01.06.2018 ►Acharya Shri Gyan Sagar Ji Maharaj Ke Bhakt ►News

Published: 01.06.2018
Updated: 05.06.2018

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बबीना में सिद्धचक्र महामंडल विधान का दूसरा दिन...

दिनांक 1 जून 2018 श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर बबीना (जिला झांसी) में मोदी परिवार की ओर से आयोजित श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान के दूसरे दिन प्रातः काल अभिषेक, शांतिधारा के पश्चात संगीतकार ऋषि एंड पार्टी भोपाल (मध्य प्रदेश) की स्वरलहरी के साथ प्रतिष्ठाचार्य पंडित श्री जय कुमार जी 'निशांत' के निर्देशन में इंद्र-इंद्राणियों ने भक्ति भाव के साथ पूजन की।

पश्चात ब्र० नेहा बहिन ने धर्म सभा का शुभारंभ मंगलाचरण से किया। तत्पश्चात *आर्यिका श्री संभवमति माताजी ने अपनी वाणी द्वारा कहा कि जितने भी जीव प्रभु हुए हैं सभी ने भक्ति की थी क्योंकि भक्ति भी परंपरा से मुक्ति का कारण है।*
प्रभु बनने के लिए बहुत पुरुषार्थ करना पड़ता है। जिस प्रकार जब रोटी दोनों तरफ से तपती है तभी उसका आपका पेट भरती है ऐसे ही अंतरंग बहिरंग दोनों तप जरूरी है तभी आत्मा पुष्ट होती है। अग्निपरीक्षा बहुत जरूरी है।

*आत्मा से परमात्मा कब बनेंगे जब आत्मा को तपाएंगे तभी आत्मा परमात्मा बनती है।* प्रभु की भक्ति से पापकर्म पुण्यकर्म रूप में परिवर्तित हो जाते हैं अतः श्रावकों को प्रभु की भक्ति करने में कभी भी प्रमाद नहीं करना चाहिए। सामूहिक पूजन आदि में सभी को सम्मिलित होकर सिद्धों की आराधना में समय निकालना चाहिए।

तदनंतर *आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने अपनी पीयूष वाणी द्वारा कहा कि प्रभु की भक्ति सिद्धालय तक पहुंचने के लिए सीढ़ी का काम करती है। मैना सुंदरी ने प्रभु भक्ति की थी सच्चे मन से। जिन जिन ने सच्चे मन से, हृदय से प्रभु की भक्ति की उन्होंने मुक्तिपद की प्राप्ति की।*

भक्ति मात्र पुण्य बंध का कारण नहीं है भक्ति के समय जो निर्मलता कषायों की मंदता होती है वह परिणाम कर्मों को निर्जरा करने में, संवर में भी माध्यम बनते हैं। अतः जीवन में अधिक से अधिक समय प्रभु की प्रार्थना में अवश्य ही निकालना चाहिए। पश्चात आचार्य श्री ने दो राजाओं का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि *एक राजा के राज्य में चार चौकीदार थे वह चौकीदार थे सत्य, प्रेम, न्याय, त्याग जिसके कारण उस राजा के राज्य में शांति रहती थी किंतु दूसरे राजा के यहां इन चार के अभाव से शांति नहीं मिली। दूसरे राजा को जैसे ही ज्ञात हुआ कि हमारे राज्य में चौकीदार नहीं है इसलिए अशांति है तो दूसरे राजा ने भी इन चार चौकीदारों को रखना प्रारंभ कर दिया। इसी के साथ आचार्य श्री ने कहा कि घरों में अगर यह चार चौकीदार होंगे तो घर स्वर्ग बन जाएंगे।* सहनशक्ति का विकास करो, छोटी-छोटी बातों में उलझा मत, तभी आप सिद्ध प्रभु के 16 गुणों को प्राप्त कर सकते हैं। सामूहिक पुण्यार्जन के इन क्षणों का भरपूर लाभ लें ताकि पाप कर्म के बंधन खुल जाएं।

प्रवचन के पश्चात सोलह गुणों से युक्त सिद्ध प्रभु की आराधना सभी श्रद्धालुओं ने की। शाम को गुरुभक्ति, आचार्यभक्ति के पश्चात संगीत की स्वर लहरी द्वारा प्रभु की आरती हुई। तत्पश्चात प्रवचन द्वारा सभी को प्रभु पूजन करने की प्रेरणा दी।

तदनंतर प्रश्न मंच का आयोजन हुआ, सही उत्तर देने वालों को पुरस्कृत किया गया।

प. पूज्य सराकोद्धारक, षष्ठम पट्टाचार्य श्री 108 ज्ञानसागर जी मुनिराज ससंघ के पावन सान्निध्य में "श्री 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान एवं विश्वशांति महायज्ञ" का आयोजन दिनांक 31 मई से 8 जून 2018 तक श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, बबीना कैन्ट, जिला झाँसी (उ.प्र.) में हो रहा है।

उपरोक्त विधान में आप सपरिवार व इष्ट मित्रों सहित शामिल होकर धर्म लाभ लें.....सकल जैन समाज, बबीना

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