News in English:
Location: | Lambodi |
Headline: | Soul Is Centre Of Jain Philosophy◄ Acharya Mahashraman |
News: | Acharya Mahashraman delivered his Pravachan based on Sambodhi book. He told soul is doer and we held soul responsible for every good and bad deeds. Some philosophy believe Supreme god is responsible for happiness and misery but Jain philosophy give values to Karmic theory. We should do our Sadhana to liberate bonded soul. |
News in Hindi:
संबोधि उपवन में गुरुवार को संबोधि पुस्तक की व्याख्यान माला में कहा
‘सुख व दुख की कर्ता आत्मा’
चारभुजा 01 JULY 2011 (जैन तेरापंथ समाचार न्यूज ब्योरो)
अहिंसा यात्रा के प्रवर्तक धर्मसंघ के ग्यारहवें आचार्य महाश्रमण ने कहा कि जैन दर्शन आत्मकर्तव्यवादी दर्शन है, जिसमें सुख व दुख की कर्ता हमारी आत्मा है। सुख व दुख को देने वाली, भोगने वाली स्वयं हमारी आत्मा ही है। वे संबोधि उपवन (धानीन) में त्रिदिवसीय कार्यक्रम में गुरुवार को संबोधि पुस्तक की व्याख्यान माला के अंतर्गत श्रावकों, साधु व साध्वियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दर्शन में दो धाराएं हैं, जिसमें ईश्वरवादी परंपरा व कर्मवादी परंपरा शामिल है। ईश्वरवादी परंपरा में ईश्वर को सुख व दुख का कर्ता माना जाता है, वहीं कर्मवाद में आत्मा सद व असद् प्रवृति करती रहती है तथा हमारे कर्म ही सुख व दुख को पैदा करते हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपनी साधना का विकास करना चाहिए एवं कषाय मंदता के प्रति जागरूक रहना चाहिए। जहां कहीं भी गलती लगे, तो अंगुली निर्देश (टोंकना) अवश्य होना चाहिए।
मेरे जीवन में आया बदलाव: पांडे
01 JULY 2011 (जैन तेरापंथ समाचार न्यूज ब्योरो)
मुनि दिनेश कुमार के मंगलाचरण से प्रारंभ हुए समारोह के प्रमुख अतिथि मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष कृपाशंकर पांडे सिंह थे। अध्यक्षता ट्रस्ट मंडल अध्यक्ष खमाणचंद डागरा ने की। पांडे ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ एवं आचार्य महाश्रमण का कई बार जो सानिध्य मिला, उससे मेरे जीवन में काफी बदलाव आया एवं कई बातें सीखने को मिली। ट्रस्ट मंडल अध्यक्ष खमाणचंद डागरा, पूर्णचंद्र बड़ाला एवं राजकुमार दक ने अतिथियों को साहित्य एवं स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया।
संबोधि साधना के लिए अनुकूल:
आचार्य महाश्रमण ने संबोधि उपवन परिसर का अवलोकन कर कहा कि यह समूचा परिसर आध्यात्ममय हैं। ध्यान, योग, साधना के लिए यह अति अनुकूल स्थान है। ध्यानयोगी मुनि शुभकरण जो स्वयं साधनारत हैं ऐसे में यहां समय-समय पर ध्यान शिविर आयोजित हों एवं यह स्थान प्रेक्षाध्यान का केंद्र बने।
राजसमंद भी बने जीवन विज्ञान का केंद्र:
प्रेक्षा प्रशिक्षक मुनि किशनलाल ने कहा कि प्रेक्षाध्यान से अनेक लोगों का जीवन परिवर्तित हुआ है। जीवन विज्ञान, प्रेक्षाध्यान एवं अहिंसा को आत्मसात किया जाए, तो जीवन सुखद बन जाता है। मुनि ने राजसमंद में जीवन अकादमी का केंद्र बनाने पर बल दिया। संबोधि उपवन में भीलवाड़ा से समागत जीवन अकादमी के कार्यकर्ताओं द्वारा किए जा रहे कार्यों पर कीर्ति बोरदिया ने प्रकाश डाला। डॉ. एम.एल मिनी ने कहा कि मानवीय सद्गुणों की पौध अगर सूख जाएगी तो चरित्रवान व्यक्ति का निर्माण नहीं हो पाएगा।