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बच्चा माता-पिता को भी भूल जाता है #मोबाईल के साथ #इन्टरनेट मिलने परःडाॅ.शिवमुनि
मोबाईल ने आज हमको अपनों से दूर कर दिया हैं।
उदयपुर: 18/7/2018। श्रमणसंघीय आचार्य सम्राट डाॅ. शिवमुनि महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति पश्चिम की संस्कृति के कारण विनाश के कंगार पर खड़ी है। छोटे-छोटे बच्चे मोबाईल लेकर खेलते रहते हैं। इससे मोबाईल का उपयोग कम दुरूपयोग ज्यादा हो रहा है। मोबाईल ने आज हमको अपनों से दूर कर दिया हैं। मोबाईल से बीमारीयां भी बढ़ रही है। मोबाईल के कारण कितनी दुर्घटनाएं होती है, लोग बेमौत मर रहे है। मोबाईल के साथ इन्टरनेट मिल जाए तो फिर बच्चों को किसी की भी जरूरत नहीं है। वह अपने माँ-बाप तक को भी भूल जाता है। भारतीय संस्कृति को पतन की ओर ले जा रहा है आपका मोबाईल और इन्टरनेट समय रहते नहीं जागे तो बहुत बड़ी हानि होने वाली है।
पुष्करवाणी ग्रूप ने बताया कि वे आज आयड़ ऋषभ भवन में आयोजित धर्म सभा को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर स्वामी स्वयं सिद्ध गति को प्राप्त हो गए है और समस्त भावी जीवों को मोक्ष मार्ग का रास्ता दिखाते है। शरीर और आत्मा दो अलग-अलग तत्व है। चौबीस घण्टे आत्मा और शरीर साथ-साथ रहते है मगर कभी मुलाकात नहीं होती है, मुलाकात के लिए आपको अपने भीतर उतरना होगा। गौतम ने भगवान से जो पूछा वह आगम बन गये, अर्जुन ने भगवान कृष्ण को पुछा वह गीता बन गई। आप भी पूछे मेरी मुक्ति कैसे होगी।
आचार्यश्री ने कहा कि भगवान महावीर अपने शिष्य गौतम से कहते है गौतम तुम मुझसे भी मोह छोड़ दो। अन्तिम समय देवदत्त शर्मा को ब्राह्मण के पास भेज दिया, महावीर ने गौतम को वापस आते हुए रास्ते में ही पता चला की महावीर निर्वाण को प्राप्त हो गए। आप भी अपने भीतर देखों कि आपकी आसक्ति, राग, मोह, राग कहाँ है, भाव को कम करना है। राग और द्वेश कर्म बंधन के दो मार्ग है। मोह के कारण यह उत्पन्न होते है और यहीं मुक्ति मार्ग के बाधक है।
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संथारा सहित देवलोक हुआ।
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संयम पथ की अमर साधिका *उपप्रवर्तिनी श्री मगन श्री जी म.सा. की प्रपौत्र शिष्या,उप प्रवर्तिनी श्री सुचेष्ठा जी म.सा.की सुशिष्या*
*महासाध्वी श्री विनोद जी म.सा.* का एक लम्बी बीमारी के बाद
आज *18 जुलाई 2018 को 14/24, जैन स्थानक, पुरानी शक्ति नगर, दिल्ली में संलेखना संथारा सहित देवलोक हो गया है।*
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*अन्तिम यात्रा*
*गुरुवार 19 जुलाई 2018 को सबह 9 बजे 14/24, जैन स्थानक पुरानी शक्ति नगर, से चलकर निगम बोध घाट लगभग 10: 30 बजे पहुंचेगी। वहीं पर अन्तिम संस्कार होगा।*
*कृपया अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर अंतिम दर्शनों का लाभ प्राप्त करें।*
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पुष्करवाणी ग्रूप की ओर से दिवंगत आत्मा को भावपूर्ण श्रद्धांजलि
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जिनशासन देव से हम प्रार्थना करते हैं कि दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान देकर निर्मल मुक्ति एवं मोक्षगति प्रदान करें
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महारानी त्रिशला के १४ शुभ स्वप्न...
भगवान महावीर के जन्म से पूर्व एक बार महारानी त्रिशला नगर में हो रही अद्भुत रत्नवर्षा के बारे में सोच रही थीं, यह सोचते-सोचते वे ही गहरी नींद में सो गई, उसी रात्रि को अंतिम प्रहर में महारानी ने सोलह शुभ मंगलकारी स्वप्न देखे।
वह आषाढ़ शुक्ल षष्ठी का दिन था। सुबह जागने पर रानी के महाराज सिद्धार्थ से अपने स्वप्नों की चर्चा की और उसका फल जानने की इच्छा प्रकट की।
राजा सिद्धार्थ एक कुशल राजनीतिज्ञ के साथ ही ज्योतिष शास्त्र के भी विद्वान थे, उन्होंने रानी से कहा कि एक-एक कर अपना स्वप्न बताएं। वे उसी प्रकार उसका फल बताते चलेंगे, तब महारानी त्रिशला ने अपने सारे स्वप्न उन्हें एक-एक कर विस्तार से सुनाएं।
आइए जानते है भगवान महावीर के जन्म से पूर्व महारानी द्वारा देखे गए चौदह अद्भुत स्वप्न...
१. पहला स्वप्न: स्वप्न में एक अति विशाल श्वेत हाथी दिखाई दिया।
* ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राजा सिद्धार्थ ने पहले स्वप्न का फल बताया.. उनके घर एक अद्भुत पुत्र-रत्न उत्पन्न होगा।
२. दूसरा स्वप्न: श्वेत वृषभ।
फल: वह पुत्र जगत का कल्याण करने वाला होगा।
३. तीसरा स्वप्न: श्वेत वर्ण और लाल अयालों वाला सिंह।
फल: वह पुत्र सिंह के समान बलशाली होगा।
४. चौथा स्वप्न: कमलासन लक्ष्मी का अभिषेक करते हुए दो हाथी।
फल: देवलोक से देवगण आकर उस पुत्र का अभिषेक करेंगे।
५. पांचवां स्वप्न: दो सुगंधित पुष्पमालाएं।
फल: वह धर्म तीर्थ स्थापित करेगा और जन-जन द्वारा पूजित होगा।
६. छठा स्वप्न: पूर्ण चंद्रमा।
फल: उसके जन्म से तीनों लोक आनंदित होंगे।
७. सातवां स्वप्न: उदय होता सूर्य।
फल: वह पुत्र सूर्य के समान तेजयुक्त और पापी प्राणियों का उद्धार करने वाला होगा।
८. आठवां स्वप्न: लहराती ध्वजा ।
यह पुत्र सारे विश्व में धर्म की पताका लहराएगा।
९. नौवां स्वप्न: कमल पत्रों से ढंके हुए दो स्वर्ण कलश।
फल: वह पुत्र अनेक निधियों का स्वामी निधिपति होगा।
१०.दसवां स्वप्न: कमलों से भरा पद्म सरोवर।
फल: एक हजार आठ शुभ लक्षणों से युक्त पुत्र प्राप्त होगा।
११. ग्यारवाँ स्वप्न: हीरे-मोती और रत्नजडि़त स्वर्ण सिंहासन।
फल: आपका पुत्र राज्य का स्वामी और प्रजा का हितचिंतक रहेगा।
१२. बाहरवा स्वप्न: स्वर्ग का विमान।
फल: इस जन्म से पूर्व वह पुत्र स्वर्ग में देवता होगा।
१३. तेहरवां स्वप्न: रत्नों का ढेर।
फल: यह पुत्र अनंत गुणों से सम्पन्न होगा।
१४. चौहदवां स्वप्न: धुआंरहित अग्नि।
वह पुत्र सांसारिक कर्मों का अंत करके मोक्ष (निर्वाण) को प्राप्त होगा।
पिता सिद्धार्थ और माता त्रिशला को ज्ञात हो गया...उनके घर एक ऐसी आत्मा जन्म लेने वाली है...जो युगों युगों तक तीनों लोको को अपने कल्याणमयी संदेश से लाभान्वित करती रहेगी।
प्रभु का जन्म होने वाला है...ख़ुशी अपार आई है...
आओ झूमों नाचो गाओ...प्रभु का हालरडा।
आओ... खुशियाँ मनाये... जन जन के कल्याणकारी प्रभु वीर महावीर के जन्म की, उनके आदेशों पर चलने की कोशिश करते हुए...
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