News In English
Location: | Rajsamand |
Headline: | Muni Balchand Served Sangh ◄Acharya Mahashraman |
Content: | Acharya Mahashraman described Muni Balchand a monk dedicated to sangh and served sangh very well. his will power was strong. Sadhvi Pramukha Kanakprabha also paid tribute to him and told he always inspired younger monks. |
News in Hindi:
'सेवक व संकल्पवान थे मुनि बालचंद' -आचार्य महाश्रमण
Thursday, 12 May 2011 (जैन तेरापंथ समाचार ब्योरो)
राजसमंद । आचार्य महाश्रमण ने कहा कि मुनि बालचंद उत्साही संत सेवक व संकल्पवान थे। उन्होंने संघ की बहुत सेवा की और संघ ने भी उनकी खूब सेवा की। वे यहां प्रज्ञा विहार में बुधवार को आयोजित स्मृति सभा में हजारों श्रद्धालुओं को सम्बोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने मुनि बालचंद को गणवत्सव की उपाधि से अलंकृत किया। आचार्यने कहा कि प्रमाद से पुण्य क्षीण हो जाता है, इसलिए आलस्य-प्रमाद नहीं करें। आदमी साधु बनता है तो वह निष्क्रमण करता है, साधना करता है। सफलता के उत्साह में कभी कमी नहीं आनी चाहिए। साधना का विकास करके सफलता हासिल की जा सकती है।
हर व्यक्ति को आत्मतोष होना चाहिए कि साधना की दिशा में आगे बढ रहा हूं। उन्होंने कहा कि साधना के दो आयाम होते हैं। कषाय खत्म होने चाहिए और निर्धारित आधार के प्रति जागरूकता होनी चाहिए।
साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा ने कहा कि मुनि बालचंद संघ के खैरख्वाह साधु थे। उन्होंने सदैव युवाओं का उत्साहवर्द्धन किया। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि वे दृढ संकल्पित, सहयोगी भाव, गुरू दृष्टि, संत दृष्टि व स्व दृष्टि रखने वाले मुनि थे। साध्वी विश्रुत विभा ने कहा कि मुनि बालचंद में संत निष्ठा, गुरू निष्ठा, मर्यादा व आचरण के गुण कूट-कूट कर भरे थे।
मुनि गिरीश कुमार ने भावांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उन्हें मुनि बालचंद की अंतिम समय में सेवा का सुअवसर मिला, जो उनके लिए सौभाग्य है। मोहजीत मुनि ने संचालन करते हुए कहा कि उनमें अनेक विशेषताएं थीं। उन्होंने गुरूसेवा का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया, इसलिए उन्हें शासनश्री की उपाधि से अलंकृत किया गया। मुनि किशनलाल स्वामी, मुमुक्षु शांता जैन सहित कई जैन मुनियों व समाज के वरिष्ठ लोगों ने विचार व्यक्त किए। दो मिनट का मौन रखकर भावांजलि दी गई।