07.03.2018 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 07.03.2018
Updated: 08.03.2018

Update

👉 सूरत - श्रीमती वनीदेवी धर्मपत्नी स्व.कजोड़ीमल जी कावड़िया का निधन

🔹 दिवंगत आत्मा के प्रति संघ संवाद परिवार कि और से हार्दिक श्रद्धांजलि एवं उत्तरोत्तर आध्यात्मिक विकास की मंगलकामना।

प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद*🌻

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*08/03/18* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ ले
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी* *के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री सुव्रत कुमार जी ठाणा* 2
का प्रवास
*दानमल जी सुराणा के निवास स्थान*
*कृष्णानगर,वेलुर* (तमिलनाडु)
☎9108075692,
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*सुरेश जी देवड़ा के निवास स्थान विडदी* (कर्नाटक)
(Mysore - Bangalore Road)
☎9448385582,9448374522
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3* का प्रवास
*Javarilal ji Bumb*
C/o ranjeeth medicals
No: 17 /4 kamraj street
West *tambaram*
*Chennai:45*
☎8107033307,9840214382
9444492965
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य डॉ *मुनि श्री अमृत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*गौतमकुमार जी सेठिया*
43/1 गोपाल पिल्लैयार कोइल स्ट्रीट *तिरुवन्नामलाई*
☎9566296874,9487556076
9940744445
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के*
*सुशिष्य मुनि श्री रमेश कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*हवाईअड्डे के पास*
*ककनी नगर*
(विशाखापट्टनम -चेन्नई रोड)
☎8085400108,7000790899
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*Ranjeeth ji Bhandari Ernakulam के निवास स्थान से 15 km का विहार होगा*
(अर्नाकुलम- कोयम्बतुर रोड)
(केरल) ☎9672039432,9246998909
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री सुधाकर जी एवं मुनि श्री दीप कुमार जी का प्रवास*
*Jain vihar dham avalur*
(बैगलौर = चैनैइ रोड)
☎7821050720,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*चिन्न छ्त्रम् से 11 km का विहार करके संतोष जी संचेती के यहाँ सुंगाव छत्रम पधारेगे* (तमिलनाडु)
(बैगलोर - चेन्नेइ हाईवे)
☎8890788494
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या "शासन श्री" साध्वी श्री यशोमती जी ठाणा 4* का प्रवास
*तुमलापालम से 11 km का विहार करके ऐलड़ापाडु पद्यारेगे*
(विजयवाडा -चेन्नैइ हाईवे)
☎7297958479,7044937375
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा 5* का प्रवास
*अर्हम् भवन विजयनगर*
Bangalore (कर्नाटक)
☎7624946879,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री राकेश कुमारी जी (बायतु) ठाणा 4* का प्रवास
*श्रीकाकुलम से 12 km का विहार । श्रीकाकुलम बोर्डर कोलेज मे पधारेगे*
भुवनेश्वर- विशाखापट्नम् रोड
☎8917477918,9959037737
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री विमल प्रज्ञा जी ठाणा 14* का प्रवास
*9 कि.मी विहार कर गजबा चौंक बिमल जी सेठिया घर पर पधारेंगे*
☎9051582096,9123032136
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रमिला कुमारी जी ठाणा 5* का प्रवास
*लक्ष्मीपत जी कोठारी*
Kothari nivas Lalithanagar Nager
*Visakhapatnam*
☎:9014491997,8290317048
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*संघ संवाद+ संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*Binny Mills Villa No 10 North Town*
*Chennai* (तमिलनाडु)
☎8428020772,9444052840
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञा श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*J G Complex,1st Floor, Navakarai,Near SBI, पधारेंगे*
(कोयम्बतुर की तरफ)
☎8875762662,7200690967
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिस्या साध्वी श्री सुर्दशना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*पारस गार्डन रायचुर*
☎9845123211
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*संघ संवाद+संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
*उडीगाला से 10 km का विहार करके टेरकनाभी पधारेगे*
(मैसुर-ऊटी रोड)
☎9601420513,
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*संध संवाद*+ *संध संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 6* का प्रवास
*तेरापंथ सभा भवन*
*गॉधीनगर Bangalore* (कर्नाटक)
☎7568917268
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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प्रस्तुति:- 🌻 *संघ संवाद* 🌻

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Update

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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙

📝 *श्रंखला -- 275* 📝

*मुक्ति-दूत आचार्य मानतुंग*

*समय-संकेत*

प्रभावक चरित्र में आचार्य मानतुंग को काशी नरेश हर्षदेव के समकालीन माना गया है। प्रबंध चिंतामणि में उन्हें भीम और भोज के समकालीन तथा ब्रह्मचारी पायमल्ल कृत भक्तामर वृत्ति, भट्टारक विष्णुभूषण कृत 'भक्तामर चरित' कथा आदि ग्रंथों में उन्हें भोज के समकालीन माना है। इन दोनों ग्रंथों के अनुसार आचार्य मानतुंगसूरि ने भक्तामर स्तोत्र के प्रभाव से लोहमयी 48 जंजीरों को तोड़कर नरेश भोज को प्रभावित किया था, और जैन धर्म का अनुयायी बनाया था।

उपर्युक्त दोनों ग्रंथों में कालिदास, भारवि, माघ, भर्तृहरि, शुभचंद्र, धनंजय, वररुचि आदि विद्वानों का उल्लेख भी हुआ है। ऐतिहासिक संदर्भ में इन सब विद्वानों का एक साथ योग कार्यक्रम की दृष्टि से ठीक प्रतीत नहीं होता, न इनके जीवन का कोई भी प्रसंग आचार्य मानतुंग के जीवन के साथ संबद्ध है, अतः आचार्य मानतुंग को भोज के समकालीन प्रमाणित नहीं किया जा सकता।

डॉ ए बी कीथ के अभिमत में आचार्य मानतुंग की कोठरियों के ताले या पाशबद्धता संसार बंधन का रूपक है। इस प्रकार के रूपकों का निर्माण समय छठी-सातवीं शताब्दी है। इस आधार पर स्वर्गीय डॉ नेमिचंद्र शास्त्री ने भक्तामर स्तोत्र के रचनाकार का समय विक्रम की छठी सदी का उत्तरार्द्ध या सातवीं सदी का पूर्वार्द्ध अनुमानित किया है।

आचार्य मानतुंग के चामत्कारिक प्रसंग का संबंध किसी न किसी रूप में कवि मयूर और बाण से अवश्य जुड़ा है। ये दोनों विद्वान् हर्ष की सभा में थे। इससे आचार्य मानतुंग की समसामयिकता भी नरेश हर्षवर्द्धन के साथ प्रमाणित होती है। हर्ष का राज्याभिषेक समय ईस्वी सन् 608-648 बताया गया है।

हर्ष के समकालीन होने के कारण मानतुंगाचार्य का समय वीर निर्वाण 12वीं (विक्रम की 7वीं) शताब्दी संभव है।

*कोविद-कुलालङ्कार आचार्य भट्ट अकलङ्क के प्रभावक चरित्र* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

📙 *'नींव के पत्थर'* 📙

📝 *श्रंखला -- 99* 📝

*लालचंदजी पाटणी*

लालचंदजी पाटणी लाडनूं के सरावगी थे। आचार्य ऋषिराय से पूर्व बोरावड़ के आगे उत्तर की ओर तेरापंथी साधु-साध्वियों का पदार्पण प्रायः नहीं के समान ही हुआ करता था। मारवाड़ से उत्तरी सीमांत और थली के क्षेत्रों में तेरापंथ का प्रचार-प्रसार मुख्यतः ऋषिराय के समय से ही प्रारंभ हुआ। उससे पूर्व वहां के जैन परिवार पहले तो यति संप्रदाय के प्रभाव में थे, परंतु स्वामीजी के समय से जब टालोकर मुनि चंद्रभाणजी आदि ने उधर विहार करना प्रारंभ कर दिया तब धीरे-धीरे लोगों का झुकाव उधर बढ़ा और काफी लोग उनकी आम्राय के बन गए। ऋषिराय के समय तक उन लोगों का वहां के कई क्षेत्रों में काफी फैलाव हो चुका था। लाडनूं के बहुत से सरावगी तथा ओसवाल परिवार उसी आम्राय के हो चुके थे। स्वयं पाटणीजी का परिवार भी उसी आम्राय का था।

*प्रथम श्रावक*

संवत् 1891 के शेषकाल में अग्रणी अवस्था में विहार करते हुए जयाचार्य का लाडनूं पदार्पण हुआ। कुछ लोग संपर्क में आए। जयाचार्य के व्याख्यान तथा बातचीत के प्रकार से वे काफी प्रभावित हुए। धीरे-धीरे लोगों का आगमन बढ़ा। तत्त्व चर्चाएं चलीं। पाटणीजी उन सब में प्रमुख थे। कई दिनों की तत्त्व चर्चा से पाटणीजी तथा अन्य लोगों ने तेरापंथ के मंतव्यों को अच्छी प्रकार से समझ लिया। लाडनूं में तेरापंथ की स्थापना में पाटणीजी को प्रथम श्रावक कहा जा सकता है।

*एक शर्त तुम्हारी: एक मेरी*

पाटणीजी तथा उनके साथ समझे हुए वहां अनेक लोगों ने गुरु धारणा कर लेने का निश्चय किया। पाटणीजी के नेतृत्व में उन लोगों ने जयाचार्य के पास उक्त विषयक बात चलाई। पाटणीजी ने कहा— "हम लोग चाहते हैं कि आपके मार्गदर्शन में धर्म ध्यान की आराधना करें और तेरापंथ की गुरु आम्राय स्वीकार कर लें।"
*जयाचार्य—* "यह तो प्रसन्नता की बात है। तत्त्व समझ लेने के पश्चात् आपको ऐसा करना ही चाहिए।"
*पाटणीजी—* "सोचा तो हमने भी ऐसा ही है, परंतु एक समस्या है, जो कि हमारे मन में झिझक पैदा कर रही है। यदि आप उस समस्या का हल कर दें तो अच्छा हो।"
*जयाचार्य—* "कौन सी समस्या?"
*पाटणीजी—* "आप तेरापंथी साधुओं का इधर आगमन प्रायः नहीं के समान ही है। हम तेरापंथी बन जाएं और आप यहां से विहार कर देने के पश्चात् इधर मुंह ही न करें तब हमारी क्या दशा हो?"
*जयाचार्य—* "ऐसा कैसे हो सकता है? श्रावक होंगे तो उन्हें संभालने के लिए संतो का आवागमन स्वयं बढ़ेगा। मैं आचार्यश्री से विशेष रूप से इस विषय में निवेदन करने का विचार भी रखता हूं कि वह इस ओर अधिक सिंघाड़ों को भेजें।"
पाटणीजी तब एक चतुर व्यापारी की तरह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहने लगे— "नहीं महाराज! हम उधार का व्यापार करना नहीं जानते, हमें तो नगद चाहिए, नगद।"
*जयाचार्य—* "तेरापंथ की मर्यादाओं के अनुसार साधु-साध्वियों के लिए विहार क्षेत्र का निर्णय एकमात्र आचार्य ही कर सकते हैं, अतः इस विषय में अधिकार नहीं है। हां, मैं तुम्हें इतना विश्वास अवश्य दिला सकता हूं कि मेरा प्रयास चलेगा वहां तक तुम्हारे क्षेत्र की संभाल होती रहेगी।"
*पाटणीजी—* "आपका अधिकार कितना है और कितना नहीं, हम इन बातों में नहीं पड़ते। हमें तो आपका चातुर्मास चाहिए। वह दीजिए और सबको गुरु धारणा करवा दीजिए।"

*नए श्रावकों द्वारा गुरु धारणा के साथ लगाई गई इस नई शर्त पर जयाचार्य ने क्या रास्ता निकाला...?* जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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News in Hindi

💠 *प्रेक्षाध्यान शिविर आयोजित..........*

🌐 *स्थान - प्रेक्षा फांउडेशन केन्द्र, जैन विश्व भारती लाडनूं*

❗ *समय - 01अप्रैल से 08 अप्रैल तक*

*प्रस्तुति - 🔅प्रेक्षा फाउंडेशन🔅*

*प्रसारक - 🌻संघ संवाद*🌻

Source: © Facebook

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प्रस्तुति: 🔅 *तेरापंथ नेटवर्क* 🔅

संप्रसारक: 🌻 *संघ संवाद* 🌻

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👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ

प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए

🌻 *संघ संवाद* 🌻

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Sources

Sangh Samvad
SS
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