Ajman: 23.03.2019
Samani Sheel Pragya told that we should refine us to be pure and sweet like sugar. We should not loose patience in adverse situation Saman Sheel Pragya used story of Shali bhadra, Pradeshi Raja and Loh Banik. Samani Prashast Pragya sing melodious song. Dinesh Kothari welcimedd Samani Ji in his house.
आज समणी शील प्रज्ञा जी और प्रशस्त प्रज्ञा जी का करीब 2 घंटे का बहुत अच्छा कार्यक्रम चला| फोटो☝आज अजमान में दिनेश कोठारी के घर पर उनका स्वागत किया गया| समणी प्रशस्त प्रज्ञा जी ने बहुत मधुर गीत 'श्वास श्वास में रहे निनादित महामंत्र नवकार, ले ले सहारा हो जाये बेडा पार' से शुरुआत की| उन्होंने बताया कि शक्कर की तरह हमें विशुद्ध और उज्जवल बनना है| मीठा बनना है | शक्कर जिस प्रकार पानी, दूध आदि में घुल मिल जाती है वैसे ही हमें भी घुल मिल जाना है| हमें गुणग्राहक बनना है और जिस प्रकार शक्कर को गर्म करने पर बह मिठास नहीं खोती उसी प्रकार हमें भी कठिन परिस्थितियों में धैर्य नहीं खोना है| शील प्रज्ञा जी ने बताया कि परतंत्रता में दुःख है स्वतंत्रता में सुख है| व्यक्ति कर्म के हाथों गुलाम है, परतंत्र है| शालिभद्र, परदेशी राजा, लोह वणिक आदि आदि कई कहानियों के माध्यम से आत्मनिर्भर और स्वतंत्र बनने का उपदेश दिया| अंत में प्रशस्त प्रज्ञा जी ने बहुत वैराग्य वर्धक गीत 'तू आयो है एकलो रे भाई जासी एका एक कोई न सागे चालसी रे करले जरा विवेक| देख हालत औरां री क्यूँ करे थारी म्हारी, अंतर्ज्ञान जगा ले, कोई साथी नहीं थारो' से कार्यक्रम सम्पन्न किया|