News in English:
Location: | Charbhuja |
Headline: | Saints Believe in Change of Heart◄ Acharya Mahashraman |
News: | Acharya Mahashraman told that to give punishment to criminals is duty of state. Punishment keeps control over crime. We are saint and we believe in change of heart and we try in that direction. |
News in Hindi:
महाश्रमण का चारभुजा में प्रवेश, धर्मसभा में कहा-
आचार्य महाश्रमण का चारभुजा में प्रवेश, धर्मसभा में कहा- अपराधी जिस तरह का अपराध करता है। उसे उस स्तर का दंड नहीं मिलेगा, तो अपराध पर नियंत्रण नहीं होगा
चारभुजा 21 जून 2011 जैन तेरापंथ समाचार ब्योरो
अपने भक्तो को दर्शन देते महाश्रमण
अहिंसा यात्रा के साथ मेवाड़ की घाटियों में अहिंसा की अलख जगा रहे आचार्य महाश्रमण ने फांसी की सजा के खिलाफ आवाज उठाने वालों को करारा जवाब देते हुए कहा कि जो अपराधी दूसरों को मारता है, उसे फांसी क्यों नहीं दी जाती। यह बात उन्होंने सोमवार को चारभुजा चौराहे पर आयोजित धर्मसभा में कही। उन्होंने कहा कि अनेक लोग कहते हैं कि मृत्युदंड नहीं होना चाहिए, पर मैं कहना चाहूंगा कि जो दूसरों को मारने जैसा घिनौना अपराध करता है उसे मृत्युदंड क्यों न हो। अपराधी जिस तरह का अपराध करता है। उसे उस स्तर का दंड नहीं मिलेगा, तो अपराध पर नियंत्रण नहीं होगा। आचार्य ने कहा कि वर्तमान में राजतंत्र नहीं है, परंतु दंड संहिता आज भी है। इसका काम न्यायालय में होता है। दंड संहिता के कारण ही अपराध करने वालों पर अंकुश रहता है। हम संत है। संतों का काम अपराधी का हृदय परिवर्तन करना होता है। उस काम को अंजाम देने का प्रयास करते हैं, परंतु सब जगह प्रेम काम नहीं करता है। दंड संहिता का भी अपना मूल्य है।
शासक का कर्तव्य संतों, सज्जनों की रक्षा करना
चारभुजा. चारभुजा में आयोजित धर्मसभा में शामिल श्रावक
भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव किरन माहेश्वरी द्वारा सभा में उठाए गए संत जगदीश गोपाल महाराज पर हुए हमले के मुद्दे पर आचार्य महाश्रमण ने अपना मंतव्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि काम और क्रोध दो वृतियां हैं, जिनके उभर जाने से व्यक्ति बड़े से बड़ा अपराध कर देता है। वह यह नहीं देखता कि सामने कौन है। संतों पर भी वह हमला कर देता है, परंतु शासक का कर्तव्य होता है कि संतो की, सज्जनों की रक्षा करे, दुर्जनों पर कार्रवाई करे और आश्रित व्यक्तियों का भरण-पोषण करे।
जो शासक इस दायित्व को नहीं निभाता है, वह सफलता से शासन नहीं कर सकता है।
राजनीति सेवा का माध्यम:21 जून 2011 जैन तेरापंथ समाचार ब्योरो
आचार्य ने राजनीति से स्वार्थ साधने वालों को नसीहत देते हुए कहा कि राजनीति मूल्यवान बनी रहनी चाहिए। यह देश की, जनता की सेवा का साधन है। जो इसके द्वारा स्वार्थपूर्ति करते हैं वह मूल्यों को इग्नोर करते हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति पर धर्म नीति का अंकुश होना चाहिए। साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा ने कहा कि संतो की नियति है श्रम करना। अगर संत सुविधावाही हो जाएंगे तो श्रम कौन करेगा। आचार्य महाश्रमण अथक श्रम कर रहे हैं। आप द्वारा मेवाड़ की धरा पर किया गया यह पुरुषार्थ एक नए इतिहास का सर्जन करेगा। सभा में विधायक किरण माहेश्वरी ने कहा कि कांग्रेस की सरकार में साधु, महात्माओं को भी नहीं बख्शा जा रहा है। अत्याचार इतना बढ़ गया है कि धर्म के नाम को चलाने वालों के खिलाफ भी साजिश हो रही है। इस मौके पर तेरापंथ कांफ्रेंस के अध्यक्ष बसंतीलाल बाबेल, प्रधान सूरतसिंह दसाणा, उप जिला प्रमुख मदनलाल गुर्जर, नाथूलाल गुर्जर, ललित चोरडिय़ा आदि उपस्थित थे। संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया।