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*28/11/2018 आचार्य श्री महाश्रमण जी एवं चारित्रात्माओं के दक्षिण भारत में सम्भावित विहार/ प्रवास सबंधित सूचना*
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🏵 *परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी का विहार पथ*
(संभावित कार्यक्रम)
*28 नवम्बर 2018*
*दिन-रात्रि प्रवास व प्रवचन स्थल*
Swami Vivekananda Vidya Peedam, Sriperumbudur
Sriperumbudur Road,Chellaperumal Nagar, Sri Ram Nagar, Nemili, Tamil Nadu 602105
097874 11559
लोकेशन जानने के लिए नीचे दिए गये लिंक पर क्लिक करें।
https://g.co/kgs/hTQQS2
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री मुनिसुव्रत कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
Anand ji Dhariwal
Rajesh jewellers M.G.chowk opp. S. S. Complex
kolar.
☎9602007283,9449001099
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी एवं मुनि श्री रमेश कुमार जी का प्रवास*
प्रवीण जी कोठारी
*विलसन विन्टेज*- flat no. B-108 विल्सन गार्डन,बैगलौर
☎8085400108,9686851834
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3 का प्रवास*
सुबह का प्रवास
चन्द्रजीत जी बाठिया के निवास स्थान पर
शाम एंव रात्री प्रवास
प्रसन्न जी बैद के निवास स्थान पर
*कोयम्बत्तूर*
☎8107033307,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री अमृत कुमार जी ठाणा 2 का प्रवास*
रमेश जी श्री श्रीमाल
अडैयार
☎9884530275
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*संघ संवाद + संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री राज कुमार जी ठाणा 2 का प्रवास*
अन्ना नगर प्रेमजी धोका के यहाँ से विहार कर मदनलाल जी डागा रेडिल्स विराजेंगे।
☎9840136646
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा २ का प्रवास*
निचे दिये गए नम्बर पर सम्पर्क करे
☎9629588016,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या मुख्य नियोजिका साध्वी श्री विश्रुत विभा जी ठाणा 20 का प्रवास*
पन्नालाल जी टाटिया
ई सी आर रोड
नीलांकरै
☎ 8209531985,9841074366
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या शासन श्री साध्वी श्री विद्यावती जी ठाणा 5* का प्रवास
Madan Chand Bafna
185 Strahans Road
Pattalam Chennai-12
☎9382134178
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या शासन श्री साध्वी श्री यशोमती जी ठाणा 4* का प्रवास
राजेन्द्र शताब्दी मंदिर
चट्टीपेट
चेन्नैइ-बैगलोर हाईवे
☎7044937375
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या शासन श्री साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा 5* का प्रवास
*तेरापंथ सभा भवन*
*गॉधीनगर, बैगलौर*
See me on Google Maps! https://maps.app.goo.gl/ZwENyiIfCG5oUrZF2
☎080-22912735
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री राकेश कुमारी जी (बायतु) ठाणा 4* का प्रवास
Suresh ji Nakhat
Prakash Nagar Begumpet
Hydrabad
☎7702146197,9347052970
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*संघ संवाद+ संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 3* का प्रवास
शांतिलाल जी बोथरा
31, 5वी क्रॉस
एम के बी नगर, व्यसरपाड़ी
☎9840085122
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*संघ संवाद + संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या सुर्दशना श्री जी ठाणा 4 का प्रवास*
कटि बसेश्वरा आंजनेय मठ से 11 km का विहार करके भैरोपुर पोल्ट्री फ्रॉम पद्यारेगे।
बेल्लारी से 48Km हे।
☎6375865526
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*संघ संवाद + संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
सुनील जी दलाल
#3 Bhikshu Sadhana
Buddha Marg near Mahadeshwara Nursing Home Mysore
☎9448023050,9845013961
9601420513
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*संध संवाद*+ *संध संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मधुस्मिता जी ठाणा 6 का प्रवास*
Bimal ji Bhansali
Sobha
677/19,5th main road
12th cross mc layout
*विजयनगर, बैगलौर*
☎7798028703,
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙
📝 *श्रंखला -- 479* 📝
*सत्य-संधित्सु आचार्य भिक्षु*
*जीवन-वृत्त*
गतांक से आगे...
आचार्य भिक्षु ने वीर निर्वाण 2287 (विक्रम संवत् 1817, ईस्वी सन् 1760) में ही 'केलवा' में आषाढ़ शुक्ला पूर्णिमा को सांयकाल 7:00 से 8:00 तक के समय में अपने साथियों सहित नई दीक्षा ग्रहण की। यही तेरापंथ की स्थापना का दिवस था।
आत्मबली श्री भिक्षु का चिंतनपूर्वक उठाया हुआ यह कदम पूर्व परंपराओं को चुनौती और अध्यात्म क्रांति का सूत्रपात था।
आचार्य भिक्षु के सामने अनेक संघर्ष आए। विकट परिस्थितियां चट्टान की भांति उनके पथ में उपस्थित हुईं, परंतु संयम के पथ पर बढ़ते हुए उनके चरणों को काल व देशजनित किसी प्रकार की बाधा अवरुद्ध नहीं कर सकी।
आचार्य भिक्षु के क्रांतिकारी निर्णय का लक्ष्य विशुद्ध आचार परंपरा का वहन था। उन्होंने कभी भी संप्रदाय बनाने की कोई योजना पहले नहीं सोची और न अपने दल का कोई नामकरण किया।
जोधपुर के तत्कालीन दीवान फतेहचंदजी सिंघवी ने आचार्य भिक्षु के विचारों के अनुसार तेरह श्रावकों को दुकान में सामायिक करते हुए देखा। उनसे आचार्य भिक्षु के संबंध की जानकारी प्राप्त करते समय उन्हें ज्ञात हुआ कि उनके साथ श्रमणों की संख्या तेरह है। राजस्थानी भाषा में तेरह की संख्या को तेरा कहा जाता है। पास में खड़े एक भोजक कवि ने तत्काल एक पद की रचना की। संख्या के आधार पर आचार्य भिक्षु के दल को तेरापंथी नाम से संबोधित किया। भोजक कवि के मुख से दिया हुआ यह नाम चर्चित होता हुआ आचार्य भिक्षु के कानों तक पहुंचा। उनकी मेधा ने तेरापंथी शब्दावली के साथ व्यापक अर्थ संयोजना की। तेरापंथ को प्रभु का मार्ग बताकर उस नाम को स्वीकार किया। तात्त्विक भूमिका पर तेरापंथ शब्द की व्याख्या में पांच महाव्रत, पांच समिति, तीन गुप्ति इन तेरह नियमों की साधना को जोड़ा।
दीर्घदर्शी, सुविनीत श्रमण थिरपालजी एवं फतेहचंदजी इन दो संतों की विशेष प्रार्थना पर वे तप-आराधना के साथ जन-उद्बोधन कार्य में प्रवृत्त हुए। उनके आगम आधारित उपदेशों का जनमानस पर अप्रत्याशित प्रभाव पड़ा। लोगों के चरण उनके पीछे गए कई। व्यक्ति श्रावक भूमिका में प्रविष्ट हुए। कई श्रमण बने। चार वर्ष तक किसी बहन की श्रमण दीक्षा नहीं हुई। एक व्यक्ति ने आकर आचार्य भिक्षु से कहा "भीखणजी! तुम्हारे संघ में तीन ही तीर्थ हैं।" आचार्य भिक्षु मुस्कुराते हुए बोले "इस बात की मुझे कोई चिंता नहीं। मोदक खंडित है, परंतु शुद्ध सामग्री से बना हुआ है।"
तेरापंथ के स्थापना काल में साधुओं की संख्या तेरह थी। उसी वर्ष यह संख्या कम होकर छह हो गई। आगम विशेषज्ञ हेमराजजी स्वामी की दीक्षा वीर निर्वाण 2323 (विक्रम संवत् 1853, ईस्वी सन् 1796) में हुई। उससे पहले संतों में 13 की संख्या पुनः कभी नहीं हुई। परंतु हेमराजजी की दीक्षा के समय तेरह का अंक पूर्ण हुआ तथा उसके बाद वह आगे बढ़ता गया।
आचार्य भिक्षु के शासनकाल में 105 दीक्षाएं हुईं। उनमें 35 व्यक्ति पृथक् हो गए पर आचार्य भिक्षु के सामने संख्या का व्यामोह कभी नहीं था। उनके सम्मुख आचार-विशुद्ध का प्रश्न प्रमुख था।
*सत्य-संधित्सु आचार्य भिक्षु द्वारा संघ को सुगठित करने हेतु की गई सुव्यवस्थाओं व जिनवाणी के आधार पर उजागर किए गए तथ्यों* के बारे में पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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अध्यात्म के प्रकाश के संरक्षण एवं संवर्धन में योगभूत तेरापंथ धर्मसंघ के जागरूक श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
🛡 *'प्रकाश के प्रहरी'* 🛡
📜 *श्रंखला -- 133* 📜
*पूरमलजी चोरड़िया*
*चातुर्मास के लिए*
गतांक से आगे...
नगरसेठ की स्वीकृति मिल गई तो पूरचंदजी का उत्साह भी समुद्र की लहर के समान बांसों ऊपर उठ गया। वे उसी रात को सरदारगढ़ पहुंचे। तब तक सभी संत सो चुके थे। पूरमलजी को ऐसा एकांत ही अभीष्ट था। उन्होंने तत्काल अग्रणी मुनि को जगाया, वंदन किया और उपालंभ के स्वर में कहने लगे— "आपने तो मेरी पूरी योजना को ही गड़बड़ा दिया।"
मुनिश्री उस अप्रत्याशित और अकारण उपालम्भ से कुछ चकित तो अवश्य हुए फिर भी सहज मुस्कान के साथ बोले— "मुझे तो अभी तक यह पता भी नहीं है कि तुम्हारी क्या योजना थी, फिर मैंने उसे कैसे गड़बड़ा दिया?"
पूरमलजी— "योजना तो बहुत बड़ी थी। मैं स्वयं संयम ग्रहण करने का विचार कर रहा था। सोचा था कि इस वर्ष आपका चातुर्मास आमेट होगा तो प्रतिक्रमण आदि सीखने का सहज ही संयोग मिल जाएगा, परंतु आपने तो यहां चातुर्मास करने का निर्णय कर लिया। अब आप ही बतलाइए कि मुझे कैसे क्या करना चाहिए? यहां तो विशेष अवसर निकाल कर ही आया जा सकता है। जबकि ज्ञानार्जन के लिए निरंतर संयोग ही अधिक उपयोगी होता है।"
मुनिश्री ने पूरमलजी की सारी बातें सुनी तो एक क्षण के लिए विचार-मग्न हो गए। फिर उनकी और स्थिर दृष्टि से देखते हुए परख लेने के लिए पूछा— "क्या सचमुच ही तुम्हारी भावना संयम ग्रहण करने की है?"
पूरमलजी ने कहा— "भावना है तभी तो इतनी बात है, अन्यथा सीखने धारणी की चिंता करने की फुर्सत ही किसको होती है?"
मुनिश्री ने तब आश्वासन सा देते हुए कहा— "अभी ऐसी चिंता की क्या बात है? आज तो त्रयोदशी ही है। अभी पूरा एक दिन हमारे हाथ में है। यद्यपि यहां का चातुर्मास मैंने स्वीकार कर लिया था, परंतु वह सब तो द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव के आधार पर ही होता है। विशेष उपकार की भावना पर मैं उस निर्णय में परिवर्तन कर सकता हूं।"
पूरमलजी की आंखें चमक उठीं। उल्लास भरे शब्दों में वे बोले— "अंधे को क्या चाहिए? दो आंखें ही तो। यदि आप ऐसा कर सकें तो मेरा उद्धार हो जाएगा, परंतु एक प्रार्थना यह है कि जब तक मैं अपनी पूरी तैयारी न कर लूं तब तक मेरी विराग भावना की बात आप संतो तक ही सीमित रहनी चाहिए।"
मुनिश्री ने उनकी बात को स्वीकार किया और फिर अपने साथी संतों को जगा कर नई स्थिति पर विचार विमर्श करना प्रारंभ किया। सभी संतों का ध्यान रहा कि यदि एक व्यक्ति को संयम की ओर प्रगति करने में हम सहयोगी बन सकते हैं तो हमारे लिए आमेट चातुर्मास करना ही प्रशस्त होगा। प्रातःकाल होते ही मुनिश्री ने श्रावक वर्ग के सम्मुख यह घोषणा कर दी कि हम लोग आज ही विहार करके आमेट जा रहे हैं। विशेष आवश्यकतावश चातुर्मास वही करने का विचार है।
सरदारगढ़ की जनता इस अप्रत्याशित घोषणा से एकदम चकित और स्तम्भित हो गई। सभी पर उसका प्रभाव अनभ्र वज्रपात के समान हुआ। लोग तत्काल मुनिश्री के पास इकट्ठे हुए, अनुनय-विनय किया, अज्ञात दोषों के लिए क्षमायाचना की, अपनी ही पूर्व घोषणा के विरुद्ध व्यवहार न करने का कर्त्तव्य-बोध दिया और इस प्रकार अचानक विहार का निर्णय कर लेने के कारण की जिज्ञासा भी की, परंतु मुनिश्री ने सबको यही कहकर समझाने का प्रयास किया कि विशेष उपकार की दृष्टि से यह निर्णय किया गया है। उनके उत्तर से वहां के निवासियों को संतोष तो क्या हो सकता था, परंतु मुनिश्री की इच्छा के विरुद्ध वे कर भी क्या सकते थे?
*क्या पूरमलजी की विराग भावना उस चातुर्मास के दौरान अपने लक्ष्य संयम-ग्रहण तक पहुंची...?* जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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News in Hindi
🛣 *उग्र - विहारी देश - विदेशे विचर वरी विख्याति,*✨
⛰ *...क्या वर्णी जाए ख्याति।*
🌞 *बड़े भाग्य से शासन में ऐसे शासनपति आए।।*☝
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🙏 *पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके ⛩सविता इंजीनियरिंग कॉलेज, कुट्टमबक्कम पधारेंगे..*
👉 *आज का प्रवास: सविता इंजीनियरिंग कॉलेज, कुट्टमबक्कम, चेन्नई...*
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👉 *आज के विहार के कुछ मनोरम दृश्य..*
दिनांक: 27/11/2018
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