13.07.2018 ►Acharya Shri Gyan Sagar Ji Maharaj Ke Bhakt ►News

Published: 16.07.2018

News in Hindi

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संस्कार के बिना शिक्षा अधूरी है: ज्ञानसागर जी महाराज
••••••आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज का मुरार में हुआ••••
°°°°••••••••• मंगल प्रवेश | ग्वालियर••••••°°°°°°°
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खुद भूखे रहकर दूसरों को भोजन कराना ही हमारी संस्कृति है। मनुष्य सुख में तो ईश्वर को याद नहीं करता, लेकिन दुख आते ही उसे ईश्वर की याद आती है। मानव जीवन में धर्म का अत्यधिक महत्व है। जीवन में सुख समृद्धि व शांति पाना है तो धर्म का महत्व समझना होगा। भारतीय धर्म व संस्कृति में जो दूसरों के हितों की चिंता करता है, उसकी भगवान चिंता करते हैं। संत का मन निर्मल और जीवन परोपकार के लिए होता है। संस्कार के बिना शिक्षा अधूरी है। यह विचार आचार्यश्री ज्ञानसागर जी महाराज ने गुरुवार को श्री दिगंबर जैन धर्मशाला संतर मुरार में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। प्रवचन से पहले आचार्यश्री का मुरार में मंगल प्रवेश हुआ।
आचार्यश्री ने कहा कि नि:स्वार्थ भाव से की गई भक्ति जीवन में आने वाले संकटों को दूर करती है। जीवन में ऐसा कार्य करना चाहिए कि जहां जाओ वहां मंदिर बन जाए। पत्थर मंदिर में नहीं जाता है, लेकिन जब मंदिर पहुंचता है तो भगवान बन जाता है। जहां पाप होता है, वहां जीवन में सुख शांति और समृद्धि नहीं मिलेगी। वर्तमान में हमने भगवान को मंदिर में कैद कर रखा है जबकि दीवार में भगवान को नहीं रखना चाहिए भगवान को दिल में रखना चाहिए। परमात्मा के नाम अनेक हो सकते हैं,लेकिन परमात्मा एक होता है। आचार्यश्री ने कहा कि ईश्वर की आराधना करते समय आडंबर नहीं करना चाहिए, क्योंकि भगवान भाव के भूखे हैं, आडंबर के नहीं। ईश्वर की सच्चे दिल से आराधना करने पर वे अवश्य पुकार सुनते हैं। आजकल लोग आडंबर ज्यादा करते हैं, पूजा कम करते हैं। इसलिए परेशान हैं। प्
मुरार जाने से पहले गोपाचल पर्वत पहुंचे महाराज
आचार्यश्री ने मुरार जाने से पहले गोपाचल पर्वत पहुंचे। गोपाचल कमेटी के महामंत्री ने आचार्यश्री की आगवानी कर आरती उतारी। आचार्यश्री ने भगवान पार्श्वनाथ के दर्शन किए। आचार्यश्री के प्रवचन शुक्रवार को सुबह 8 बजे जैन धर्मशाला संतर में होंगे।
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संकलन दिनेश जैन चावन्ड उदयपुर राजस्थान
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Source: © Facebook

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