिससे उन्हें ज्ञान, दर्शन व चारित्र की बोधि हुई।
आचार्य श्री बुधवार को यहां राजनगर स्थित भिक्षु निलयम में भिक्षु स्वामी के 254वें बोधि दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में श्रावक व श्राविकाओं को उद्बोधन दे रहे थे। उन्होंने आचार्य भिक्षु के जीवन वृतांत के बारे में बताया कि व्यक्ति के मन में अगर कोई व्यथा हो, तो उसे किसी को बता देना चाहिए। दूसरे को बता देने से व्यक्ति की व्यथा काफी कम हो जाती है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार एक बार भिक्षु स्वामी के स्थानकवासी गुरु रघुनाथ के मन में भी कोई व्यथा थी। इसको भिक्षु स्वामी ने उनके चेहरे की मलीनता को देखते हुए ताड़ लिया था। इस पर उन्होंने गुरु से उनकी व्यथा जाननी चाही। गुरु ने बताया कि राजनगर के श्रावकों ने संतों का वंदन करना बंद कर दिया है।
इस पर गुरु रघुनाथ के साथ वार्तालाप के बाद गुरु ने भिक्षु स्वामी को ही चातुर्मास के तहत राजनगर के श्रावकों को समझाने के लिए भेज दिया। भिक्षु स्वामी राजनगर पहुंचे तथा श्रावकों को समझाया। श्रावक संतों के वंदन के लिए तैयार हो गए। चातुर्मास के बाद भिक्षु स्वामी ने गुरु के पास पहुंचकर श्रावकों की बात बताई तथा कई बार इस संबंध में वार्तालाप भी किया, लेकिन हर बार वार्ता विफल होती रही और बात नहीं बनी। इस पर भिक्षु स्वामी को बोधि मिली और उन्होंने तेरापंथ विचार क्रांति को जन्म दिया। कार्यक्रम के दौरान आचार्य महाश्रमण ने मुनि चंपालाल व राजनगर में महाप्रयाण करने वाले मुनि बालचंद स्वामी को भी याद किया।
इन्होंने भी रखे विचार
बोधि दिवस कार्यक्रम में मुनि पानमल, साध्वी विद्यावती, साध्वी दिव्यप्रभा, साध्वी कौशलप्रभा, सभाध्यक्ष गणपत धर्मावत, मंत्री रमेशचंद्र चपलोत, गुणसागर कर्णावट, निर्मला चंडालिया, वंदना मादरेचा भी विचार व्यक्त किए। साथ ही कन्या मंडल, युवती मंडल, महिला मंडल ने गीतिका के माध्यम से विचार रखे और अभिनंदन किया। आभार भिक्षु निलयम संयोजक सुरेशचंद्र कावडिय़ा ने व्यक्त किया।
आज केलवा की ओर विहार:
आचार्य महाश्रमण राजनगर में एक दिन के प्रवास के बाद गुरुवार सुबह विहार कर केलवा पहुंचेंगे।
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ज्यादा नहीं होते भिक्षु जैसे व्यक्तित्व
आचार्य श्री ने कहा कि भिक्षु जैसे व्यक्तित्व ज्यादा नहीं होते, स्पष्ट कहने का साहस, तार्किक बुद्धि बल, बुद्धि कौशल और उनका वैराग्य व्यक्तित्व महान था। उन्होंने कहा कि संत भीखण जी (भिक्षु स्वामी) ने जो क्रांति के विरोध को सर पर लिया तो उनको ज्ञान, दर्शन और चारित्र की बोधि राजनगर चातुर्मास में हुई।
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गीतों से गूंज उठा पांडाल
कार्यक्रम के दौरान आचार्य श्री ने भिक्षु स्वामी, महावीर स्वामी पर गीत प्रस्तुत किए। इस दौरान आचार्य ने स्वयं द्वारा भिक्षु बोधि दिवस के अवसर पर रचित गीत ‘तेरापंथ अधिराज भिक्षु स्वामी पधारो जी, है मन मंदिर तैयार गुरुवर आप पधारो जी...’ की प्रस्तुति ने श्रावक व श्राविकाओं में नई ऊर्जा का संचार किया।
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रैली के रूप में पहुंचे भिक्षु निलयम
कार्यक्रम से पूर्व आचार्य श्री केलवा से विहार कर ठाकुरगढ़ पधारे, जहां से अहिंसा रैली के रूप में भिक्षु निलयम तक लाया गया। महिला मंडल व सभा सदस्यों के नेतृत्व में निकाली गई रैली ठाकुरगढ़ से बस स्टैंड, दादर बाजार, दाणी चबूतरा, भिक्षु बोधि स्थल से होकर भिक्षु निलयम पहुंची।
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26 लाख की घोषणा
भिक्षु बोधि स्थल की मीडिया प्रभारी लाड़ मेहता ने बताया कि कार्यक्रम में मनोहरलाल पुष्पादेवी वागरेचा की ओर से 21 लाख 21 हजार रुपए एवं ख्यालीलाल रमेशकुमार सहलोत की ओर से 5 लाख रुपए भिक्षु निलयम भवन को पूर्ण कराने के लिए देने की घोषणा की गई।