23.05.2018 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 23.05.2018
Updated: 25.05.2018

Update

Video

Source: © Facebook

👉 प्रेरणा पाथेय:- आचार्य श्री महाश्रमणजी
वीडियो - 23 मई 2018

प्रस्तुति ~ अमृतवाणी
सम्प्रसारक 🌻 *संघ संवाद* 🌻

https://www.facebook.com/SanghSamvad/

🌈 *24/05/2018 मुनि वृन्द एवं साध्वी वृन्द के दक्षिण भारत में सम्भावित विहार/ प्रवास सबंधित सूचना* 🌈
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री धर्मरूचि जी ठाणा 4 का प्रवास*
*गणपतराज जी सुराणा*
16,trust square street
Ramlilingapuram
Chennai-12
☎ 8910991981,9884901680
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री मुनिसुव्रत कुमार जी ठाणा 2* *का प्रवास*
*जैन तेरापंथ सभा भवन*
no:5 thalaytham bazzar
*गुडियात्तम 632602*
(बेंगलुरु - चेन्नई हाईवे)
☎ 9602007283,9345910555
9488921371
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी एवं मुनि श्री रमेश कुमार जी ठाणा 3 का प्रवास*
*तेरापंथ सभा भवन*
*राजाजीनगर,बेंगलुरु*
☎ *9448385582*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3 का प्रवास*
*Ramana Maharshi Ashram,*
*Tiruvannamalai*
Vihaar Distance - 2.0 k.m.
Vihaar Time: 5.00 P.m.
From: Sreyansji Sethiya residence
☎ 8107033307,9443222652
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य डॉ. मुनि श्री अमृत कुमार जी ठाणा २ का प्रवास*
*Prakash Chand Bafna*
Tulsi nivas
No.45 bazaar street
*Thakkolam*.631151
☎9566296874,9994041150
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री अर्हत कुमार जी ठाणा 3 का प्रवास*
*संजय जी संचेती के निवास स्थान पर*
*विशाखापट्टनम*
☎9665000605,7972426132
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*संघ संवाद + संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा २ का प्रवास*
*Pradeep ji Bothra*
E -3 Emerald Block
Prime Enclave
Avinashi Road
*Tiruppur*
☎9629588016,9344801658
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री सुधाकर जी ठाणा 2 का प्रवास*
*जैन स्थानक*
*आरकोणम*
☎ *8072609493*
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*संघ संवाद + संध संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितीय' ठाणा ५ का प्रवास*
*अशोक कुमार जी मुथा के निवास स्थान पर*
23 jayaram street
Saidapet, Chenni-15
(Landmark: Near kalignar Arch)
☎ 7010319801,9841188345
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या "शासन श्री" साध्वी श्री यशोमती जी ठाणा 4 का प्रवास*
*तेरापंथ भवन*
*तंडियारपेठ, चैनैइ*
☎ *7044937375,9841098916*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या शासन श्री साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा 5* का प्रवास
*पुखराज जी श्रीश्रीमाल के निवास स्थान पर*
*R.P.C.layout*
*विजयनगर, बेंगलुरु*
☎ *9448278156*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री विमलप्रज्ञा जी एवम साध्वी श्री शारदा श्री जी ठाणा 10 का प्रवास*
*तेरापंथ भवन*
*ट्रिप्लिकेन, चेनैइ*
☎ *9051582096*
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री राकेश कुमारी जी (बायतु) ठाणा 4* का प्रवास
*विमल जी दुगड़ के निवास स्थान पर*
स्ट्रीट नंबर 10
*हिमायतनगर, हैदराबाद*
☎ *9959037737*
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*संध संवाद + संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4 का प्रवास*
*कांकरिया भवन*
आयशा हॉस्पिटल के पास वाली गली
Opp-millers road
Kilpauk-chennai-10
☎ *8428020772*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञा श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*शांतिलाल जी दुगड़ के निवास स्थान पर*
बजाज स्ट्रीट *शोलिंगर*
☎ *8875762662*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या सुर्दशना श्री जी ठाणा 4 का प्रवास*
*तेरापंथ सभा भवन*
*सिंधनूर*
☎ *8830043723*
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*संघ संवाद + संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
*महेंद्र जी नाहर के निवास स्थान पर*
*इकेगुड,मैसूर*
☎ *9348027915*
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*संध संवाद*+ *संध संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मधुस्मिता जी ठाणा 6 का प्रवास*
*राजकुमार जी कोटेचा के निवास स्थान पर*
89-2nd phase Orchard layout
मीनाक्षी टेंपल के पीछे
*बन्नेरघट्टा रोड बैगलौर*
☎ *7798028703*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*संघ संवाद Facebook से जुड़ने के लिए दिए गए link पर जाकर Like करें*
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*संघ संवाद what'sapp ग्रुप से जुडने के लिए इन नम्बरो पर मैसेज करें*
📲 *जितेन्द्र घोषल*: *9844295823*
📲 *मंजु गेलडा*: *9841453611*
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*प्रस्तुति:- 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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Source: © Facebook

Sangh Samvad
News, photos, posts, columns, blogs, audio, videos, magazines, bulletins etc.. regarding Jainism and it's reformist fast developing sect. - "Terapanth".

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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙

📝 *श्रंखला -- 332* 📝

*सिद्ध-व्याख्याता आचार्य सिद्धर्षि*

*ग्रंथ रचना*

सिद्धर्षि धर्म, दर्शन तथा अध्यात्म के विशिष्ट व्याख्याकार, सिद्धहस्त लेखक एवं संस्कृत के प्रकांड विद्वान् थे। उन्होंने धर्मदासगणी की उपदेशमाला पर उत्तम टीका की रचना की। साहित्य जगत् की श्रेष्ठ कृति उनकी 'उपमितिभवप्रपञ्च कथा' है। प्रभावक चरित्र ग्रंथ के अनुसार कुवलयमाला के रचनाकार दाक्षिण्यचंद्रसूरि सिद्धर्षि के गुरुभ्राता थे। उन्होंने एक दिन सिद्धर्षि से कहा "मुने! समरस भाव से परिपूर्ण आकण्ठ तृप्तिदायक समरादित्य कथा की कीर्ति सर्वत्र प्रसारित हो रही है। विद्वान् हो कर भी तुमने अभी तक किसी ग्रंथ का निर्माण नहीं किया।"

दाक्षिण्यचंद्रसूरि के वचनों से सिद्धर्षि हुए और प्रत्युत्तर में बोले "सूर्य के सामने खद्योत कि क्या गणना है? महान् विद्वान् हरिभद्र के कवित्व की तुलना मेरे जैसा मंदमति कैसे कर सकता है?"

दाक्षिण्यचंद्रसूरि एवं सिद्धर्षि के बीच वार्तालाप का प्रसंग समाप्त हो गया पर गुरुभ्राता के द्वारा कही गई यह बात आचार्य सिद्धर्षि के लिए मार्गदर्शक बनी। उन्होंने 'उपमितिभवप्रपञ्च कथा' की रचना की।

सिद्धर्षि को ग्रंथ रचना के लिए प्रेरणा देने वाले कुवलयमाला कथा के रचनाकार दाक्षिण्यचंद्रसूरि दाक्षिण्यांक उद्योतनसूरि से भिन्न प्रतीत होते हैं। दाक्षिण्यांक उद्योतनसूरि ने भी कुवलयमाला कथा की रचना की है। उनकी कुवलयमाला कथा रचना का समय वीर निर्वाण 1305 (विक्रम संवत् 835) है। सिद्धर्षि की 'उपमितिभवप्रपञ्च कथा' का समय विक्रम संवत् 962 है। अतः दाक्षिण्य में चिह्नाङ्कित उद्योतनसूरि की सिद्धर्षि के साथ समसामयिकता सिद्ध नहीं होती। दोनों के रचनाकाल के मध्य 127 वर्ष का अंतर है। सिद्धर्षि गुरुभ्राता दाक्षिण्यचंद्रसूरि थे। दाक्षिण्याङ्क की प्रेरणा से 'उपमितिभवप्रपञ्च कथा' की रचना हुई।

*सिद्धर्षि द्वारा रचित उपमितिभवप्रपञ्च कथा* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

📙 *'नींव के पत्थर'* 📙

📝 *श्रंखला -- 156* 📝

*आनंदचंद भाई वकीलवाला*

*प्रथम दर्शन*

लाडनूं पहुंचने पर जब उन्हें यह पता चला कि जयाचार्य यहीं पर बिराज रहे हैं तो उनकी प्रसन्नता का पार नहीं रहा। चारों जौहरियों ने जयाचार्य के निकट जाकर ओज आहार की तरह जब प्रथम दर्शन प्राप्त किए तब मानो कृतकृत्य हो गए। क्षण भर में ही उनका समग्र मार्ग श्रम सफल हो गया। वह अवसर संवत् 1920 फाल्गुन शुक्ल पक्ष में होली से दो-तीन दिन पूर्व का था। राजस्थान के उन क्षेत्रों में गुजराती बंधुओं का वह प्रथम आगमन ही था, अतः साधु-साध्वियां और जनता उन्हें विस्मय भाव से देख रहे थे। वे इतने साधु-साध्वियों को एक आचार्य के अनुशासन में देखकर विस्मित थे।

यद्यपि खान-पान, वेशभूषा तथा भाषा आदि की दृष्टि से वे लोग राजस्थान के व्यक्तियों से काफी भिन्न थे, परंतु साधर्मिकता के भाव ने उन सब भिन्नताओं को गौण कर दिया। स्थानीय लोगों का व्यवहार उन लोगों के साथ इतनी आत्मीयता का रहा कि जिसकी शायद उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी।

*सम्यक्त्व और व्रत ग्रहण*

वे लोग तत्त्व जिज्ञासा लेकर इतनी दूर आए थे, अतः अन्य सभी कार्यों को गौण करके उन्होंने अपना अधिक से अधिक समय जयाचार्य की सेवा में बिताया। वे जौहरी ही जौहरी थे, अतः रत्न परीक्षा की तरह उन्होंने धर्म और धर्मगुरु की बड़ी सूक्ष्म दृष्टि से परीक्षा करनी प्रारंभ की। साधु-साध्वियों के आचार-विचार से लेकर उनके रहन-सहन तक के प्रत्येक व्यवहार को उन्होंने अपनी कसौटी पर परख कर देखा। अनेक साधु-साध्वियों की सेवा में बैठे। तत्त्वचर्चा और जिज्ञासाएं कीं। जयाचार्य का समय तो उन्होंने सबसे अधिक लिया। जयाचार्य ने भी प्राथमिकता देकर उनकी प्रत्येक जिज्ञासा का आगम प्रमाण युक्त समाधान किया। इस प्रकार आठ दिनों तक निरंतर निरीक्षण एवं धर्म चर्चा करके पूर्ण आश्वस्त हो गए कि यही वीतराग देव का धर्म है।

उन्होंने जयाचार्य से निवेदन किया— "गुरुदेव! हमें पूर्ण विश्वास हो गया है कि कलिकाल में भी आप लोग शुद्ध साधुत्व का पालन करते हैं। आपकी प्ररूपणा और आचरण बिल्कुल विशुद्ध हैं। आज से हम आपको ही अपने गुरु मानेंगे। कृपा करके हमें गुरु धारणा के नियमों से अवगत करिए।" जयाचार्य ने गुरु धारणा के समय स्वीकार किए जाने वाले नियमों की उन्हें जानकारी दी। तब चारों व्यक्तियों ने खड़े होकर एक साथ उन व्रतों को स्वीकार किया।

जयाचार्य के पास उन लोगों ने श्रावक के बारह व्रतों के विषय में भी पूरी जानकारी प्राप्त की और फिर यथाविधि प्रत्याख्यान ग्रहण करके पूर्ण श्रावक बन गए।

आनंदभाई ने बारह व्रत ग्रहण करते समय लाडनूं में जिस पत्र पर अपने हाथों से उनका विवरण लिखा वह पत्र आज भी उनके पारिवारिकों के पास सुरक्षित है। उसके प्रारंभ में वे लिखते हैं— "हुं आनंदचंद शवाईचंद आज रोजे शहेर लाडणु मध श्री पूजजी महाराज जीतमल स्वामीजी पास नीचे लखेला आगार सिवाए पचखान करूं छऊं। संवत् 1920 ना फागण वध 7 वार वुधे। छंडी नो आगार।"

लाडनूं में वे लोग दस दिन ठहरे। अधिक ठहरने से वापस जाते समय मार्ग में ही तेज गर्मी आ जाने का भय था। चारों व्यक्तियों ने भक्ति भरे हृदयों से जयाचार्य के दर्शन किए और उनके मुख से मंगलपाठ सुनकर वहां से विदा ली। वही 400 मील का लंबा और धूल भरा मार्ग तथा वही ऊंटों की कठिन सवारी। अनेक कठिनाइयां झेलते हुए वे वापस अहमदाबाद पहुंचे। वहां से फिर सूरत बम्बई चले गए। उक्त यात्रा में उन्हें लगभग तीन महीनों का समय लगा।

*आनंदचंद भाई ने सूरत आकर किस तरह धर्म प्रचार का प्रयास किया...?* जानेंगे और प्रेरणा पाएंगें... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 अहमदाबाद - त्रिवेणी संगम आध्यात्मिक मिलन
👉 पर्वत पाटिया, सूरत - सुपात्र दान मोक्ष का पायदान ओर MY VISION BOARD कार्यक्रम
👉 जयपुर - निःशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन
👉 जयपुर - आचार्य महाश्रमण फिजोयोथरेपी सेंटर का उद्घाटन
👉 सैंथिया (प.ब.) - आचार्य महाश्रमण प्रवास की वर्षगांठ पर कार्यक्रम

प्रस्तुति -🌻 *संघ संवाद* 🌻

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News in Hindi

👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ

प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए

🌻 *संघ संवाद* 🌻

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Sources

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  2. Sangh
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  8. आचार्य महाप्रज्ञ
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  11. दस
  12. भाव
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