12.06.2018 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 12.06.2018
Updated: 13.06.2018

Update

Every moment of life is precious.. utilise it properly.. dont waste your breath.. money.. time.. Do swadhyay.. read Jinvaani.. Gem knowledge 🙂 Good Night.. Jay Jinendra! Dont adopt drinking/smoking habits from your friend circle.. Be precious 🙂

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अंग्रेजो ने अपने शासनकाल में भारत का नाम बदलकर इंडिया कर दिया था जिसका वास्तविक अर्थ हरामी इंसान होता है दरअसल अंग्रेजो के लिए भारत का प्रत्येक नागरिक तुच्छ और आम इंसान हुआ करता था वह अपने सिनेमा घरों की दीवारों पर dogs and indians are not allowed लिखते थे जिसके मायने है(हरामी इंसान और कुत्तों का अंदर आना मना हे_) ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की डिक्शनरी के पेज नंबर वन 789 पर इंडिया शब्द का अर्थ old fashion and criminl mind people अथार्थ (पुरानी घिसीपिटी मानसिकता का शिकार अपराधिक किश्म का आदमी) लिखा है 🤔🙄😕

अहिंसा के समर्थन से किया गया प्रत्येक कार्य सुफ़ल ही देता है इस बात को हम प्रयोगात्मक रूप से समझने का प्रयास करें तो पाएंगे पूर्व में गांधीजी ने चरखे को चलाते हुए अहिंसक बस्त्रो का निर्माण करने की प्रेरणा दी और जीवन यापन के लिए बेहतर उद्योग बताकर लोगों को स्वावलंबी रोजगार के सृजन की ओर प्रेरित किया और इस प्रकार संगठित होकर अंग्रेजों की गुलामी से भारत को मुक्त कराने का एक माहौल तैयार हो सका

वर्तमान में आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने देश की बढ़ती हुई दुर्दशा को देखकर अत्यंत करुणा करते हुए एक बार पुनः इंडिया शब्द को नकारते हुए भारत को भारत लिखने का आवाहन किया है कई सालों के बाद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश हित में फैसले कर रहे हैं यदि मोदी जी चाहते हैं कि एक बड़ा और समझदार वर्ग उनका समर्थन करें तो उन्हें चाहिए कि जल्द से जल्द शासकीय और अशासकीय अभिलेखों में इंडिया सब हटाकर भारत लिखने का आदेश पारित करें

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हम नाखून को अपने शरीर का थर्मामीटर मान लें तो कोई गलत नहीं --आचार्यश्री विद्यासागरजी मुनिराज

आचार्यश्री ने कहा कि जिसमें खून नहीं रहता उसको नाखून कहते हैं। आज नाखून में खून नहीं होते हुए भी वैध लोग, डॉक्टर लोग स्वास्थ्य की दृष्टि से नाखून ही देखा करते हैं। नाखून के माध्यम से ही हमारे स्वास्थ्य की परीक्षा हो जाती है। आपके खून में कोई विकृति है, नाखून के माध्यम से पता चल जाता है। आचार्यश्री ने कहा इस तरह से हम नाखून को अपने शरीर का थर्मामीटर मान लें तो कोई गलत नहीं होगा। जीवन में हम देखते हैं कब मृत्यु निकट आ जाए सर्प काट ले तो हमारा रक्त नीला काला पड़ जाता है। हम नाखूनों को देखकर ही खून की दशा एवं जीवन का अनुमान लगा लेते हैं। इसी प्रकार जीवन की यात्रा की पहचान हो जाती है। इसमें कुछ रेखाएं दोनों हाथों की नहीं एक हाथ की रेखाएं बदलती रहती हैं। जिसके जीवन में आचरण है, उसकी पहचान होने लगती है। जीवन में विकृतियां भी आती हैं हमारे जीवन में आचरण का बहुत बड़ा महत्व है।

एक परिचय आचार्य श्री.. कर्नाटक राज्य के सदगला गांव में हुआ आचार्यश्री का जन्म.. आचार्यश्री विद्यासागर महाराज को दीक्षा के 50 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। आचार्यश्री का जन्म दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य के बेलगांव जिले के सदलगा ग्राम में हुआ था। आचार्यश्री अपने माता-पिता के छह भाई-बहन है। इसमें चार भाई और दो बहने हैं। आचार्यश्री के सबसे बड़े भाई महावीर प्रसाद जो गृहस्थ अवस्था में हैं आचार्यश्री अपने भाई-बहनों में दूसरे नंबर के है। तीसरे नंबर के गृहस्थ अवस्था के भाई मुनिश्री 108 योग सागर जी के नाम से आचार्य संघ में ही विख्यात हैं। चौथे नंबर के गृहस्थावस्था के भाई आज मुनिश्री समय सागर जी के नाम से पहचाने जाते हैं। जनवरी माह में टीकमगढ़ में भव्य पंचकल्याणक उन्हीं के सानिध्य में हुआ था। आचार्यश्री की गृहस्थ जीवन की दो बहनें है जो कि नियमिति एवं प्रवचनमति के नाम से प्रसिद्ध है।

नेलपॉलिश नाखून को नुकसान पहुंचाता है
संगति से हमें बड़ा लाभ होता है, हमारा मोह का प्रभाव कम होता है। साधुओं की संगति से हमारा उद्धार हो सकता है। हम अपनी एक-एक चेष्टाएं बदलना प्रारंभ कर दें। नाखून को याद रखना इसको बार-बार याद रखना हमें अपने जीवन में नेलपॉलिश का उपयोग नहीं करना चाहिए। नाखूनों का लेप हमारे नाखूनों को नुकसान पहुंचाता है और इसमें जानवरों के रक्त का प्रयोग होता है। आचार्यश्री ने कहा प्रकृति ने हमें जो दिया है उसी के अनुरूप अपना जीवन जीना चाहिए।

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Update

आज शांतिनाथ भगवान के जन्म, तप, मोक्ष कल्याणक दिवस पर दर्शन करते है:... मुनि श्री 108 सुधा सागर जी की जन्म स्थली श्री 1008 शांतिनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, ईशुरवारा, जिला सागर, मप्र

👉 *क्षेत्र परिचय*: यहाँ पर सन 1600 ई. में श्री पाणाशाह द्वारा पहाड़ी पर निर्मित जिन मंदिर है। इसमे शांतिनाथ, कुंथुनाथ, अरनाथ, चन्द्रप्रभु व नेमिनाथ भगवान की खड्गासन प्रतिमाएं विराजमान है। बहुत अतिशयकारी प्रतिमा जी है। कृपया सभी महानुभाव दर्शन हेतु अवश्य पधारे।

👉 *मार्गदर्शन*: क्षेत्र बीना - सागर रोड पर सागर एवं खुरई से 30 किमी है।

👉 *सुविधाएं*: क्षेत्र में सर्वसुविधा युक्त धर्मशाला है।

👉 *निकटवर्ती तीर्थ क्षेत्र*: सागर 30 किमी, नैनगिरी 57 किमी, बीना 60 किमी है।

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News in Hindi

जलाशय के बीच में स्थित चतुर्मुख जैन मंदिर/ बसदि @ वारंग, कर्नाटक.. 🙂🙂

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आज शांतिनाथ भगवान के जन्म, तप एवम मोक्ष कल्याणक हैं! दर्शन कीजिये रामटेक में विराजमान श्री शांतिनाथ भगवान:)) #ShantinathBhagwan

✿ जो संसार विषय सुख होता..तीर्थंकर क्यों त्यागे, कहे को शिवसाधन करते, संजम सो अनुरागे ✿

एक दिन अपनी दो परछाई दर्पण में दिखने से वैराग्य उत्पन्न होता है तथा जब राजकुमार शांतिनाथ जी दीक्षा लेने के लिए वन की और जाते है तो...जनता आश्चर्य के साथ बहुत तरह की बात करती है..
"ओह देखो. ये चक्रवर्ती है - ६ खंड के राजा....दुनिया को सब कुछ लुटा दे तो भी इनकी सम्पदा कम नहीं होती....क्योकि जिनकी निधिया ही अक्षय है...नव-रत्न के राजा है!

ओह! ये कामदेव है...तीनो जगत में इनसे सुन्दर मानुष कोई नहीं...इनके रूप लावण्य के कारण जब भी कोई कन्या इनको देखती है..तो अपना काम भूल कर..पागल जैसी हो जाती है..." इत्यादि इत्यादि

लेकिन जनता नहीं जानती थी..ये जो त्याग कर जा रहे है..बो कभी इनका न तो हुआ था..न ही होगा....अब वो..ऐसा आत्म तत्त्व को पाने जा रहे है...जिसको पाने के बाद कभी इस संसार [जिसमे नहीं है कोई सार] आना नहीं पड़ेगा...अनादी काल से लुटते आये है....

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