18.02.2018 ►Acharya Mahashraman Ahimsa Yatra

Published: 18.02.2018
Updated: 19.02.2018

Photos of Today

Location Today:

18-02-2018 Dumer Bahal, Suwarnpur, Odisha

अहिंसा यात्रा प्रेस विज्ञप्त

पवित्र सेवा की भावना कल्याण का मार्ग: आचार्यश्री महाश्रमण

-लगभग बारह किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री पहुंचे डुमेर बहाल स्थित एकलव्य माॅडल रेजिडेंसन स्कूल


18.02.2018 डुमेर-बहाल, सुवर्णपुर (ओड़िशा)ः जन कल्याण को अपनी अहिंसा यात्रा के साथ निकले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी पश्चिम ओड़िशा की धरा को पावन करते हुए निरंतर गतिमान हैं। ग्रामीणों क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी लोगों को सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति का संदेश देकर उन्हें अच्छा जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान कर रहे हैं। लोग इस अहिंसा यात्रा से जुड़ भी रहे हैं और संकल्पों को स्वीकार कर अपने जीवन में बदलाव लाने को आतुर भी दिखाई दे रहे हैं। इन क्षेत्रों में आचार्यश्री के दर्शन को मानों ग्रामीणों का रेला से उमड़ जाता है। लोग आचार्यश्री के समक्ष जहां अपनी बुराइयों का समर्पण कर रहे हैं तो कई ग्रामीण अपनी समस्याओं के निदान की भी प्रार्थना करते हैं। आचार्यश्री द्वारा उन्हें पावन आशीर्वाद सही यथावसर उचित मार्गदर्शन व आध्यात्मिक प्रेरणा भी प्रदान की जाती है।
    आचार्यश्री की प्रसन्न मुखाकृति को देख जो भी ग्रामीण लौटता है, एक उत्साह और उल्लास का भाव उसके चेहरे पर देखने को मिलती है और हो भी क्यों ऐसे महासंत और समता के साधक महातपस्वी संत के दर्शन का उन्हें लाभ जो मिलता है।
    रविवार को आचार्यश्री अपनी धवल सेना के साथ सुवर्णपुर जिले के खारी गांव से आगे की ओर प्रस्थित हुए। आज रविवार होने के कारण तथा अब पश्चिम ओड़िशा के श्रद्धालुओं की निकटता हो जाने के कारण आचार्यश्री की मार्ग सेवा, दर्शन और उपासना का लाभ लेने के लिए सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच गए थे। लगभग बारह किलोमीटर की पदयात्रा कर आचार्यश्री अपनी धवल सेना संग डुमेर बहाल में नवनिर्मित एकलव्य माॅडल रेजिडेंसन स्कूल में प्रांगण में पधारे। हालांकि अभी यह विद्यालय भवन निर्माणाधीन है। भवन निर्माता परिवार के सदस्यों सहित सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने आचार्यश्री का भावभीना स्वागत किया।
    नवनिर्मित भवन परिसर के सम्मुख बने प्रवचन पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं को आचार्यश्री ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि 32 आगमों में एक उत्तराध्ययन सेवा की बात आती है। साधुओं सहित सभी को सेवा की बात बताई गई है। इस संदर्भ कोई प्रश्न करे कि सेवा से क्या प्राप्त हो सकता है। इसका उत्तर देते हुए कहा गया है कि सेवा करने वाला तीर्थंकर नाम गोत्र का बंध कर सकता है। सेवा करने वाले को महार्निजरा और महापर्यवसान भी प्राप्त हो सकता है। किसी संगठन, समाज या संस्था में सेवा की बात होती है। कुछ सेवा सापेक्ष भी होते हैं। आदमी को अग्लान भाव सेवा करने का प्रयास करना चाहिए। रुग्ण की सेवा को तो तीर्थंकरों की सेवा करने के समान भी माना गया है। आदमी को सेवा करने का प्रयास करना चाहिए।
    आचार्यश्री ने नंदीसेन और मुनि खेतसीजी की सेवा की कथा को सुनाते हुए लोगों को उत्प्रेरित करते हुए कहा कि आदमी को सेवा करने का प्रयास करना चाहिए। सेवा से मेवा की प्राप्ति हो सकती है। सेवा में आदमी को शांति रखने का प्रयास करना चाहिए और आदमी को सेवा का लाभ भी प्राप्त हो सकता है। आदमी के मन में पवित्र सेवा की भावना हो तो आदमी का कल्याण हो सकता है।
    आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त पश्चिम ओड़िशा सभा के अध्यक्ष श्री केवलचंद जैन ने अपनी हर्षाभिव्यक्ति दी।

Sources
I Support Ahimsa Yatra
Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • HereNow4U
    • HN4U Team
      • Share this page on:
        Page glossary
        Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
        1. Odisha
        2. तीर्थंकर
        3. दर्शन
        4. भाव
        5. महावीर
        Page statistics
        This page has been viewed 238 times.
        © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
        Home
        About
        Contact us
        Disclaimer
        Social Networking

        HN4U Deutsche Version
        Today's Counter: