Bardoli: 05.09.2019
Anachi Devi Chhajer left for heavenly abode. Her memorial meeting was held in presence of Samani Jyoti Pragya and Samani Manas Pragya. Her one daughter is Sadhvi Amit Rekha and second one is Samani Manas Pragya. Her grand daughter also took diksha and known as Sadhvi Samvar Yasha. She took conditional Santhara. She was doing alternative days fast since last 35 years.
बारडोली तेरापंथ भवन में पर्युषण पर्व के कार्यक्रम के अंतर्गत तीसरा सामयिक दिवस के दिन बालोतरा निवासी(कवास)स्वर्गीय चंदनमल जी छाजेड़ की धर्मपत्नी श्रद्धा की प्रतिमूर्ति श्री मति अणची देवी (सूरत प्रवासी)महापर्व पर्युषण मांगलिक बेला मंगलवार को सुबह 8:15 बजे देवलोकगमन हुआ समणी निर्देशिका ज्योति प्रज्ञा जी व मानस प्रज्ञा जी के सानिध्य में श्रद्धा की प्रतिमूर्ति श्रीमती अणची देवी की स्मृति सभा का आयोजन किया गया श्रद्धा की प्रतिमूर्ति कई दिनों की संलेखना व 4 दिन की तपस्या के साथ सागरी संथारा में देवलोक गमन हुआ अपनी दो पुत्रियां साध्वी अमित रेखा जी व समणी मानस प्रज्ञा जी व पोती साध्वी संवर यशा जी को संयम पथ पर अग्रसर किया कवास गांव
में श्राविका सुपात्र दान व साधु साध्वी की सेवा दर्शन का लाभ लिया तप व जप अभिन्न अंग था नवकार मंत्र व ओम भिक्षु का कोटि जप किया उपवास व बेले से क्रमशः 15 तक की तपस्या कई बार की, 35 वर्षो से वर्षी तप की तपस्या की आपकी सहनशीलता बेजोड़ थी कभी भी किसी भी सदस्य को कड़वा नहीं कहा सदैव मीठी भाषा बोलती थी कम शब्द बोलती थी कवास में 35 फुट पानी की बाढ़ आने पर गले तक पानी मैं भी जाप के प्रताप से सही सलामत रही जीवन भर जमीन कंद का त्याग व हरी सब्जी मात्र 10 ही खाते थे 45 वर्षों से अखंड ब्रह्मचर्य की साधना की 12 व्रत व अणुव्रत का पालन किया ऐसी श्राविका का जाना परिवार के लिए दुखद घटना है निर्देशिका ज्योति प्रज्ञा ने कहा श्राविका में सेवा की प्रबल भावना थी संथारा की प्रबल इच्छा थी अंतराय कर्म कुछ बाधक बना खाने पीने की इच्छा नहीं थी खाने के नाम से मुंह बंद करती थी तपस्या व सागारी संथारा में देवलोक गमन हुआ जीवन भर साधना का जीवन जिया उनका जीवन पुरानी परंपराओं से मुक्त था साध्वी अमित रेखा जी व साध्वी संवर यशाची के संदेशों का वाचन हुआ समणी मानस प्रज्ञा ने कहा आज जो कुछ हूं मां की बदौलत हूं संयम तप वैराग्य बोलना सब कुछ संस्कार मां ने दिए हैं सबसे छोटी लाडली बेटी शक्ति भक्ति श्रद्धा से श्रद्धांजलि व्यक्त कर रही है *जीना है तो मौत को हथेली में रखकर और मरना है तोश्राविका अणचि बाई की तरह मौत को सुधार कर* इस अवसर पर भाई जयेश ने कहा दान तो सब कर सकते ह पर सुपुत्री का सुपात्र दान देना सबसे बड़ी बात है आपने परिवार के तीन सदस्यों को संघ में समर्पित किया श्राविका जी अणची देवी को श्रद्धा से नमन करते ह श्री मति पायल चोरड़िया ने कहा गुरुदर्शन करना आपके जीवन का लक्ष्य था जब नही हो पाते तो आप घी और नमक के त्याग कर लेते थे आपकी साधना को सशक्त प्रणाम आध्यात्मिक विकास की शुभकामना मंगल कामना अंतिम समय मे छाजेड़ परिवार ने श्रीमती अणची बाई को आध्यात्मिक सहयोग दिया सभी साधुवाद के पात्र ह इस अवसर पर परिवार के सभी सदस्य पारसमल जी लुंकड़ अरिहंत छाजेड़ छगन छाजेड़ नवीन छाजेड़ श्री मति सुशीला छाजेड़ परमेश्वरी देवी दरियाव देवी, लुंकड़ पुष्पा,विभा, प्रिंस डेज़ी गर्विता मौजूद थे