जैनविश्व भारती का 42वां स्थापना दिवस व महावीर जयंती पर हुआ समारोह
सत्य ही ईश्वर का स्वरूप: बिस्साLadnun ►42nd JVB Establishment Day Celebrated. Colleter Shyam Sundar Bissa Addressing Function.
लाडनूं 17 APRIL 2011 (जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो)
लाडनूं. समारोह को संबोधित करते कलेक्टर बिस्सा
अष्टïांग योग के यम अथवा जैन धर्म के पंच महाव्रत एक समान हैं। इनमें सभी तरह की साधनाएं समाहित है।
ये विचार शनिवार को नागौर कलेक्टर श्यामसुंदर बिस्सा ने जैविभा स्थित अहिंसा भवन में जैविभा के 42वें स्थापना दिवस व महावीर जयंती समारोह में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि इन पंच महाव्रतों में से केवल एक पहले महाव्रत सत्य को पूरी तरह धारण किया जाए तो शेष सभी अहिंसा, अपरिग्रह व अस्तेय आदि की साधना स्वत: ही हो जाती है। सत्य में ही ईश्वर का स्वरूप है। एक सत्य को साधने से सबकी साधना स्वत: सिद्घ हो जाती है। जैन विश्व भारती के प्रभारी प्रो. मुनि महेंद्रकुमार ने भगवान महावीर के जीवन और उनके विचार प्रवाह पर प्रकाश डाला। कुलपति समणी चारित्रप्रज्ञा ने महावीर के अनेकांत व अहिंसा व अपरिग्रह आदि सिद्घांतों को कालातीत बताते हुए कहा कि अध्यात्म के लिए हमें उनके विचारों का अवलंबन करना ही होगा। पालिकाध्यक्ष बच्छराज नाहटा ने जैन विश्वभारती के इतिहास और विकास पर प्रकाश डाला। साध्वी कमलश्री ने कहा कि महावीर ने अपने समय में फैले जातीय अहम को विलीन किया। मुनि अजीतकुमार ने इस अवसर पर गीत प्रस्तुत किया। संचालन मुमुक्षु डॉ. शांता जैन ने किया।
कलेक्टर का किया सम्मान
जैविभा की ओर से नगरपालिका के अध्यक्ष बच्छराज नाहटा ने कलेक्टर को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। इस अवसर पर नाहटा ने एसडीएम नारायणलाल रेवाड़ व विकास अधिकारी रिछपालसिंह बुरड़क को भी साहित्य भेंट कर सम्मानित किया।