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15-03-2018 Kesinga, Kalahandi, Odisha
अहिंसा यात्रा प्रेस विज्ञप्ति
केसिंगा की धरती पर उदित हुआ तेरापंथ का महासूर्य
- भव्य स्वागत जुलूस में दिखी केसिंगावासियों की श्रद्धा, अपने आराध्य के संग पहुंचे तेरापंथ भवन
- त्याग-संयम से सुख व शांति की हो सकती है प्राप्ति: आचार्यश्री महाश्रमण
15.03.2018 केसिंगा, कालाहांडी (ओड़िशा)ः
पश्चिम ओड़िशा की धरा को सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति रूपी दिव्य पुंज रश्मियों से आलोकित करते, जन मानस के मानस को परिवर्तित करते हुए अहिंसा यात्रा के प्रणेता, शांतिदूत तेरापंथ धर्मसंघ के महासूर्य का गुरुवार को पश्चिम ओड़िशा राज्य के कालाहांडी जिले के केसिंगा में उदय हुआ तो मानों पूरा केसिंगा आलोकित हुठा और झंकृत हो उठे श्रद्धा, आस्था, विश्वास, कृतार्थता के मधुर स्वर जो लगभग 48 वर्षों से मंद-से पड़ गए थे। अपने आराध्य को अपने घर-आंगन में पाकर जहां प्रत्येक तेरापंथी परिवार अत्यधिक उल्लसित था तो वहीं अन्य जैन एवं जैनेतर परिवारों में भी महातपस्वी के दर्शन और उन्हें साक्षात् श्रवण करने की ललक स्पष्ट दिखाई दे रही थी। इसी कारण से अपने राष्ट्रसंत, अखंड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी व उनकी धवल सेना के स्वागत में मानों पूरा केसिंगा उमड़ पड़ा था। भव्य और विशाल जुलूस के साथ आचार्यश्री स्वागत कर रहे श्रद्धालुओं का हुजूम था तो दूसरी ओर विभिन्न ओड़िया परंपरा से जुड़े लोग जो अपनी सांस्कृतिक परिधानों और वाद्ययंत्रों के साथ नाचते-गाते हुए ऐसे मानवता के मसीहा का अभिनन्दन कर रहे थे। भव्य जुलूस के साथ आचार्यश्री सभी पर आशीषवृष्टि करते हुए केसिंगा नगर स्थित तेरापंथ भवन में पधारे।
इससे पूर्व गुरुवार की प्रातः से ही केसिंगा में आध्यात्मिकता का रंग छाया हुआ था। पूरा नगर बैनर, पोस्टर से अटा हुआ था जो अहिंसा यात्रा प्रणेता के अभिनन्दन में उल्लसित लोगों के भावनाओं को दर्शा रहा था। हर कोई अपने-अपने गणवेश या विभिन्न परिधानों में सजा इधर-उधर भागता नजर आ रहा था। दूसरी ओर आचार्यश्री प्रातः सूर्योदय के पश्चात् कश्रुपाड़ा से केसिंगा की ओर मंगल प्रस्थान किया तो आचार्यश्री के सन्निधि में उत्साही श्रद्धालु पहुंचे चुके थे, जो अपने आराध्य का जयघोष करते चल पड़े। लगभग आठ किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री जैसे ही केसिंगा नगर की सीमा में प्रवेश किए। भव्य स्वागत जुलूस के साथ तेरापंथ भवन पधारे। भवन के समीप ही बने ‘महाश्रमण समवसरण’ में उपस्थित श्रद्धालुओं को सर्वप्रथम महाश्रमणी साध्वीप्रमुखाजी का मंगल उद्बोधन प्राप्त हुआ। इसके उपरान्त इस ‘महाश्रमण समवसरण’ से महातपस्वी महाश्रमणजी ने उपस्थित श्रद्धालुओं को त्याग और संयम की प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आदमी को अपने स्वयं पर अनुशासन करने का प्रयास करना चाहिए। स्वयं पर अनुशासन के लिए आदमी के भीतर त्याग और संयम की चेतना का विकास होना चाहिए। जिसके भीतर त्याग और संयम की भावना का विकास होता है, वह स्वयं पर अनुशासन कर सकता है और बाद में दूसरों पर भी अनुशासन करने के लायक बन सकता है। आदमी को यथासंभव त्याग स्वीकार करने का प्रयास करना चाहिए। त्याग और संयम से सुख और शांति की प्राप्ति हो सकती है। मंगल प्रवचन के उपरान्त आचार्यश्री ने केसिंगावासियों को अहिंसा यात्रा की संकल्पत्रयी स्वीकार कराई।
अपने आराध्य के साथ अपनी जन्मभूमि में पधारे बालमुनि केशीकुमारजी, साध्वी कमनीयप्रभाजी, साध्वी आदित्यप्रभाजी व समणी ओजस्वीप्रज्ञाजी ने अपने-अपने भावों के सुमन अपने आराध्य को अर्पित किए। मुमुक्षु चन्दनबाला ने भी अपने जन्मभूमि पर अपने आराध्य का अभिनन्दन किया। तत्पश्चात् साध्वीद्वय, नवदीक्षित समणी और मुमुक्षु बहन ने समवेत स्वर में गीत का संगान कर अपने आराध्य की अभ्यर्थना की। इसके उपरान्त ओड़िशा राज्य सरकार के हाउसिंग बोर्ड के चेयरमेन तथा पूर्व राज्यसभा सांसद श्री भूपेन्द्र सिंह ने आचार्यश्री का अभिनन्दन करते हुए अपनी अभिव्यक्ति दी। केसिंगा कन्या मंडल व महिला मंडल ने स्वागत गीत का संगान किया। केसिंगा तेरापंथी सभाध्यक्ष श्री गोपालचंद जैन व तेयुप अध्यक्ष श्री अनूप जैन ने भी अपनी भावांजलि श्रीचरणों में अर्पित कर पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान स्थानीय विधायक श्री अनाम नायक भी आचार्यश्री के दर्शन व प्रवचन श्रवण का लाभ उठाया।