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रेलमगरा में आचार्य के स्वागत की तैयारी पूर्ण
Kunvaria and Junada Admit your mistake with pure heart and try to amend that. be alert every moment. Monks do pratikraman twice in a day to purify. People should be dutiful. Before address of Acharya Mahashraman Mantri Muni Sumermal and Samani Nirmal Prajna also spoke. |
कुंवारिया. राजसमंद जिले में प्रवेश करते आचार्य महाश्रमण।
रेलमगरा (ग्रामीण) ८ अप्रेल 11 जैन ९ (जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो)
आचार्य महाश्रमण की अहिंसा यात्रा के शुक्रवार को रेलमगरा में प्रवेश को लेकर यहां के श्रावक व श्राविका समाज ने तैयारी कर ली है। कस्बे की साफ-सफाई कर आकर्षक रूप से सजाया गया है।
welcome gurudev
यात्रा को लेकर कुरज मार्ग पर पेट्रोल पंप से बस स्टैंड, फतहनगर मार्ग, सदर बाजार, सोनी मोहल्ला, विजयवर्गीय मोहल्ला, खाकल बावजी मार्ग, तेरापंथ मार्ग पर होर्डिंग्स, स्वागत द्वार लगाए गए हैं। इसी के साथ थाने के बाहर धर्मसभा के लिए बहुत बड़े पंडाल का निर्माण किया गया है। इसी तरह आचार्य प्रवर के साथ ही साधु व साध्वी समाज के प्रवास एवं यात्रा के साथ चलने वाले श्रावक व श्राविकाओं के ठहरने की व्यवस्था की गई है। इन व्यवस्थाओं की तैयारी में तेरापंथ सभा के अध्यक्ष नरेंद्र लोढ़ा की अगुवाई में महिला मंडल, युवक परिषद, कन्या मंडल सहित किशोर मंडल लगे हुए थे।
जैसी बात हो वैसी...
रेलमगरा (ग्रामीण). जूणदा में आचार्य महाश्रमण की धर्मसभा में शामिल जैन धर्मावलंबी।
8 अप्रेल 11 (जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो)
गलती को सरलता से स्वीकारें: गलती को सरलता से स्वीकार कर लें। गलती का शुद्धिकरण का उपाय करें, ऐसा प्रयास करना चाहिए। चाहे-अनचाहे कभी भी गलती हो सकती है। प्रमोद से विरक्त रहें। आचार्य महाश्रमण ने कहा कि जागरूक रहें। साधु चलते बात नहीं करते हैं, किंतु रास्ता काटने के लिए ऐसा हो जाता है तो यह प्रमाद है। दिनभर की गलती के शुद्धिकरण के लिए दो समय प्रतिक्रमण करते हैं। प्रतिक्रमण भाव जागरूकता से करना चाहिए, यह शुद्धि का उपाय है। जागरूकता से दोनों समय प्रतिक्रमण करने से आत्मा का स्नान हो जाता है। सेवा निष्काम भाव से करनी चाहिए, तभी कल्याणकारी हो सकती है।
कर्तव्यबोध से जीवन सफल: व्यक्ति हमेशा कर्तव्य के प्रति जागरूक रहे, अजागरूकता रहने पर कमी होती है। आचार्य ने इस संदर्भ में चार भाईयों का दृष्टांत सुनाया। महाश्रमण ने कहा कि पिता का पुत्र के प्रति, पुत्र का पिता के प्रति, बड़े भाई का छोटे भाई के प्रति, छोटे भाई का बड़े भाई के प्रति, पति का पत्नी के प्रति, पत्नी का पति के प्रति, इसी तरह गुरु को शिष्य के प्रति व शिष्य का गुरु के प्रति कर्तव्य से जीवन का क्रम अच्छा बन जाता है। कर्तव्य बोध जीवन में हो जाए तो जीवन सफल बन सकता है। साधु का पहला कर्तव्य साधुत्व की रक्षा करना व साधना का विकास होना चाहिए। आचार्य ने कहा कि कोई विद्वान व पंडित न बन पाए पर जीवन में आत्म निष्ठा, संघ निष्ठा, अपनों के प्रति निष्ठा, आचार निष्ठा व मर्यादा निष्ठा यह पंचामृत है। इससे व्यक्तित्व व साधना का विकास होता है। इस अवसर पर गत दिनों देवगढ़ में साध्वी पुष्पा के देवलोकगमन होने की स्मृति में लोगस्स का सामूहिक पाठ किया गया। तेरापंथ सभा जूणदा ने अभिनंदन पत्र दिया। इसके पहले मंत्री मुनि सुमेर मल लाडनूं एवं समणी निर्मल प्रज्ञा ने भी धर्म सभा को संबोधित किया।
इन्होंने की अगवानी: इसे पूर्व राजसमंद जिले में प्रवेश पर विधायक कल्याण सिंह चौहान, तेरापंथ सभा जूणदा, तेरापंथ सभा रेलमगरा, कुंवारिया, कुरज के पदाधिकारी ने उनकी अगवानी की। टपरिया खेड़ी पहुंचने पर आयोजित स्वागत समारोह में विधायक चौहान, महेंद्र कर्णावट, रोशनलाल जैन, गुण सागर कर्णावट, नरेंद्र लोढ़ा, जीवन सोनी, प्रकाश मेहता, सुमति मेहता, एडवोकेट मुकेश टेकल्या, स्थानकवासी संघ जूणदा सहित खाकला, देवरिया, गंगापुर, कुंवारिया, कुरज, भीलवाड़ा तेरापंथ युवक परिषद के कार्यकर्ता मौजूद थे। गुरुदेव ने श्रावकों द्वारा भीलवाड़ा आगमन की विनती पर स्थिति अनुकूल निर्णय लेने की बात कही। जूणदा में प्रधान रेखा अहीर, सरपंच गीतादेवी रेगर, सचिव राजेश जैन, उप सरपंच घीसूलाल पितलिया ने स्वागत किया। इससे पूर्व जिले में प्रवेश पर आचार्य महाश्रमण की जिला प्रशासन की ओर से उपखंड अधिकारी राजेंद्र अग्रवाल, तहसीलदार प्यारेलाल शर्मा, थानाधिकारी कुंवारिया दलपतसिंह राठौड़ ने अगवानी की।