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*02/05/2018 मुनि वृन्द एवं साध्वी वृन्द के दक्षिण भारत में सम्भावित विहार/ प्रवास सबंधित सूचना*
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री धर्मरूचि जी ठाणा 4 का प्रवास*
*तेरापंथ सभा भवन*
*साहूकारपेट,चेन्नई*
☎ *8910991981*
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री मुनिसुव्रत कुमार जी ठाणा 2 का प्रवास*
*पोलुर से 7 km विहार करके रेणुगमल कॉलेज पधारेंगे*
*(तिरुवन्नामलाई-वेलूर रोड)*
☎ *9602007283*
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २ का प्रवास*
*बच्छराज जी सुराणा के निवास स्थान राजाजीनगर, बेंगलुर*
☎*9448385582*9844058105
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3 का प्रवास*
*S. A.माणकराज जी उगम जी सिंघवी सन्नति स्ट्रीट*,
*वंदवासी*,
*(कॉचीपुरम - वंदवासी रोड)*
☎ *9865002758*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य डॉ. मुनि श्री अमृत कुमार जी ठाणा २ का प्रवास*
*VDS SAYAR BAJAJ, (near new bus stand) Katpadi road,Vellore 632004*
☎ *9566296874,9655246521,*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा २ का प्रवास*
*विनोद जी भंसाली*
*16/12-17,Thiyagaraja New Street No.3,Near Pal Market*
*Coimbatore-01*
☎ *9629588016* *9443137523,7200690967*
*रात्रिकालीन प्रवास*
*प्रकाश जी बोथरा*
*1B-Mayflower Brookfield,1st Floor,Near Kikani School, Coimbatore-02.*
☎ *9629588016* *9843112599,7200690967*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री सुधाकर जी एवं मुनि श्री दीप कुमार जी का प्रवास*
*जैन स्थानक*
*आरकोणम*
☎ *8072609493*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितीय' ठाणा ५ का प्रवास*
*J.Kaniya lal ji Navin ji Bothara mutha*
32/5B manonmani ammal street
*Kilpauk,Chennai-10*
Road Opp to motcham theatre
☎ *7010319801*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या "शासन श्री" साध्वी श्री यशोमती जी ठाणा 4 का प्रवास*
*प्रकाश जी मुकेश जी मुथा*
26-दीवान रामा रोड
*पुरुषवाकम, चैनैइ*
☎ *7044937375* 9841098916
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा ५ का प्रवास*
*मनोहर जी बोहरा के निवास स्थान विजयनगर,बेंगलुरु*
☎ *9784755524*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री विमलप्रज्ञा जी ठाणा 6 का प्रवास*
*प्रातः 6.05 बजे कारनोडै से विहार कर लगभग 7.30 बजे रेडहिल्स में श्री गणपतराज डागा के निवास पधारेंगे।वहां से जुलूस रूपी विहार कर श्री मदनलाल डागा के निवास स्थल पर पदार्पण होगा।*
☎ *9051582096,9123032136*
*9940699969, 9003377077*
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 3 का प्रवास*
*J.Kaniya lal ji Navin ji Bothara mutha*
32/5B manonmani ammal street
Kilpauk,Chennai-10
Road Opp to motcham theatre
☎ *8428020772,*9840252251,9841395555
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञा श्री जी ठाणा 4 का प्रवास*
*तेरापंथ सभा भवन*
*GUDIYATTAM*
*(बेंगलुरु- चेन्नई रोड)*
☎ *9488921371*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिस्या साध्वी श्री सुर्दशना श्री जी ठाणा 4 का प्रवास*
*जवलगेरा स्कूल में*
*(रायचुर-सिंधनूर रोड)*
☎ *8830043723*
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*संघ संवाद + संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
*तेरापंथ सभा भवन*
*Mandya*
☎ *9844474113*
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*संध संवाद*+ *संध संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मधुस्मिता जी ठाणा 6का प्रवास*
*सुरेश जी भुतेडा के निवास स्थान पर*
*Upahar Darshini Hotel Ke Samne*
*3RD Block Jaynagar,*
*Bangalore (कर्नाटक)*
☎ *7798028703*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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📲 *जितेन्द्र घोषल*: *9844295823*
📲 *मंजु गेलडा*: *9841453611*
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*प्रस्तुति:- 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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Source: © Facebook
Sangh Samvad
News, photos, posts, columns, blogs, audio, videos, magazines, bulletins etc.. regarding Jainism and it's reformist fast developing sect. - "Terapanth".
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
📙 *'नींव के पत्थर'* 📙
📝 *श्रंखला -- 138* 📝
*जेठमलजी गधैया*
*विशिष्ट प्रत्याख्यान*
जेठमलजी ने अपने जीवन में अनशन रूप तपस्याएं कितनी की उसका कोई विवरण उपलब्ध नहीं है। परंतु उनके प्रत्याख्यानों से ज्ञात होता है कि वे किसी बड़े तपस्या से कम महत्त्वपूर्ण नहीं थे। जब वे 35 वर्ष के पूर्ण युवक थे, उसी समय उनके प्रत्याख्यानों का क्रम चालू हुआ। उनकी तालिका अग्रोक्त प्रकार से है—
*सम्वत् 1923 में किए गए प्रत्याख्यान*
आजीवन पूर्ण ब्रह्मचर्य व्रत का स्वीकार, जल के अतिरिक्त रात्रि भोजन का परित्याग, संपूर्ण हरित्काय भोजन का परित्याग, स्नान का परित्याग, अष्टमी और चतुर्दशी के उपवास करने का नियम।
*सम्वत् 1925 अश्विन शुक्ला 10 को किए गए प्रत्याख्यान*
परिग्रह का परिमाण इस प्रकार से किया— नगद रुपया 5 हजार, आभूषण 5 हजार के, अन्न 200 मण, कपड़ा 125 रुपयों का, चेजा कराने का त्याग पर टूट-फूट ठीक कराने का आगार, सचित्त लाने तथा मंगवाने का त्याग, खुले मुंह बोलने का त्याग, प्रतिदिन रात्रिकालीन संवर करने का नियम।
*सम्वत् 1928 पौष शुक्ला 11 को किए गए प्रत्याख्यान*
चार प्रकार के भोजन में खाद्य और स्वाद्य का त्याग, सचित्त खाने का त्याग, 91 द्रव्यों से अधिक खाने का त्याग, प्रतिदिन 15 द्रव्यों से अधिक खाने का त्याग, रात्रिकालीन चौविहार व्रत, दिन में एक बार के अतिरिक्त भोजन का त्याग, भोजन के समय के अतिरिक्त 4 से अधिक बार पानी पीने का त्याग। खेल, नृत्य, गान आदि देखने तथा सुनने के लिए जाने का त्याग, ग्राम सीमा के आगे चारों दिशाओं में एक-एक कोस से अधिक जाने का त्याग, औसर (मृत्यु भोज) बडार (विवाह भोज) दसोटन (जन्मोत्सव) और बारहवें (मृत्यु के बाद बारहवें दिन का भोज) की वस्तु खाने का त्याग, चालीस से अधिक व्यक्तियों के भोज में खाने का त्याग। इस प्रत्याख्यान के कारण ही वे अपने पौत्र गणेशदासजी की सगाई तथा विवाह में सम्मिलित नहीं हो पाए। इस अवसर पर पति-पत्नी दोनों ने अपना खाना अलग बनाकर खाया।
*सम्वत् 1941 माघ कृष्णा 12 को किए गए प्रत्याख्यान*
सवारी पर चढ़ने का त्याग, व्यापार करने का त्याग, सौदा करने का त्याग। मांचे, ढोलिए और पल्यंक पर सोने का त्याग। सिरख-पथरने आदि के उपयोग का त्याग, जूते पहनने का त्याग, आठ द्रव्यों— बाजरे की रोटी, गेहूं की रोटी, मूंग की दाल, मोठ का मोगर, कढ़ी, छाछ, घृत और पानी के अतिरिक्त किसी भी पदार्थ के खान-पान का क्या त्याग। ज्येष्ठ आषाढ़ में तीन बार तथा शेष दस महीनों में दो बार से अधिक जल पीने का त्याग।
उपर्युक्त प्रत्याख्यानों के अतिरिक्त भी उनके अनेक प्रत्याख्यान थे। उनमें कुछ नए और कुछ पूर्व प्रत्याख्यान में किया गया संकोचन था। जैसे असत्य बोलने का पूर्णतः त्याग, आरंभ-समारंभ का आदेश देने का त्याग, अन्यतीर्थी से पहल करके बोलने का त्याग, दोनों समय पर अतिक्रमण करने का नियम, प्रतिदिन 5 द्रव्यों से अधिक खाने का त्याग, ज्येष्ठ आषाढ़ में दो बार तथा शेष के 10 महीनों में एक बार से अधिक जल पीने का त्याग आदि।
जेठमलजी अपने प्रत्याख्यानों में अत्यंत सुदृढ़ रहने वाले व्यक्ति थे। अंतिम समय तक भी पूर्ण जागरूकता के साथ उनकी सार-संभाल करते रहे। दिग्-परिमाण व्रत के कारण ही वे तेरापंथ की श्रद्धा ग्रहण करने के पश्चात् भी जयाचार्य के दर्शन नहीं कर पाए। उन्होंने सर्वप्रथम मघवागणी के दर्शन भी तब प्राप्त किए जब सम्वत् 1939 में वे सरदारशहर पधारे।
सम्वत् 1952 वैशाख शुक्ला 12 को जेठमलजी ने अनशन ग्रहण करके समाधि पूर्वक देहत्याग किया।
*रीड़ी के साहूकार श्रावक संतोषचंदजी सेठिया के प्रेरणादायी जीवन-वृत्त* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙
📝 *श्रंखला -- 314* 📝
*जिनवाणी संगायक आचार्य जिनसेन*
दिगंबर विद्वान् आचार्य जिनसेन द्वितीय का नाम सफल टीकाकारों में है। आचार्य वीरसेन की भांति जिनसेन सिद्धांतों के प्रकृष्ट ज्ञाता तथा कवि मेधा से संपन्न थे। सरस्वती की उन पर अपार कृपा थी। विनय आदि के गुणों से उनकी विद्या शोभायमान थी।
*गुरु-परंपरा*
आचार्य जिनसेन के गुरु धवला एवं जयधवला के रचनाकार पञ्चस्तूपान्वयी आचार्य वीरसेन थे। वीरसेन के गुरु आर्य नन्दी थे। वीरसेन की गुरु परंपरा ही जिनसेन की गुरु परंपरा है। आचार्य वीरसेन के सुयोग्य शिष्य एवं सफल उत्तराधिकारी जिनसेन थे। जिनसेन के शिष्य गुणभद्र के कथानुसार हिमालय से गंगा और उदयाचल से भास्कर की भांति वीरसेन से जिनसेन की प्रज्ञा का उदय हुआ है।
*जीवन-वृत्त*
जिनसेन ने कर्णवेध संस्कार होने के पूर्व ही मुनि जीवन स्वीकार किया था। ज्ञानशलाका से उनका कर्णवेध संस्कार हुआ। वे शरीर से कृश थे। रूप से सुंदर नहीं थे, परंतु उनका जीवन सदगुण रूप भूषणों से मंडित था। गुरु के प्रति उनकी अनन्य आस्था थी। वे अखंड ब्रह्मचर्य व्रत के आराधक थे। धैर्य उनके जीवन का सहचर गुण था। ज्ञानाराधन में उनकी अप्रमत्त अवस्था तथा सतत जागरूकता थी। ज्ञानाराधन की इस विशेषता के कारण उन्हें ज्ञान शरीरी (ज्ञान पिण्ड) कहा गया।
जिनसेन के वर्चस्वी व्यक्तित्व ने लोक मानस को प्रभावित किया। राष्ट्रकूट नरेश अमोघवर्ष प्रथम की उनके प्रति आस्था थी। अतिशय धवल, श्री वल्लभ आदि उपाधियों से अलंकृत राष्ट्रकूट सम्राट् अमोघवर्ष जैन संस्कृति के संरक्षक एवं परिपोषक सम्राटों में प्रमुख थे। शक्ति और समृद्धि की दृष्टि से भी अमोघवर्ष की उस युग के महान् नरेशों में गणना हुई। साठ वर्ष तक सम्राट् अमोघवर्ष ने सफल शासन किया। वे स्वयं कवि और रचनाकार थे। उन्होंने कन्नड़ भाषा में 'कविराजमार्ग' नामक छंद अलंकारशास्त्र रचा एवं संस्कृत में 'प्रश्नोत्तर रत्नमालिका' नामक नीतिशास्त्र का निर्माण किया। इस ग्रंथ के प्रारंभ में तीर्थंकर महावीर की वंदना की गई है। इससे नरेश अमोघवर्ष की जैन धर्म के प्रति गहरी भक्ति प्रकट होती है। गुणभद्राचार्य के उत्तरपुराण से जिनसेनाचार्य और नरेश अमोघवर्ष के निकट संबंधों का परिचय मिलता है। उत्तरपुराण में प्राप्त उल्लेखानुसार जिनसेनाचार्य के चरण कमलों में प्रणाम करके अमोघवर्ष अपने को धन्य और पवित्र मानते हैं। अमोघवर्ष द्वितीय के हृदय में भी आचार्य जिनसेन के प्रति विशेष सम्मान का भाव था।
*जिनवाणी संगायक आचार्य जिनसेन द्वारा रचित साहित्य* के बारे में पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
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