02.02.2020 ►JAIN STAR ►News

Published: 03.02.2020
अलौकिक पर्व हैं मर्यादा महोत्सव
By स्वरुप चन्द दाँती/Jain Star on 02 Feb 2020,Sunday
गुड़ियातम्। श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा भवन में साध्वी श्री जिनरेखाजी के सान्निध्य में 1 फरवरी को तेरापंथ धर्म संघ का 156 वॉ मर्यादा महोत्सव मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीपिका गिरिया एवं प्रेक्षा आच्छा के भिक्षु अष्टकम् मंगलाचरण से हुआ। साध्वी श्री जिनरेखा ने प्रेरक उद्बोधन में कहा कि मर्यादा महोत्सव तेरापंथ धर्मसंघ का मूलभूत केंद्र बिंदु हैं। आचार्य भिक्षु ने मर्यादाओं का निर्माण किया। मर्यादा मानव समाज का अलंकरण ही नहीं अपितु सुरक्षा कवच हैं। मर्यादा महोत्सव अनुशासन और संगठन का महान प्रतीक हैं। मर्यादा दिशा सूचकयंत्र हैं। मनुष्य के लिए मर्यादा आवश्यक हैं। केवल मनुष्य के लिए ही नहीं, प्रकृति के लिए भी मर्यादा का मूल्य हैं।साध्वी श्री ने आगे कहा कि मर्यादा महोत्सव के समय आचार्य विगत वर्ष का सिंहावलोकन करते हैं। देशभर में हुए कार्यों की समीक्षा करते हैं। साध्वी श्वेतप्रभा, साध्वी मधुरयशा, साध्वी धवलप्रभा, साध्वी मार्दवयशा ने अपने वक्तव्य के माध्यम से मर्यादा पर प्रकाश डाला। मुख्य अतिथि दानमल सुराणा, तेरापंथ युवक परिषद् अध्यक्ष दिलीप गिरिया, दीपक आच्छा ने भी आचार्य भिक्षु की मर्यादा और तेरापंथ धर्मसंघ का नेतृत्व कर रहे गुरु परंपरा पर अपने विचार व्यक्त किए। महिला मंडल ने जय जय शासन गीत की सुंदर प्रस्तुति दी। कन्या मंडल और युवती मंडल ने तेरापंथ धर्मसंघ के स्तंभ अनुशासन, मर्यादा, समर्पण, श्रद्धा, विनय पर शब्दचित्र प्रस्तुत किया। साध्वी वृंद ने सामूहिक गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन मानमल नाहर ने किया।

बेबाक विचार
---------------
क्या नादाणा तीर्थ का जीर्णोद्धार हो रहा है या दुसरी जगह नया मंदिर बनाया जा रहा है?
By मानकचंद राठौड़/ 02 Feb 2020,Sunday
तीर्थ उद्धारक आचार्य विजय चिदानंद सुरीश्वर महाराज साहब ने एक पत्र जारी कर नादाणा तीर्थ के उद्धार अपील की हैं।
875 साल से मजबूती के साथ नादाना तीर्थ सबकी आस्था के केंद्र बना हुआ था। इस पुराने तीर्थ में अचानक ऐसी क्या कमजोरी आई कि उसे पूरी तरह से खंडित करना पड़ा?
क्या इस 875 साल पुरानें तीर्थ को खंडित करने के लिए किसी विशेषज्ञ की सलाह ली गयी थी?
किसी भी प्राचीन तीर्थ को संपूर्ण नष्ट कर नए मंदिर के निर्माण करने से तीर्थ का उद्धार नहीं होता है। पुराने मंदिर को जमीनदोस्त करने से, उस तीर्थ की प्राचीन कलाकृति, पवित्रता एवं गरिमा की हत्या हो जाती है। सही चिंतन के अभाव में सिर्फ नई तख्तियों को लगाने के लिए यह कार्य हो रहा है। अगर इस कार्य को शुद्ध मन से कर रहे हो फिर बिना तख्ति लगाए दान लेने की कोशिश कर के देखिए।
समाज गुरु भगवंत से यह भी जानना चाहेंगा कि जब राणकपुर एवं देलवाड़ा के तीर्थों का जीर्णोद्धार होगा तो क्या वो प्राचीन मंदिर भी तोड़कर नए मंदिरों का निर्माण किया जाएगा?


Sources
Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • Publications
    • Jain Star
      • Share this page on:
        Page glossary
        Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
        1. HN4U
        2. Jain Star
        3. आचार्य
        4. आचार्य भिक्षु
        Page statistics
        This page has been viewed 202 times.
        © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
        Home
        About
        Contact us
        Disclaimer
        Social Networking

        HN4U Deutsche Version
        Today's Counter: