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धन्य धन्य सुकमाल महामुनि, कैसे धीरज धारी।
एक स्यालिनी जुग बच्चा जुत, पांव भख्यो दुखकारी।।
ये उपसर्ग सह्यो धर धीरता, आराधन चित धारी।
तो तुमरे जिय कौन दुख है, मृत्यु महोत्सव भारी।।
"बड़ा समाधि मरण"
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#अमरकंटक में एक मठ के साधु आते रहते थे। #गुरुदेव के दर्शन करते, कुछ शंका- समाधान करके चले जाते। एक दिन वे एक नये साधु के साथ आये और #गुरुदेव को नमस्कार पर पास में ही बैठ गये। चर्चा के दौरान आचार्य श्री ने पूँछा - ये कौन है? तब वे बोले मेरा नया चेला है (हाथ में माला लिए जल्दी-जल्दी मणिका खिसकाते जा रहे थे)। #आचार्य श्री ने पूँछा -ये क्या कर रहे हैं? तब उन्होंने कहा - ये नाम साधना कर रहे हैं। हर समय राम के नाम की माला फेरते रहते हैं।
तब आचार्य श्री ने कहा - *हाँ, नाम साधना से यह लाभ होता है की इष्ट के प्रति कितनी आस्था है क्योंकि इष्ट के प्रति मजबूत आस्था उनको नमस्कार करने से बनती है और मंत्र को मान के माध्यम से जितना घोटेंगे उतनी ही मंत्र की शक्ति बढ़ती जाती है- औषधि की तरह। जैसे आयुर्वेद में औषधि को जितना घोटो उतनी उसकी गुणवत्ता बढ़ती है, ऐसा नियम है। राम फेल हो सकते हैं लेकिन हनुमान कभी फेल नहीं हो सकते । ग्रंथ घोंट-घोंटकर भी पी लो तो भी कल्याण होने वाला नहीं है यदि आज्ञा #सम्यक्त्व नहीं है तो.....। प्रभु के प्रति विश्वास होना चाहिए तभी कल्याण होगा।
इस प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि-हमें हमेशा प्रभु का स्मरण करते रहना चाहिए। इस जनम-मरण से बचने के लिए मात्र एक ही साधन है प्रभु का नाम स्मरण करना। अंत समय, सल्लेखना के समय मुख से प्रभु का नाम निकल जये तो बड़ा सौभाग्य समझना। क्योंकि भगवान का स्मरण मरण को सुन्दर बना देता है।
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Acharya Vidyasagar Ji ke 5 Gem... anmol Ratna.. Paschim Vihar.. New Delhi me viraajit hain.. Muni Pranamyasagar Ji.. Muni Veersagar Ji.. Muni Chandrasagar ji.. Muni Dhavalsagar ji etc..:)
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News in Hindi
आचार्य श्री विद्यासागर जी के 5 शिष्य मुनि वीरसागर जी, मुनि प्रणम्यसागर जी, मुनि चंद्रसागर जी, मुनि धवलसागर जी आदि @ #दिल्ली प्रशांत विहार में विराजित हैं!!!
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आचार्य श्री ज्ञानसागर जी @ चन्देरी:) ☺️
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