21.04.2018 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 21.04.2018
Updated: 24.04.2018

News in Hindi

#प्रश्न: बिना छने पानी की एक बूँद में कितने जीव होते हैं?
#उत्तर: बिना छने पानी की एक बूँद में 36450 जीव रहते हैं।

#प्रश्न: छने पानी की मर्यादा कितनी होती है?
#उत्तर: छने पानी की मर्यादा ४८ मिनट की होती है।

#प्रश्न: देवता कितने प्रकार के होते हैं?
#उत्तर: देवता नौ प्रकार के होते हैं:
(1) अरिहंत (2) सिद्ध
(3) आचार्य (4) उपाध्याय (5)साधु (6) जिन धर्म (7)जिन आगम (8)जिन चैत्य (9) जिन चैत्यालय।

#प्रश्न: जिन धर्म किसे कहते हैं?
#उत्तर: अरिहंत भगवान् के द्वारा कहे गए धर्म को जिन धर्म कहते हैं।

#प्रश्न: जिन आगम किसे कहते हैं?
#उत्तर: जिनेन्द्र भगवान् के द्वारा कहे गए और आचार्य श्री द्वारा लिखे गये शास्त्र को जिन आगम कहते हैं।

#प्रश्न: जिन चैत्य किसे कहते हैं?
#उत्तर: जिनेन्द्र भगवान् की प्रतिमा को जिन चैत्य कहते हैं।

#प्रश्न: जिन चैत्यालय किसे कहते हैं?
#उत्तर: जिन मंदिर को जिन चैत्यालय कहते हैं या जहां जिनेन्द्र भगवान् की प्रतिमा विराजमान हो उसे जिन चैत्यालय कहते हैं।

#प्रश्न: जिन दर्शन के विचार से कितने उपवास का फल मिलता है?
#उत्तर: जिन दर्शन के विचार से एक उपवास का फल मिलता है।

#प्रश्न: मंदिर जी जाने के लिए उद्यम करने पर कितने उपवास का फल मिलता है?
#उत्तर: मंदिर जी जाने के लिए उद्यम करने पर दो उपवास का फल मिलता है।

#प्रश्न: मंदिर जी के लिए चल देने पर कितने उपवास का फल मिलता है?
#उत्तर: मंदिर जी के लिए चल देने पर चार उपवास का फल मिलता है।

#प्रश्न: मंदिर जी के मध्य रास्ते में पहुँचने पर कितने उपवास का फल मिलता है?
#उत्तर: मंदिर जी के मध्य रास्ते में पहुँचने पर पंद्रह उपवास का फल मिलता है।

#प्रश्न: जिन मंदिर का दूर से दर्शन करने पर कितने उपवास का फल मिलता है?
#उत्तर: जिन मंदिर का दूर से दर्शन करने पर एक माह के उपवास का फल मिलता है।

#प्रश्न: जिन मंदिर में पहुँचने पर कितने उपवास का फल मिलता है?
#उत्तर: जिन मंदिर में पहुँचने पर छह मास के उपवास का फल मिलता है।

#प्रश्न: जिन मंदिर की प्रदक्षिणा देने पर कितने उपवास का फल मिलता है?
#उत्तर: जिन मंदिर की प्रदक्षिणा देने पर सौ वर्ष के उपवास का फल मिलता है।

#प्रश्न: जिनेन्द्र भगवान् के दर्शन करने पर कितने उपवास का फल मिलता है?
#उत्तर: जिनेन्द्र भगवान् के दर्शन करने पर एक हजार वर्ष के उपवास का फल मिलता है।

#प्रश्न: जिनेन्द्र भगवान् की पूजन स्तुति से कितने उपवास का फल मिलता है?
#उत्तर: जिनेन्द्र भगवान् की पूजन स्तुति से अनन्त पापों का क्षय एवं अनन्त उपवासों का फल मिलता है।

#नोट 😗 *यह फल विवरण पद्म पुराण के ३२वें पर्व से लिया गया*

*📚📖 #अमूल्य तत्व चर्चा, 📚📖* - with Anamika Jain and वैभव जैन सम्यक्.

Source: © Facebook

#शंका_समाधान • #MuniPramanSagar

१. मंदिर जी में बिना धुली द्रव्य / सामग्री तो कभी भी नहीं चढ़ानी चाहिए! late पहुंचने या किसी और वजह से अगर धुली द्रव्य / सामग्री नहीं चढ़ा पाए तो अपनी बिना धुली द्रव्य / सामग्री को मंदिर जी में द्रव्य पात्र में डाल कर पश्चाताप के रूप में उस दिन एक रस का त्याग करिये और आगे से कोशिश करे की समय पर पहुँच कर केवल धुली द्रव्य / सामग्री ही चढ़ाएं!

२. साधू का दिगम्बरत्व रूप साधना का एक उत्कृष्ट रूप है, विकार, दुर्बलता रहित है!

" चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री १०८ शांति सागर जी महाराज " ने एक बार जब हैदराबाद (जहाँ मुसलमान शासन था) की तरफ विहार किया तब वहाँ के निजाम ने आचार्य श्री की चर्या सुनकर अपनी बेगमों के साथ उनकी आरती उतारी! और कुछ लोगों के आपत्ति करने पर निजाम ने जो उत्तर दिया वो इतिहास बन गया! उन्होंने कहा की - " हमारे देश में नंगों पर प्रतिबन्ध है, फरिश्तों पर नहीं और ये एक फ़रिश्ते हैं "!

३. माँ बाप अगर अपनी संतान के आगे हाथ जोड़े तो ये संतान के धर्म की वजह से होना चाहिए! इसके उलट, माँ बाप अगर अपनी संतान के आगे अगर उनके अधर्म की वजह से हाथ जोड़ रहे हैं तो ऐसे बच्चों का जीवन व्यर्थ है!

४. नकारात्मक सोच, तत्व ज्ञान का अभाव, अंध विश्वास व्यक्ति का मनोबल तोड़ते हैं! इसके लिए साधू जन, महान लोगो के बीच रहे, तत्व का अभ्यास करे!

५. शास्त्रानुसार विवाह सामने वाले का कुल, रूप, सनाथता, व्यय, गुण, शील को देखकर करना चाहिए!

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त्रयमुनिराज दीक्षा दिवस समारोह.. आचार्य भगवन 108 श्री विद्या सागर जी महाराज के आज्ञानुवर्ती शिष्य

*मुनि श्री 108 विमल सागर जी मुनिराज*
*मुनि श्री 108 अनंत सागर जी मुनिराज*
*मुनि श्री 108 धर्म सागर जी का मुनिराज*

का दीक्षा दिवस 22 अप्रैल 2018 दिन *"रविवार"," वैशाख शुक्ल सप्तमी", "रवि पुष्प योग"*
में होने जा रहा है ।

यह कार्यक्रम बड़ी धूम धाम से गोटेगांव में मनाया जाऐगा।

*विशेष कार्यक्रम*-

⚫ *मुनि श्री के पाद प्रक्षालन*
⚫ *आचार्य श्री की पूजन*
⚫ *मुनि श्री को शास्त्र अर्पण*
⚫ *मुनि श्री की दिव्य देशना का लाभ मिलेगा*

अतः हम सभी मिल कर इस आयोजन को अपना समय तन मन धन देकर मनाएंगे इस बार तिथि और दिनांक एक साथ पड़ रहे है, और आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज का संयम स्वर्ण महोत्सव भी चल रहा है ।।

🙏🙏आप सभी कार्यक्रम में सादर आमंत्रित है।।🙏🙏

प्रेषक - *जैन नवयुवक सभा* एवं *सकल दिगम्बर जैन समाज*
*गोटेगाॅव, जिला - नरसिंहपुर*

📞 *सम्पर्क सूत्र*📞-
अध्यक्ष - राजकुमार जी जैन
9303051151
महामंत्री - पंकज जैन
9329293981
जैन नवयुवक - मनीष जैन
सभा (अध्यक्ष) 9131588388

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वीतरागी भगवान युधिष्ठिर, भगवान भीम और भगवान अर्जुन (तीन पांडव) @ पलिताना

✿ पहाड़ पर एक मात्र दिगंबर जैन मंदिर @ श्री सिद्ध क्षेत्र शत्रुंजय/पालिताना, दिगंबर आगम के अनुसार यहाँ से तीन पांडव युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन सहित आठ करोड़ द्रविड़ राजा मोक्ष पधारे! यहाँ पहाड़ पर तीनो पांडवो की चरण तथा साथ में प्राचीन मुर्तिया विराजमान है, तथा मुलनायक शांतिनाथ भगवान है!! ✿ Info & Pic Capture/Sharing by Nipun Jain

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#mustRead

It is seen nowadays that many non-Jain people (mostly college boys and girls) tour the Jain teerth just for fun, picnic, roaming, entertainment etc. They are often seen making pranks, funs, parties, treats in campus of our Jain teerth/temples. Secondly they are not hesitated to even bring leather bags, purses,belts; edible snacks, biscuits and even socks inside temple. Their attire is also not appropriate as far as dignity,discipline and decorum of Temple is concerned. So its high time to think over about setting a protocol to maintain and regulate discipline, dignity and decorum in our Temples.

Swatantra Jain, Bhopal • #share

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#पपौराजी (टीकमगढ़) जैन अतिशय तीर्थ Intro

टीकमगढ़ से मात्र 5 किलोमीटर दूर सागर-टीकमगढ़ मार्ग पर पपौराजी जैन तीर्थ है, जो कि बहुत प्राचीन है। यहां पर 108 जैन मंदिर हैं, जो कि सभी प्रकार के आकार में बने हुए हैं, जैसे रथ आकार, कमल आकार एवं कई सुन्दर भोंयरे भी हैं। इस क्षेत्र में मंदिर रचनाशिल्प और कलात्मकता की दृष्टि से अद्वितीय है। पत्थरों पर खुदाई इतनी स्पष्ट है, मानो कलाकारों ने पत्थर को मोम बनाकर सांचे में ढाल दिया हो। इन मंदिरों में खजुराहो की तरह पाषाण प्रतिमाओं की कलात्मकता देखते ही बनती है।

वास्तुकला का अद्भुत स्वरूप हैं ये मंदिर..

क्षेत्र पर जो चौबीसी बनी है, वह भारतवर्ष में अन्यत्र देखने को नहीं मिलती। इसमें एक बड़े मंदिर के चारों ओर प्रत्येक दिशा में ६-६ मंदिर हैं। प्रत्येक वेदिका की अलग से परिक्रमा को चतुर्दिक झरोखों के रूप में जिस तरह से निर्मित किया गया है, वह वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। यहां पर प्राचीन समुच्चय या सभा मंडल हैं। इसके मध्य में एक मंदिर है और उसके चारों ओर १२ कलात्मक मठ हैं, समवशरण की सभा के घोतक हैं। इसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि यह प्राचीनकाल में तपोभूमि रहा होगा, जहां पर साधुजन निवास करते होंगे।

प्राचीन समुच्चय के समीप दो विशाल भोंयरे (भूगर्भ स्थित मंदिर) हैं जिसमें संवत् १२०२ की अत्यंत प्राचीनतम प्रतिमाएं हैं, जो देशी पाषाण से निर्मित होते हुए भी अपनी चमक ओर आकर्षण से ९०० बरस बाद भी मानव को आश्चर्यचकित कर देती हैं। भगवान पार्श्वनाथ की दुर्लभ पद्मावती संयुक्त अद्वितीय कलात्मक प्राचीन प्रतिमा, जिसके चारों ओर चित्र बने हुए हैं, अत्यंत मनोज्ञ है। इस प्रतिमा के सौन्दर्य को देखकर भक्त आश्चर्यचकित रह जाते हैं।

पपौराजी में अतिशयकारी ‘पतराखन कुआं’...

यह घटना विक्रम संवत् १८७२ की है। एक वृद्धा मां द्वारा मंदिर का निर्माण कराया गया। इसकी मांगलिक बेला पर अपार जनसमूह को प्रीतिभोज दिया जा रहा था। पानी की पूर्ति कुओं के खाली हो जाने के कारण असंभव-सी प्रतीत होने लगी। पानी के अभाव से लोग व्याकुल होने लगे और वृद्धा मां के संबंध में अनर्गल बोलने लगे, तो वृद्धा मां अत्यंत दुखी होकर रोने लगीं और तुरंत उसने प्रतिज्ञा ली कि जब तक पानी की व्यवस्था नहीं हो जाती, मैं अन्न-जल ग्रहण नहीं करूंगी। ऐसा कहकर वे कुएं की तलहटी में समाधि अवस्था में बैठ गईं। कुछ ही समय में कुएं में पानी के अनेक स्रोत फूट निकले और वह वृद्धा मां उस पानी के साथ ऊपर आती गईं। यहां तक कि पानी कुएं से भी बाहर आ गया। उपस्थित जनसमूह द्वारा देवों से प्रार्थना करने पर ही पानी कुएं से निकलना बंद हुआ। तभी से यह कुआं ‘पतराखन’ के नाम से जाना जाता है।

अधिक जानकारी हेतु संपर्क करें....

● श्री अरविंद जैन - +91-9424342869
● श्री चक्रेश जैन (चढ़ेया) - +91-9424922028
● ब्र. श्री राजुल दीदी - +91-9424344053
● ब्र. अनिता दीदी - +91-9406576065

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