13.04.2018 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 13.04.2018
Updated: 16.04.2018

Update

Video

Unholy Cattle of India: Exposing Cruelty in the Indian Dairy Industry I English Subtitles A poignant documentary which details the the exploitation and abuse...

This video gives a detailed account of the widespread exploitation and abuse of cattle in India due to the dairy industry.

#मेरे गुरुदेव के वे पावन चरण जिन्होंने साधना की ऊंचाइयों को छुआ है... @ चरणो में छाले पड़े है...

इस उम्र में इतना लंबा विहार ही आश्चर्यकारक है कई अन्य संघ और साधक देखे,,,,अधिकांश इस उम्र के आचार्य मठ बना चुके है कुछ साधक हाथ ठेला का उपयोग करते है पर आचार्य प्रवर मात्र सर्वजन हिताय की नीति को स्वीकार कर अपने गुरु ज्ञानसागर मुनि महाराज को प्रतिपल स्मरण करते हुए विहार करते है
श्रमण को कहा पड़ी कि अब विहार करे अब तो आत्मकल्याण निमित्त एक जगह स्थित हो साधना करे तो भी अच्छा है, पर यह करुणा,दया की पराकाष्ठा है आचार्य प्रवर इस आयु में भी सभी रसो का त्याग कर रुखा-सूखा भोजन करते हुए निरंतर विहाररत है, आचार्य प्रवर का यह विहार पंचमकाल में हीन संहनन होने के बावजूद जारी है यह विहार आने वाली कई शताब्दियो तक प्रेरणा देता रहेगा।

प्रत्येक नया साधक चाहे वह किसी भी संघ,पंथ,सम्प्रदाय का हो उसे आचार्य प्रवर से प्रेरणा लेनी चाहिए और साधना के मार्ग में कदम बढाने चाहिए आज अन्य संघ के आचार्यो को भी अपने नव दीक्षित मुनियो को आचार्य विद्यासागर जी की साधना व चर्या से अवगत कराना चाहिए जिससे स्वस्थ मुनि परम्परा की शुरुआत हो!!

Source: © Facebook

Video

आओ आज हम एक बोहोत मज़ेदार और interesting कहानी सुनते हैं, ये कहानी है एक चोर की, अंजन चोर की जो लोगों की चीज़ें चुराता था

अंजन चोर की कहानी.. specially for kids.. 🙃 please do #watch and #share to appreciate Jinvaani team efforts 🙂

#आचार्यविद्यासागर जी मुनिराज के महकते 5 पुष्प आज नवीन शाहदरा दिल्ली में विराजमान हैं... श्री #प्रणम्यसागर जी द्वारा आज गाई गयी पंक्तिया.. किसी की भी जीवन को हिला कर उसकी दिशा बदलने की शक्ति रखती हैं!! #भोगभूमि_दिल्ली_में_योगी

पूर्ण हुई जब कठिन परीक्षा, तब शबरी को राम दिखे हैं!
श्रद्धा की आँखों से देखो, पत्थर में भगवान् दिखे हैं..
गुरु दर्शन में भगवन मूरत, हमको तो अरिहंत दिखे हैं..

नाचत नाचत भई दीवानी.. कब आई कब गयी जवानी!
जग के ताने चुभते भाले.. जहर भरे प्याले पि डाले!
जब भक्ति के झरने फूटे.. तब मीरा को श्याम दिखे हैं..

आते आते लोट गए क्यों? दहली सुनी छोड़ गए क्यों?
आचल उड़ता, उड़ता पुकारे.. आओ सांवरिया तुम ही सहारे!
राजपाट तज चली बावली.. तब राजुल को नेमी दिखे हैं!

[ श्री प्रणम्यसागर जी चंद्रसागर जी वीरसागर जी विशालसागर जी धवलसागर जी महाराज ]

Source: © Facebook

सन 1967 के गोम्म्टेश्वर स्वामी महामस्तकाभिषेक में गुरुणामगुरु आचार्य श्री महावीरकीर्ति जी स्वामी के वो प्रसंग जो सदा के लिए आगम का ज्ञान व प्रमाण दे गए..

आचार्य श्री महावीरकीर्ति जी महाऋषिवर अपने समय के कुंदकुंद थे। कहि भी किसी भी साधु को कोई समस्या,शंका या जिज्ञासा होती तो के आचार्य श्री के पास आ जाते।कठिन से कठिन प्रश्नों का उत्तर वे सहजता से दे देते थे।

महामस्तकाभिषेक में अनेक साधु संघ विद्यमान थे तब
एक समस्या यहाँ भी खड़ी हो गयी, एक मुनि थे बुद्धिसागर जी जिनसे अन्य कई साधु दूर-दूर रहते थे। उनके साथ आहार भी नही करना चाहते थे।
ये विषय कानोकान आचार्य श्री तक पहुची,उन्होंने सम्पूर्ण साधुओ को सामायिक के बाद 3 बजे तक अपने पास बुलाया। सभी साधु उपस्थित हुए,आचार्य देशभूषण ऋषिराज व कुछ अन्य वरिष्ठ सन्तो को मार्दवभाव से अपने पास बिठाया और शेष साधु सामने।

क्या विषय हे ये सबको ज्ञात था किंतु आचार्य श्री ने अपनी तेज अनुशासित दृष्टि से सब पर नजर घुमाते हुए पूछा-क्या शंका है?

विषय सबको मालूम था लेकिन आचार्य श्री के सामने बोलने की किसी मे हिम्मत नही हो रही थी,फिर भी पीछे से हाथ जोड़कर एक मुनिराज खड़े होकर कांपती हुई आवाज में बोले- गरूदेव!बुद्धिसागर विधवा विवाह की संतान है,हम उनके साथ कैसे चर्या कर सकते है...।

आचार्य श्री महावीरकीर्ति जी ने मुनि श्री बुद्धिसागर जी की तरफ प्रश्नभरित दृष्टि से देखा,वह हाथ जोड़कर खड़े हो गये।आचार्य श्री ने पूछा-क्या तुम्हारी माँ पहले किसी दूसरे को ब्याही थी।

बुद्धिसागर जी-हाँ गरूदेव
आचार्य श्री-जब तुम्हारे पिता से उनका विवाह हुआ था तब उनकी क्या उम्र थी।
बुद्धिसागर जी-गरूदेव माँ बताती थी कि वह दस-ग्यारह वर्ष की ही थी,कोई संतान भी नही थी और विवाह के अल्प समय मे ही पति का वियोग हो गया। अर्थात ग्यारह वर्ष की उम्र में विवाह और कुछ दिनों के बाद बारह वर्ष की उम्र में ही उस पति का वियोग हो गया।उसके पश्चात दूसरा विवाह हुआ मेरे पिताजी से हुआ।

आचार्य श्री ने आगम का श्लोक पढ़ते हुए उसका अर्थ कहते हुए प्रमाण बताया कि

जो अक्षत योनि है अर्थात जिससे कोई सन्तान की उत्पत्ति नही हुई है,अल्पायु में परिग्रहण होते ही जिसका पति मृत्यु को प्राप्त हो गया हो या विवाह के कुछ दिनों बाद ही पति ने छोड़ दिया हो ऐसी स्त्री का पुनः विवाह हो सकता है।फिर उस स्त्री से उत्पन्न होने वाली सन्तान निर्दोष है।

आचार्य श्री के मुख से निर्णय को सुनकर सभी साधुओ ने चुपचाप उनकी आज्ञा को स्वीकार कर लिया।
ऐसी ही एक अन्य घटना घटी।एक महिला आचार्य श्री देशभूषण जी ऋषिराज से आर्यिका दीक्षा चाहने हेतु निवेदन कर रही थी।

किन्तु कुछ लोगो ने कहा कि महाराज ये दीक्षा के योग्य नही है ये नपुंसक है।
महाराज ने सुना और सुने ही रह गए।
ये चर्चा आचार्य श्री महावीरकीर्ति जी तक पहुची।
एक निजी सभा मे आचार्य श्री ने उस महिला से पूछा कि आप शुरू से ऐसे ही हो या कभी रजोधर्म हुआ भी है।
वह बोली-गरूदेव! शुरू शरू में रजोधर्म होता था,तीन-चार दिन दूर बैठना पड़ता था ।लेकिन बाद में बंद हो गया।
आचार्य श्री महावीरकीर्ति जी बोले-जिसके एक बार भी रजोधर्म हुई है वो स्त्री है- नपुसंक नही, इसलिए ऐसी स्त्री दीक्षा योग्य है कोई आगम निषेध नही।
आचार्य श्री देशभूषण जी ऋषिवर सहित सम्पूर्ण साधुओ ने इस निर्णय को स्वीकार किया।आगम प्रमाण के सामने विरोधियों को झुकना पड़ा और कुछ समय पश्चात ही श्रवनबोलगोला में उस स्त्री की आचार्य देशभूषण जी ऋषिवर के करकमलों से आर्यिका दीक्षा सम्पन्न हुई।

*वह अपने जीवन को संयम से श्रंगारित कर पाई,ये आचार्य श्री महावीरकीर्ति जी ऋषिराज की ही कृपा थी।ऐसे चलते फिरते आगम कोष जिन्हें लगभग गाथाएं श्लोक कंठस्थ थे,समस्त शंकाओं व जिज्ञासाओं का कुंदकुंद स्वामी की तरह समाधानकर्ता थे।इसलिए उनके मुख से निकले वचन भी रिद्धि सिद्धि धारी मन्त्र बन जाया करते थे।*

*परम्पपूज्य अभिनवकुंदकुंद चतुर्थ पट्टचार्य श्री सुनिलसागर जी गुरुराज द्वारा रचित "दूसरा महावीर ग्रन्थ" से प्रेषित*
*प्रेषणकर्ता-⌨शाह मधोक जैन चितरी*
*श्री आदि-शांति-भूषण-कीर्ति-विमल-सन्मति-सुनील-सर्व गुरुभ्यो नमः*

👏🙏👆👏🙏👆👏🙏👆👏

Source: © Facebook

Update

आचार्यश्री की एक झलक पाने के लिए, सड़क पर उमड़ा सैलाब

आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज की अगवानी के लिए सुबह से जबलपुर रोड पहुंचे थे अनुयायी

। दमोह
संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का गुरूवार को शहर में मंगल प्रवेश हुआ तो उनकी एक झलक पाने के लिए सड़कें थम गईं। जबलपुर नाका पर इतनी भीड़ जमा हो गई कि उसे नियंत्रित करने में पुलिस को पसीना आ गया। मुठिया तिराहा से आचार्यश्री कदम दमोह की ओर बढ़े और जबलपुर नाका से होते हुए बेलाताल मार्ग से जैन धर्मशाला पहुंचे। जैन धर्मशाला तक आचार्यश्री मंगल अगवानी के लिए सड़क के दोनों ओर हजारों श्रद्धालु खड़े थे।
आचार्य श्री की एक झलक पाने के लिए श्रद्धालु पलक पावड़े बिछाकर खड़े थे। इससे पहले सुबह 4 बजे से ही श्रद्धालुओं का जबलपुर रोड पर जमा होना चालू हो गया था। लोगों ने जगह-जगह स्वागत द्वार बना रखे थे। जैसे ही आचार्यश्री जबलपुर नाका पहुंचे और सीधे बेलाताल मार्ग की ओर मुड़ गए तो समाज के लोग खुशी से झूम उठे।दरअसल समाज के लोग इस तैयारी में थे कि आचार्यश्री किल्लाई नाका जाएंगे, मगर वहां न जाकर आचार्यश्री सीधे नन्हें जैन मंदिर की ओर चले गए। देर शाम आचार्यश्री विहार करते हुए हिन्नाई उमरी पहुंचे। वहां से उन्हें ससंघ के साथ टीकमगढ़ पपौरा जी जाना है। इस बीच कड़ी सुरक्षा के बीच आचार्यश्री श्री पारसनाथ दिगंबर जैन नन्हे मंदिर पहुंचे। आचार्य श्री ने मंदिर जी में प्रवेश कर मूलनायक भगवान पार्श्वनाथ के दर्शन किए। उसके बाद संघ ने भी श्रीजी के दर्शन किए। यहां आचार्यश्री ने अपने संक्षिप्त प्रवचन दिए। । शुक्रवार शाम गुरु जी के कदम बटियागढ़ मार्ग की ओर बढ़ेंगे। आचार्य श्री का ससंघ टीकमगढ़ जिलेेे पपौरा जी जा रहा है। 34 साल बाद आचार्यश्री टीकमगढ़ जा रहे हैं।
शिक्षा व्यवस्था राष्ट्रभाषा हिंदी में होना चाहिए
आचार्यश्री ने अपने प्रवचनों में बताया कि विधानसभा में प्रवचनों के दौरान भी उन्होंने कहा था कि देश की शिक्षा व्यवस्था राष्ट्रभाषा हिंदी में होना चाहिए। भले ही इमसें अंग्रेजी एक विषय हो। यहां पर जो विद्यापीठ की स्थापना की जा रही है उसमें बच्चों को प्रवेश दिलाएं न कि एडमिशन।
40 मिनट में जुड़ गए एक करोड़ रुपए
दोपहर में सामयिक के बाद आचार्य श्री का मंगल विहार घंटाघर, स्टेशन चौराहा, तीन गुल्ली होते हुए सागर नाका गांधी आश्रम की ओर हुआ। जहां पर विद्यायतन विद्या पीठ के निर्माण के लिए भूमि पूजन शिलान्यास कार्यक्रम आचार्यश्री के सानिध्य में हुआ। शाम कार्यक्रम में 4.40 बजे आचार्यश्री कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे। कार्यक्रम के दौरान विद्या पीठ क के लिए 40 मिनट में एक करोड़ रुपए से ज्यादा दान की राशि जुड़ गई। आचार्य श्री की दिव्य देशना का लाभ श्रद्धालुओं को मिला। इसके बाद इमलाई बायपास मार्ग की ओर से आचार्य श्री के मंगल विहार हो गया। बताया गया कि गुरु जी का रात्रि विश्राम उमरी गांव हुई। वहां से प्रातः बेला में आचार्य श्री का मंगल विहार नरसिंहगढ़ की ओर होगा। नरसिंहगढ़ में आचार्य श्री की आहारचर्या होगी।
। मंगल प्रवचन देते आचार्यश्री विद्यासागर महाराज जी।
संकलन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

News in Hindi

और हो गया विहार पपौरा जी की ओर...

संत शिरोमणि आचार्य भगवंत गुरुदेव श्रीमद विद्यासागर जी महामुनिराज ससंघ का मंगल अनियत विहार अनवरत जारी है... आचार्य महाराज का मंगल प्रवेश #नन्ने_जैन_मंदिर दमोह में हुआ... और आहारचर्या का सौभाग्य ब्रम्हचारी स्वतंत्र भैया जी एवम ब्रम्हचारिणी निधि दीदी जी को प्राप्त हुआ...

परम् पूज्य गुरुदेव की भव्य मंगल आगवानी दमोह के सारे जैन जैनेतर बंधुओं ने की... सबको इंतज़ार था अपने आराध्य भगवन के दर्शन का... और गुरुदेव ने उनकी इच्छा जरूर पूरी की... पर अंत में विहार हो गया #अतिशय_तीर्थ_क्षेत्र_पपौरा_जी_टीकमगढ़ की ओर...

अभी भी सभी भक्तों को अपने आराध्य गुरु भगवन से एक आशा जरूर है कि वो उनको थोड़ा थोड़ा सा समय जरूर देंगे... पर हमारे भगवन तो अनियत विहारी हैं... गुरु भगवन के अलावा आज तक कोई भी नहीं जान पाया कि गुरुदेव कितना विहार करेंगे... और किस ओर करेंगे... अभी भी सब कुछ है सम्भावित... संभावित दिशा- पपौरा जी क्षेत्र

नमोस्तु भगवन
संकेत जैन ढाना

Source: © Facebook

Sources
Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • Jaina Sanghas
    • Digambar
      • Acharya Vidya Sagar
        • Share this page on:
          Page glossary
          Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
          1. JinVaani
          2. आचार्य
          3. ज्ञान
          4. दर्शन
          5. महावीर
          6. राम
          7. श्रमण
          8. सागर
          Page statistics
          This page has been viewed 1128 times.
          © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
          Home
          About
          Contact us
          Disclaimer
          Social Networking

          HN4U Deutsche Version
          Today's Counter: